Tuesday, August 26, 2014

भ्रूण हत्या ....आखिर क्यूँ


माँ को श्रेष्ठ मान हरदम सर झुकाती है दुनिया -२
हर धर्म में उसे ही अपना जहाँ बताती है दुनिया
फिर बेटी जन्म ले इस बात से ही
घबरा कर क्यूँ मुँह छुपाती है दुनिया ? ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया ?

देवी को पूजती है, सजदा करती  है चरणों में -२
फिर उसका ही स्वरुप क्यूँ नाले में फेंक आती है दुनिया?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

पाप और पुण्य का हिसाब लगाते हैं सभी हर पल -२
फिर भ्रूण हत्या का पाप कर क्यूँ इतराती है दुनिया ? ......  भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

गर्भ-धारण से जागती है मातृत्व की भावना -२
फिर इस सुख की कुर्बानी मांग क्यूँ गर्भपात कराती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

भ्रूण हत्या से खतरा हो सकता है जननी को -२
जानते हुए भी क्यूँ उसे बलि पर चढ़ाती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

जग जाहिर है बेटा-बेटी का होना निर्भर हैं पिता पर -२
फिर माँ को ही क्यूँ हर बार कसूरवार ठहराती है दुनिया .?.....भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

पुत्र हो या पुत्री , ईश्वरीय कृति हैं दोनों -२
फिर कन्या को ही अवांछित मान क्यूँ गिराती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

बात समझ में आती है सबको, फिर भी -२
अनजान बन बार-बार कहर ढहाती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

सास भी है एक औरत और माँ भी एक औरत -२
फिर कन्या भ्रूण को ही क्यूँ गिराना चाहती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

पुत्र होते ही संजोते हैं सपने उसके ब्याह के -२
बहु बनाने को कन्या कहाँ से आएगी, भूल जाती है दुनिया ?......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

पुत्र कुपुत्र हो तो कर सकता है दाने-दाने को मोहताज -२
फिर भी पुत्री को अभिशाप मान, पुत्र ही क्यूँ पाना चाहती है दुनिया .?.....भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

माँ, बहिन, पत्नी की मृत्यु पर अश्रुओं की गंगा बहाते हैं सब -२
फिर उन्ही के लघु रूप की हत्या पाषाण बन क्यूँ कर पाती है दुनिया? ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?

प्रश्न कुलबुलाते होंगे ज़हन में सबके , जानते हैं हम -२
फिर अपनी दफ़े सब भूल,भ्रूण-हत्या को क्यूँ तैयार हो जाती है दुनिया ?... ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?


कोमल अधपके अंग, एक धडकता, सांस लेता दिल -२
क्यूँ क़त्ल कर खुद को ताकतवर कहलाती है ये दुनिया? ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया?.............................................................................................................. @पूनम माटिया 'पूनम'
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Sunday, August 3, 2014

पुष्पवाटिका ......मासिक पत्रिका में साक्षात्कार


इस लिंक पे आप ई पत्रिका पढ़ सकते हैं ......... यह साक्षात्कार पृष्ठ २८ पे है
http://www.pushpvatika.org/
इस पत्रिका के संपादक राजेश प्रियम को हार्दिक शुभकामनाएँ सफलतम संपादन के लिए ........ पूनम माटिया 'पूनम'

Friday, August 1, 2014

मेरी दो रचनाएं ............

एक हिंदी ..........अनुभव के रंग


और एक अंग्रेज़ी..... स्प्लिट विज़न

ये दोनों रचनायें अक्सर आप मेरी आवाज़ में तो सुनते ही हैं विभिन्न आयोजनों में .... किन्तु ......
अब आपके लिए अधिक सुरीली आवाज़ में कुछ आर्टिस्ट्स ने इन्हें मेरे लिए पढ़ा है .....आशा है उनकी आवाज़ में मेरी रचनाओं का आनंद कुछ अलग सा होगा .....
मैंने सुना है ....... मुझे अच्छा लगा .....हाँ एक -दो जगह शब्द कुछ बदल गए हैं ....पर वो बहुत मेजर नहीं हैं .......
मैं धन्यवाद करना चाहूंगी ... यश ठाकुर  की जो भारत नहीं रहते  लेकिन भारत के साहित्य को आवाज़ देने की पहल कर रहे हैं ...... साईट पे ''साहित्य''  के सेक्शन में
काफ़ी मेहनत की गयी है ......

https://www.youtube.com/watch?v=lRySqaqw1c4