Saturday, January 5, 2013

मेरे पहले काव्य -संग्रह 
स्वप्न श्रृंगार(
शृंगार) से .........और मेरे दिल के बहुत नज़दीक .......
शायद सच .........

बेचैन मैं सुकूं तलाशती रही गली कूंचे में 


ए खुदा तूने भी क्या कायनात बनाई है

मुझसे मेरी ही 'शक्सियत' मिल न पायी है

इंतज़ार में जिसके मैं बैठी रही सजदे में

वो कमज़र्फ न जाने छुपी है कितने पर्दों में................पूनम 

3 comments:




  1. ◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤
    लोहड़ी की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक मंगलकामनाएं !

    साथ ही
    मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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    1. धन्यवाद राजेंद्र जी

      Happy LOhri,Sakranti and Pongal to all frnds ...................

      लोहड़ी ,सक्रांति ,पोंगल ये पर्व आयें हर वर्ष
      संग अपने लाते हैं हर्ष ,उल्लास और उत्कर्ष ........पूनम

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  2. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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