Tuesday, June 2, 2020

अंतस् की दसवी गोष्ठी में ...... पूनम माटिया का काव्य पाठ .

सञ्चालन  के साथ साथ ............. काव्य पाठ भी

एक शे'र

बदल कर नज़रिया ज़रा देखिए तो
नयी शक्ल नज़र आयेगी ज़िन्दगी की






 ग़ज़ल

नहीं ये बुलबुला पानी का, चढ़ता-गिरता पारा है
सुलगता रात-दिन दिल में, मुहब्बत वो शरारा है

जनाज़े में नहीं होगी अदावत और दूरी भी
मैं ज़िंदा हूँ तभी तक दुश्मनी का खेल सारा है

हक़ीक़त की कसौटी पर कसूँगी दिल के जब रिश्ते
मैं गौहर पा ही जाऊँगी, समुंदर गो कि खारा है

ज़माने भर के लोगों ने मुक़दमा कर दिया दायर
मेरे आँचल ने जब पाया किसी का भी सहारा है

अरे पूनम! ये क़िस्मत और ही कुछ गुल खिलाएगी
जो तुम समझे, जो हम समझे, नहीं ये वो इशारा है

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#डायरेक्ट दिल❤️ से

https://www.youtube.com/watch?v=vsYMeuKplLU&t=14s&fbclid=IwAR2Ivs-vjfZhOxVGRJDAOfTBIcdWaBU-xWmp1cKohckWaevQ58PCJv6AYzg
इस यू ट्यूब लिंक पर सुन भी सकते हैं .........
पूनम माटिया

1 comment:

  1. ज़माने भर के लोगों ने मुक़दमा कर दिया दायर
    मेरे आँचल ने जब पाया किसी का भी सहारा है

    सुंदर लेखनी।।।

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