Sunday, June 7, 2020

तौबा .....ग़ज़ल - पूनम माटिया

ग़ज़ल के माध्यम से कई मुद्दों पर रौशनी डालने की एक काविश .....


नहीं किसी को क़रार मुमकिन, नहीं है कोई सवाब तौबा
अजब- ग़ज़ब है ये ज़िन्दगी है सभी का खाना ख़राब तौबा

निज़ाम उसका अलग-थलग है, हज़ार रोड़े लिए खड़ा है
कभी तो धरना, कभी है स्ट्राइक मिला है जब से ख़िताब तौबा

आवारगी है, उतावलापन, फ़ितूर तारी है नौजवां पर
लिबास तौबा, ख़ुमार तौबा, जुनून तौबा, सराब तौबा

उठाए बीवी के नाज़- नख़रे, संभाले कैसे हर एक शौहर
सुकूत तौबा, इताब तौबा,सवाल तौबा, जवाब तौबा

हसीन इतनी, जमाल ऐसा, सुरूर उसका कहा न जाए
गली में आशिक़ लिए फिरे हैं हज़ार-रंगी गुलाब तौबा


पूनम माटिया

4 comments:

  1. हसीन इतनी, जमाल ऐसा, सुरूर उसका कहा न जाए
    गली में आशिक़ लिए फिरे हैं हज़ार-रंगी गुलाब तौबा
    शानदार ग़ज़लें बहुत बहुत बधाई

    पुष्कर

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    1. पुष्कर जी ....... आपकी प्रतिक्रिया उत्साह बढ़ाती है ऊर्जा देती है ..ग़ज़ल के अशआर आपको पसंद आये शुक्रिया

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 10 जून 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद @Pammi पर ये साईट ओपन नहीं हो रही

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