Monday, August 6, 2012

दोस्ती ......शीतल चांदनी

दोस्ती के मायने कोई 
 

यूँ ही समझ नहीं सकता ......
 

बिना आग की लपटों से गुज़रे 
 

कोई ये तप्त दरिया पार कर नहीं सकता
 

शीतल चाँद की चांदनी भी यहीं झलकती है 
 

बिन दो पल ठहरे कोई ये ठंडक पा नहीं सकता.........पूनम (AR) 

6 comments:

  1. दोस्ती के मायने कोई

    यूँ ही समझ नहीं सकता ......
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    bahut khoob ... waah
    ekdam sahi kaha

    aabhaar

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    1. प्रकाश गोविन्द जी स्वागत एवं आभार

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  2. वाह दीदी... दोस्ती के पावन भाव को एक अलग ही अहसास देती हुई आपकी खूबसूरत रचना.. बहुत सुन्दर... लाजवाब...

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  3. शुक्रिया राहुल .........दोस्ती के रंग अनेक हैं :).....कुछ को छूने की कोशिश की है

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  4. hmmm bahut achhi koshish.............

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  5. Atul jii shukriya koshish ko srahne ke liye

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