Friday, May 24, 2019
कहानी -बस बहुत हुआ -पूनम माटिया
बस बहुत हुआ......
Tragedy
शब्द जैसे कोई पिघला सीसा उड़ेल रहा हो कानों में
अभी रुबीना थी ही कितनी बड़ी !....ढाई साल ! कोई उम्र है ये जिसमें वो अम्मी या अब्बा में से एक चुने ... हाफ़िज़ा की साँसें उखड़ रही थीं, आँखें भीगी और होठ कांप रहे थे कितनी कोशिश की थी उसने कि रुबीना से जब सवाल हों तो वो उसकी गोद में हो...पर मज़ाल है कोई उसकी बात सुने ... #कोर्ट का माहौल ही बच्चे को डरा दे उसपर जज का ये सवाल ... हाँ उस महिला जज की आवाज़ में तल्ख़ी नहीं थी न ही कोई कड़क ...।
जो भी हो मासूम रुबीना को ले के भाग जाने का मन हो रहा था हाफ़िज़ा का –‘काश मैंने #तलाक़ चाहा न होता या फिर अशरफ़ ने उससे यूँही त’अल्लुक तोड़ दिया होता...कम से कम बच्ची पर क़हर तो न टूटा होता। ’
कल ही की बात लगती है जब उसे अपने #निक़ाह में लिया था अशरफ़ ने और ज़मीं से लेकर चाँद –तारों के वायदों से टांक दिया था आँचल उसका। पाँव में रुई भर उड़ती रहती थी घर-भर में ....मायके में भी सहेलियाँ जलती थीं उसकी ख़ुशकिस्मती से।
धीरे धीरे #पलाश के झड़ते फूलों सा खाली हो गया उसके प्यार का शजर।
अजीब #पशो-पेश में गुजरने लगे दिन-रात... सीधे मुंह बात करना तो दूर रात घर आना ही छोड़ दिया था।
रुबीना तुतलाती जुबां में अब्बू अब्बू कह कर लिपटती तो एक पल को लगता सब दुरुस्त है।
‘छोटा –सा आशियाना जो कभी महकता था अब हर वक़्त बू आने लगी थी धीरे –धीरे सड़ते-गलते #रिश्ते की ’
शुरुआत में तो मुझे लगता था कि सब ठीक हो जायेगा, मूड का क्या है काम –काज की परेशानी होगी। घर छोटा हो, रुपया –पैसा थोड़ा कम हो तो भी औरत पति के प्यार के सहारे ज़िन्दगी ख़ुशी-ख़ुशी गुज़ार लेती है लेकिन झूठ, फ़रेब, धोखा !!! कैसे सहे कोई। सोच-सोच कर ख़ुद को कोसती हूँ क्यूँ दूसरे शहर में नौकरी करने की बात पर राज़ी हुई। तन्ख्वाह बढ़ने की बात का कह कर अशरफ़ ने जैसे लॉली-पॉप दिया मुझे।
पहले हफ़्ते की हफ़्ते आता था, आते ही लिपट जाता था मुझसे जैसे तड़प गया हो कुछ दिन की दूरी में ....साथ ही ले के चलने की बात करता था। मैं ही बुद्धू थी जो मानी नहीं।
बस दो महीने ही बीते होंगे आना तो दूर फ़ोन भी ख़ुद नहीं करता ....मैं करती तो मसरूफ़ होने की बात कर झट से फ़ोन रख देता। आसार अच्छे नहीं लग रहे थे। एक दिन जब मेरी सहेली शबनम घर आई तो उसने अपने स्कूल में नौकरी करने की राय दी। अशराफ़ को सरप्राइज़ दूँगी जब वो आएगा तो यह सोच कर झट हाँ कर दी। रुबीना को भी अपनी नानी अम्मी के यहाँ रहने में मज़ा आता था, कभी कभी सोचती थी अशरफ़ को कहूँ वापस आ जाओ अब मैं भी अच्छा कमा लेती हूँ पर जाने क्या सोच कर बताया ही नहीं वैसे भी फ़ोन पर बात अब कभी कभी ही हो पाती थी।
छह महीने पहले जब रुबीना दो वर्ष की हुई थी तो कुछ खिलौने ले कर आया था ...रुबीना को गोद में उठाकर उससे पूछ रहा था –अब्बा के संग चलोगी ?
बन्दुक की गोली सी लगी जब मैंने कहा –रूबी! अब्बू से कहो हाँ चलेंगे .... वो तुनक कर बोला था तुम से किसने पूछा।
मैंने कहा तो क्या मुझे नहीं ले जाओगे .... झट बोला –और क्या मैं तो अपनी बेटी को लेने आया हूँ, अपनी नई अम्मी के पास रहेगी अब। पहाड़ टूट पड़ा हो जैसे, आँखों के आगे तारे उतर आये ....#अश्कों की झड़ी को पोंछते हुए जब मैंने पूछा –मुझ में क्या कमी हो गयी अब ? जो बच्ची तो चाहिए उसकी अम्मी नहीं ...?
‘मैंने निकाह कर लिया है आश्फ़ा से चार महीने हो गए ....बड़े घर की इकलौती मालकिन है ...सुंदर है, पैसा है सब कुछ है ....पर...!!’
पर क्या ? रुलाई रुकने का नाम नहीं ले रही थी ..पर बच्चा नहीं हो सकता उसे ..तो मैं रुबीना को लेने आया हूँ ....तुम ये घर रखो, यहीं रहो ...पर मेरी बेटी को ले जाऊँगा मैं।
जाने कौन सी #शक्ति आई मुझ में और रुबीना को उसकी गोदी से खींच कर अपने #आँचल में छुपाकर बोली .....बस बहुत हुआ! ...अपनी बेटी नहीं दूँगी ....तुम को जाना है तो अपना समान समेटो और ख़ुशी से जाओ .... अपनी बच्ची को मैं पालूंगी। रुबीना की माँ कोई #लाचार, #बेबस औरत नहीं .... #पढ़ी–लिखी_काम-काज़ी महिला है।
अब आँखें फैलने की बारी अशरफ़ की थी ..।
Wednesday, May 22, 2019
आशीर्वचन -श्री कँवल कोहली जी द्वारा
Kanwal Kohli 10.01.2013
Hello Poonam (Matia) JI: Aap ki life-cycle kay baaray mein padh kar bahut acchaa lagaa. Aur badhie baat to yeh hai, ki jin saadhaaran stithiyon say aap bachcpan mein guzreen hain, woh bhi aap bilkul nahien bhuulien!!!
Iss kay ilaawaa aapki shuru ki shikshaa kay baaray mein bhi detail mein padhaa aur phir bahut achaa lagaa, ki shuru say hi aap awal darjay par aatie rahien, jiski wajeh say aapko apni adhyapikaaon kaa bhi sadaiv puraa sneh miltaa rahaa. In fact, there’s a great resemblance betweeen u n my mother’s education n tough journey of life. Even she was simply class 8 pass when she got married; meanwhile the partition took place and my parents came to India in 1947. And, besides other commitments to joint family (me just about a yr old at that time), her husband & the society, she again took courage and simultaneously started teaching as well studying herself…..even while in the teaching job she continued her self studies….. reached M.A., B.Ed and is now leading a retd life at 80+……
Education is of three kinds – parental, schooling and environment and I feel that in your case also it has just been like that. Moreover, as I see from day-1, u got into the reading habit, which has really given u a lot of impetus n exposure in life. And then when u started appearing on the school stage, that added to ur confidence. Moreover, the T.V. too accelerated your growth, in every sense.
Coming to college life, even being a Science student, literature remained your first love.!!! Moreover, it’s highly creditable that you were as much at home with the English literature as the Hindi Literature….The plus point in ur case was that u remained a very devoted student, throughout ur life. It’s also heartening to know that even when u became financially sound, highly educated and flourished in life, ur feet always remained on the ground, which is highly commendable.
I know u hv remained a great thinker and have always believed in dreaming big for urself!!! Yea, life mein goals to honay hi chaaheeyaen. Hv also enjoyed reading ur transition period, where-in you became a family person, having ur own lovely family and enjoying all this, while giving full credit to all those who helped u, in some way or the other, to achieve excellence in ur life. Well, u hv made ur home happy and so u hv been happy to live in it!!!
Thus u blossomed from a petal into a full grown lovely flower, having attained higher maturity levels too all along the life’s journey. And the best thing is that u hv always tried to put ur life’s experiences (including the city n the village life) into ur writings too.
Indeed u hv always remained a restless soul, as u hv never been satisfied with ur achievements, which is why u even tried ur hands in the field of Arts n Crafts plus tried to venture into some kind of business activities. I can also understand that besides ur own growth, u hv left no stones unturned, to ensure that both your daughters (dear Tanya n Tarang) get groomed very well in their own spheres of life, and I feel that both of them have really made u proud through their success n achievements in their respective fields…..
You have undoubtedly even been a very good organizer in life. Indeed u hv handled several stage programmes very successfully. I’m very impressed to know that u hv always given due credit to all those, who hv helped u climb the success-ladder, whether it be ur dear husband, Naresh ji or ur
respected in-laws.
Later on u started getting fascinated towards the computer n the internet and gradually stepped into the gr8 world of the FB, where I also hv had the privilege of being accepted by u as one amongst ur 5,000 odd friends, coming from different sections of the society. I’m proud to know how some of ur FBFs have encouraged u not only to write more n more but hv even helped u to get your articles published in different magazines n so on……until ur own written book “Swapn Shringar” also appeared on the scene. Poonam ji, u hv really made all of us very proud n please accept my congratulations (to u, ur dear family n all ur loved ones) for the same.
Indeed u hv already become an FB Celebrity long since and friends like me are proud to hv come into ur fold. Your life’s journey, ur confidence and ur great success story will certainly give a lot of encouragement to all those, who are just in the prime of their life, like u were once……
Pray that u soar high above in the sky – I mean sky may be the limit for u – and u achieve all that in life, which you aspire. In other words, May God fulfil ur heart’s wishes n choicest desires in the years ahead and may u always be very happy with ur kith n kin.
May God bless u with all the happiness in the world.
Your well-wisher
KK
Tuesday, May 21, 2019
मारवाड़ी युवा मंच-सूर्य शक्ति शाखा
मारवाड़ी युवा मंच, सूर्य शक्ति शाखा , चंदर नगर, ग़ाज़ियाबाद की सालाना बैठक में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शामिल होने का अवसर मिला , लोक सभा चुनाव 2019 , दिल्ली के दौरान |
कार्यकारिणी की 'ओथ टेकिंग सेरेमनी' में वर्तमान अध्यक्षा सुश्री शांति चोरारिया जी के स्नेह निमंत्रण पर इस महत्वपूर्ण अवसर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया| साथ -साथ उपस्थित केन्द्रीय और क्षेत्रीय कार्यकारिणी तथा सदस्यों को संबोधित करने का अवसर मिला|
मारवाड़ी भाषा के कुछ शब्द भी सीखने को मिले |फरीदाबाद से श्री विमल खंडेलवाल सपत्नीक आये थे , मिलकर अच्छा लगा|
उद्बोधन के दौरान कुछ दोहे पढ़े ......साथ ही चुनाव प्रचार सम्बन्धी विचार भी साझा किये|
बहुत स्नेह-मान मिला|
युग -युग से कोई नहीं , उनसा भक्त सुजान
बुद्धि-भक्ति की खान हैं ,पवन-पुत्र हनुमान
राम भक्ति का द्वार हैं, हनुमत वेध-विधान
सहज मिलें श्रीराम भी,भज लें यदि हनुमान
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जल-थल-अम्बर सब जगह, है क़दमों की छाप
राम-राज का स्वप्न सच, होगा अपने आप
लोकतंत्र में वोट पर, अपना है अधिकार
साड़ी, कम्बल, नोट ले , नहिं बिकना इस बार |