Thursday, April 11, 2013

बस यूँही ..........


















आँखें पढना आसान नहीं हर कोई जाने


कोई इन्हें पढना न जाने तो हम माने  


पढ़कर भी अनजान बने तो क्या माने ...........पूनम 

16 comments:

  1. समझते समझते सब गुड़ गोबर हो गया. पहली और दूसरी पंक्ति में कैसा तो विरोधाभास है! पढ़ना आसान नहीं फिर भी हर कोई इन्हें पढ़ लेगा... हाय पूनम स्पष्ट करो न प्लीज़.

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रेम जी .......:) आप जान के अंजान बन रहे हैं ....... खैर ....आँखें पढना मुश्किल है इसलिए शायद बहुत से पढ़ ही नहीं पाते .........बात समझ में आती है .........पर अगर पता हो के कोई इसमें माहिर है .......फिर भी वो अनजान दिखाए खुद को .....तो ?????????????????????????????????

      Delete
    2. This comment has been removed by the author.

      Delete
    3. शुक्रिया प्रेम सहजवाला जी ......मेरी रचनाओं के प्रति अपना स्नेह व्यक्त करने के लिए .....आपने कमेन्ट क्यूँ डिलीट किया :) .खैर मैंने वो रात को ही पढ़ लिया था

      Delete
  2. badi mushil hai ye bhasha nigaho ki,jara si bhool hoye saza ban jaye gunaho ki

    ReplyDelete
    Replies
    1. Aziz saheb umda sher padha aapne ...........aur sach hi kaha ..........shukriya

      Delete

  3. आँखें पढना आसान नहीं हर कोई जाने


    कोई इन्हें पढना न जाने तो हम माने


    पढ़कर भी अनजान बने तो क्या माने
    Wah Poonam ji--bahut khoob !
    teen hi panktiyon me sari hakikat.
    jaandaar evam shandar ! Wah !

    ReplyDelete
    Replies
    1. ओम पुरोहित जी .....कोशिश ही नहीं की मैंने और पंक्तियाँ जोड़ने की ......क्योंकि मैं सिर्फ इतना ही कहना चाह रही थी ........जो कहा और जो आपने समझा :))))))) बहुत बहुत शुक्रिया .......

      Delete
  4. Replies
    1. धन्यवाद यशवंत जी .......नमस्कार

      Delete
  5. सुन्दर रचन. बधाई.
    डा. रघुनाथ मिश्र
    अधिवक्ता/ साहित्यकार.

    ReplyDelete
    Replies
    1. रघुनाथ जी ....... आपके आने से रचना स्वत: ही सार्थक हो जाती है .....धन्यवाद

      Delete
  6. आपने लिखा ओर फिर उसका मंतव्य भी बखूबी समझा दिया ...
    तीनों पंक्तियाँ एक फलसफा कह रहीं हैं ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिगम्बर जी .......लिखा किस मन से है ...और पाठक किस मंस्तिथि में पढ़ रहे हैं ....दोनों भिन्न हो सकती हैं ......फिर भी मैंने अपने अनुसार लिखा ......हो सकता है उसका अर्थ कुछ और भी निकले ......:) धन्यवाद आपने पसंद की ये ३ पंक्तियों की रचना

      Delete
  7. इन अनजानों से ही निपटना है.

    नवरात्रि और नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा रचना जी .......इन्ही अनजान लोगों से ही निपटना है :)

      Delete