Saturday, November 1, 2025

नवीनतम ग़ज़ल संग्रह 'शजर पे चांद उगाओ' .. Dr Poonam Matia, #prembhardwajgyanbhikshu

 

पुनम माटिया जी

आपके नवीनतम ग़ज़ल संग्रह 'शजर पे चांद उगाओ' में आपकी उम्दा रचनाओं को पढ़ने का सुअवसर मिला| आप वर्षों से ग़ज़लख़्वाओं में विशिष्ट स्थान रखती आई हैं। आपकी हिन्दी के साथ उर्दू विधाओं में अभिरूचि के साथ लेखन भी आला दर्जे का हो चला है।

कुछ अंश पुस्तक से उल्लेखनीय हैं जैसे

‘पल दो पल की है मुहब्बत और क्या
अब कोई रांझा
, न कोई हीर है’

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‘घेर लेता है भंवर जब याद का
डूब कर ये दिल उभरता ही नहीं’

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‘दिखाई देते नहीं हैं मुहब्बत के समर
शजर पे चांद उगाओ
, बड़ा अंधेरा है’

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जानते हो तुम मुझे,इल्म 'पुनम 'बस यही
शायरी है मेरा फ़न, शायराना है मिज़ाज

ऐसी बहुत सारी पंक्तियां उल्लेखनीय और आकर्षक हैं। रिवायती शायरी के साथ स्वछन्द प्रवाह भी उन्मुक्त है शिल्प में। बेहतरीन कथानक, कहन, शब्द तूलिका अनुपम राग लिए हृदय से निकली सरस अठखेलियां करती कुछ मुख़्तसर प्रणय बोध करवाती है| भावप्रधान उच्च सुलेख-सी काव्यात्मक अभिव्यक्ति है आपकी।

आप बधाई की सुपात्र हैं। भविष्य के काव्य-संग्रह के लिए हार्दिक शुभकामनाएं शुभकामनाएं।

 

प्रेम भारद्वाज,'ज्ञानभिक्षु'
दिल्ली
2 सितम्बर 2025

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