Sunday, July 22, 2012

होसलों में उड़ान.....

माना है असंभव ‘चाँद’ को पाना 

पर दिल पर किस का ज़ोर है ‘जाना’ 


जिद्द है इसकी चाहेगा वही 

जिसे पाने में करनी पड़े जद्दो-जहद .. 


गर होसलों में उड़ान न हो 

जुस्तजु दीदार-ए-यार न हो 


नहीं ऐसी शक्सियत की ख्वाइश मुझे

जो हाथ में न कैद कर सके 

उस चाँद की चादनी 

और ज़हन में ‘उसका’ अक्स...........पूनम(ss) 

Monday, July 16, 2012

कश-म-कश


निशब्द ,निस्तेज ,निरीह सी 
पाँव कुछ बंधे-बंधे से, पर 
हस्त-उँगलियों में अजीब सी थिरकन 
दिमाग कुछ अशांत और
दिल में कुछ उथल-पुथल
आँखें पथराई सी ,पर
निहारती ‘पथ’ किसी का
अजीब कश-म-कश,जैसे कोई भंवर
अजनबी ,अनजान सी तलाशती
‘मंजिल’ छुपी धुंधलके में किसी ...........पूनम (ss)

गुस्ताखी

डर से बंद कर रखी हैं हमने अपनी आँखें 
कि कोई इन अश्कों को देख न ले 
अँधेरे में बैठे हैं छुपके 
कि कोई हमे तलाश न ले 
जिंदगी गुज़ार रहे हैं कुछ इस तरह 
कि ख्वाबो को भी हमसे शिकायत हो गयी
क्या करें कि ज़माने में यूँ
रुसवा हमारी मोहब्बत हो गयी
जानते थे दरमियां मजहबी दीवारें हैं खडी
फिर भी गुस्ताखी ये हम से हो गयी ..........पूनम(ss)