Monday, January 28, 2013

अनबुझ प्यास ..............


8 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया यशवंत जी

      Delete
  2. Replies
    1. खुला मंच ............धन्यवाद

      Delete
  3. नूतन जी स्वागत है आपका ........

    ReplyDelete


  4. एक आग-सी जलती है दिलों में...
    बुझती नहीं प्यास किसी के बुझाने से...

    ओऽऽह !
    बहुत गंभीर स्थिति होती है यह तो
    पूनम जी !
    :)

    बहुत ख़ूब !

    # ... लेकिन पढ़ने में कुछ दुविधा हो रही है ,
    इस बार गहरे रंग के बैकग्राउंड में हल्के कलर के अक्षर बड़े फोंट में करके देखिएगा ...
    :))

    ReplyDelete
    Replies
    1. राजेंद्र जी आप के शब्द और आपका स्वर सुनने के बाद मुझे अपनी रचनाये प्राथमिक स्तर पर नज़र आती हैं ./उस पर भी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पढके दिल बाग़ बाग़ हो जाता है स्नेह बनाये रखियेगा ......और हाँ अगली बार रंगों और फौंट का चुनाव करते समय ध्यान रखूंगी

      Delete
  5. पूनम जी न केवल एक उत्क्रिश्त स्रिजनधर्मी हैँ, वरन बहु आयामी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व की धनी -समाजसेवी और अनेक सन्दर्भोँ मेँ सामाजिक सरोकारोँ से लवरेज मिलती हैँ. प्रेरक कार्योँ-व्यवहारोँ के अनेक कीर्तिमानोँ से सज्जित पूनम को हार्दिक बधाई व उनके अनवरत आगे- आगे सकारत्मक दिशा मेँ बढते रहने की मंगल शुभ कामनायेँ.
    डा. रघुनाथ मिश्र्

    ReplyDelete