Sunday, June 7, 2020

विनम्र श्रद्धांजलि-उस्ताद शायर, आचार्य (स्व) श्री सर्वेश चंदौसवी जी

आज उस्ताद शायर, आचार्य (स्व) श्री सर्वेश चंदौसवी जी की अरिष्टि का दिन है। 

उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि,

भाव-सुमन

उन्हें सर्व श्री डॉ कुँवर बेचैन, मंगल नसीम, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, विनीत चौहान, डॉ कीर्ति काले, राजेश चेतन, नरेश शांडिल्य, अनिल अग्रवंशी, राज कौशिक, रसिक गुप्ता, सपन भट्टाचार्य, गुनवीर राणा, पी के आज़ाद, अनिल मीत, पूनम माटिया, बलजीत कौर तन्हा, प्रमोद शर्मा असर, राजेन्द्र कलकल, उर्वशी अग्रवाल, विजय स्वर्णकार, चरण जीत चरण, मंजू शाक्य, सुमित भार्गव और डॉ प्रवीण शुक्ल द्वारा अपने भाव-सुमन समर्पित किये गए हैं।
विनयावनत
णमोकार चैनल
पी एस स्टूडियो एवम
समस्त सर्वेश चंदौसवी परिवार


 
25 मई 2020 को मशहूर ओ मारूफ़ शायर जनाब सर्वेश चन्दौसवी इस फ़ानी दुनिया को छोड़ गये |
लगभग अपनी उम्र के चालीस बरस में जो भी उन्होंने हिन्दी-उर्दू की अस्नाफ़(विधाओं) में लिखा, उन्होंने उसे कहीं भी प्रकाशित न किया  लेकिन जब अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से कुछ फ़ारिग हुए तो एक ऐसा लक्ष्य saadh लिया जिसे सुनकर भी विश्वास नहीं होता था|
बदनसीबी कहें या ख़ुशनसीबी उनसे मेरी पहली मुलाक़ात भी उस दिन हुई जब वे अपने लक्ष्य के पहले पड़ाव पर थे ........ 2014 का विश्व पुस्तक मेला ...... और सर्वेश जी की पहली चौदह पुस्तकों का लोकार्पण .... अद्भुत, अविस्मर्णीय क्षण ....
मंजुलि प्रकाशन का मंच और एक विशाल जमघट अदबी हल्क़े के लोगों का! और क्यों न होता ......लोग एक पुस्तक लिख कर ही प्रसिद्द हो जाते हैं .ये तो एक साथ चौदह पुस्तकें साहित्य के ख़ज़ाने के साथ आ रही थीं|
मुलाक़ात करवाई ग़ज़लगोई में सिद्ध-प्रसिद्द आदेश त्यागी जी ने|
2019 तक अपने लक्ष्य को पूर्ण किया सर्वेश जी ने य’आनी हर वर्ष तय संख्या ..2015 में 15, 16 में 16, 17 में 17, 18और 19 में 18, 19 संग्रह कुल मिलाकर 99 पुस्तकें  उन्होंने दुनिया को दीं | 2020 में 20 दिसंबर को 20 संग्रह देने का उनका लक्ष्य भी पूर्णता के नज़दीक ही था किन्तु इस #लॉकडाउन के दौरान 25 मई को ईश्वर ने उन्हें अपने पास बुला लिया|
इसी दौरान उनसे उर्दू और ग़ज़ल के मुतालिक़ सीखने का अवसर भी मिला और उनके व्यक्तित्व को क़रीब से जानने के कुछ अवसर भी मिले|
उस्ताद शायर थे वो , उनके शागिर्द और शागिर्दों के भी शागिर्द भारत और भारत से बाहर भी थे ..... मुझ नाचीज़ को शागिर्द होने का मौक़ा नहीं मिला पर उन्होंने उससे कम भी कभी नहीं समझा मुझे| 2016 में 16 संग्रहों में से एक –लम्हा –दर-लम्हा के बेक फ्लैप को लिखने का अवसर देकर अपनी पुस्तकों में मुझे भी स्वर्णिम इतिहास का अभिन्न हिस्सा बना दिया|
पिछले वर्ष ही गठित और सक्रीय हुई मेरी संस्था , अंतस् को भी उनका स्नेहिल आशीर्वाद प्राप्त हुआ जब अंतस् की छटी काव्य-गोष्ठी की सर्वेश जी ने अध्यक्षता करने की सहज स्वीकृति दी|
यूँ तो कई बार मौत को बड़े क़रीब से शिकस्त देकर लौट आये थे पर इस बार ........... !

यही एहसास उनकी इस ग़ज़ल में सुनें ..जो विडियो उन्हें श्रद्धांजलि-स्वरूप आज उनकी अरिष्टि पर डॉ प्रवीण शुक्ल और णमोकार चैनल के माध्यम से रिलीज़ हुई है |
श्रद्धांजलि की एक सभा भी ज़ूम पर डॉ प्रवीण शुक्ल और श्री राजेश चेतन जी द्वारा आयोजित की गयी थी  जिसमे भी श्रद्धा-सुमन अर्पित करने वालों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त थी|
ईश्वर सर्वेश जी की आत्मा को शांति दे और शोक-संतप्त परिवार तथा उनके वृहद् अदबी परिवार को इस दुःख को वहन करने की क्षमता दे| ॐ शांति

पूनम माटिया
7 जून 2020






https://www.facebook.com/praveenshuklakavi/videos/605168653684416/?__xts__[0]=68.ARACRoy_HSXsBaIYWJbNGWFX_RQmYlRTIwEXwkZBsdhaLUhtXUw7CTlp6BO2rP_Zqm-185YlTKyiaUYYTKKxUn37hD-fUpTc60VdksoFdRaXG2ZYb6PD-NOiXvHbEjrIGRiG-LlpJfqqEaXpDluvmrN41tBaGQeFEUhkpEtg49jNpx1L-CPc77QWaAIZ7VDYSjBZoqlGPf2L_LuUeVY1FoaI7nBR-lcHSYZVlsmeVf2SQJORYURIv_cfCZI0QmK6tMUbBFl-D1wWLPZPFsui3dpZt8N7RYyouneZICHTZR6kEOTjw_wLnO30hJjxAPMcyMMUgyexhmfAXKUfQ7eceGkpqn35Kd3d8754&__tn__=H-R

5 comments:

  1. https://www.facebook.com/praveenshuklakavi/videos/605168653684416/?__xts__[0]=68.ARACRoy_HSXsBaIYWJbNGWFX_RQmYlRTIwEXwkZBsdhaLUhtXUw7CTlp6BO2rP_Zqm-185YlTKyiaUYYTKKxUn37hD-fUpTc60VdksoFdRaXG2ZYb6PD-NOiXvHbEjrIGRiG-LlpJfqqEaXpDluvmrN41tBaGQeFEUhkpEtg49jNpx1L-CPc77QWaAIZ7VDYSjBZoqlGPf2L_LuUeVY1FoaI7nBR-lcHSYZVlsmeVf2SQJORYURIv_cfCZI0QmK6tMUbBFl-D1wWLPZPFsui3dpZt8N7RYyouneZICHTZR6kEOTjw_wLnO30hJjxAPMcyMMUgyexhmfAXKUfQ7eceGkpqn35Kd3d8754&__tn__=H-R

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  2. दुखद।
    वे सचमुच महान शायर, कवि और हिंदी उर्दू व्याकरण के आचार्य थे। आपकी पुण्य आत्मा को नमन। सादर श्रद्धांजलि।
    ओम सपरा

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    1. सत्य कहा आदरणीय सपरा जी
      सर्वेश जी का साहित्य को जन जन तक पहुँचाने का अभियान और समर्पण अद्भुत था

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  3. सर्वेश चंदोसवी गज़ल का वो नाम जो हमेशा गज़ल की दुनिया में अपनी रौशनी सब पर बरसाता रहेगा।
    मेरा उनसे मिलना उनके निवास पर मार्च 2020 में हुआ,बहुत ही सरलता उनके व्यक्तितव में थी मुझ जैसे नाचीज को भी उन्होने जितना अपनत्व व प्रेम दिया वह मेरे लिये अविस्मरणीय है।उसके बाद उनसे तीन बार फोन पर बात हुई उनके विशाल ह्रदय का आभास उनकी बातों से सदा होता था।साहित्य व साहित्य से जुडे लोंगों के प्रति उनका प्रेम विशेष रहता था। मैं उनको व उनके व्यक्तितव को नमन् करता हूँ।
    गज़ल के ध्रुव तारे के समान वह सदा जगमगाते रहेंगे।
    मेरी उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि ।
    राजीव सिंहल
    गज़ियाबाद

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    1. सत्य कहा आपने राजीव जी .........भारत में उर्दू अदब के आकाश के धुव तारे ही थे सर्वेश जी |
      राजीव जी आपका अति आभार आप मेरे ब्लॉग तक आये|

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