Friday, March 4, 2022

छन्द में विनय -पूनम माटिया






तोड़ रहे मन का मनका बिन बात पिया जु अँधेर करो ना|

शांत करो चित, ध्यान धरो कुछ, स्वप्न सभी तुम ढेर करो ना|

हाथ थमा कर, अंग लगा कर, बैर विदा इस बेर करो ना|

रात गयी सब बात गयी अब साथ चलो, मत देर करो ना||

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