Sunday, May 24, 2020

ख़याल है पन्ने .....ज़हन एक किताब ............: अभी तो सागर शेष है ........... पूनम माटिया

ख़याल है पन्ने .....ज़हन एक किताब ............: अभी तो सागर शेष है ........... पूनम माटिया:   हृदय अपनी गति से चलता जाता है वक़्त भी किसी के रोके कहाँ रुक पाता है पर, हम रुकते हैं थामते हैं खुद को सोचते हैं, जाँचते-परखते...

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