Tuesday, April 11, 2017

गीत -राम मेरे...

राम मिले सीता को जैसे , मुझको भी तुम मिल जाओ 
तोड़ धनुष को वरण करो तुम, राम मेरे तुम बन आओ
नहीं मांगती बंगला गाडी, नहीं मांगती मैं सोना 
कुछ छोटे-छोटे सपने हैं, आकर पूरे कर जाओ............................ राम मेरे तुम बन आओ
युग-युग से प्यासी है धरती, आकर अगन बुझा जाओ 
घट-घट बैठी कोटि अहिल्या, आकर उन्हें जिला जाओ.........................राम मेरे तुम बन आओ

दुर्योधन
, दशग्रीव बने सब , नारी हाहाकार करे मर्यादा पुरुषोत्तम हो तुम, आकर पाठ पढ़ा जाओ....................     ......राम मेरे तुम बन आओ

साधू-संत सियाने जितने
, सब माया के लोभी हैं बच न सकी सोने की लंका, त्रेता याद दिला जाओ ..........................राम मेरे तुम बन आओ
.........................पूनम माटिया 

Sunday, April 9, 2017


जाम था, तिश्र्नगी रही फिर भी
वस्ल था,
बेकली रही फिर भी

ज़िन्दगी ज़िन्दगी न थी यूँ तो
शान से वो तनी रही फिर भी

ज़िन्दगी से बहुत निबाह किया
ज़िन्दगी अजनबी रही फिर भी

तेरा आना   था  ज़रूरी,पर
आस दिल में बँधी रही फिर भी
                      
यूँ तो सब आस-पास  थे  मेरे
तेरे बिन कुछ कमी रही फिर भी

लाख चाहा न डगमगाएं हम
रात दिन बेख़ुदी रही फिर भी

ढक लिया चाँद अब्र ने तो क्या
रात ‘पूनम’ की ही रही फिर भी                    ........ पूनम माटिया