Monday, August 6, 2012

अंजुली भर प्यार ...


इस सफर में चलते-चलते मिलेंगे बहुत 
 

प्यार से लगेंगे गले या काट सकते हैं गला भी 
 

बात बनती है जब उठे हस्त आशीष के लिए 
 

या फिर किसी असहाय की मदद के लिए 
 

हाथ हाथ को थाम ले बढे मंजिल की ओर 
 

कहानी ऐसी लिखे इस जिंदगानी के पथ पर 
 

जो सागर से हो गहरी और ऊँची आसमा से 
 

जीत लिखो या हार लिखो ,बस मेरे दोस्त 
 

इक अंजुली-भर निस्वार्थ प्यार लिखो ........पूनम (SS)

10 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत रचना... एक निर्मल.. पावन सन्देश...

    जीत लिखो या हार लिखो ,बस मेरे दोस्त
    इक अंजुली-भर निस्वार्थ प्यार लिखो....

    बहुत उम्दा.. ईश्वर करे... आपकी लेखनी सदैव यूँ ही प्यार बिखेरती रहे...

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    1. राहुल ......शुभकामनाओं के लिए आभार

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    2. aap bahut achcha likhti hen men fan bun gaya hoon

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    3. bahut bahut abhaar Sayed ji .......mere alfaaz aapke dil tak pahunche ....yahi bahut hai mere liye

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  2. wah ek anjuli bhar nishwarth pyar ki kamna. hmmmm nishwarth pyar thoda mushkil lagta hai but namumkin nahi...........

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    1. Atul sahi kaha mushkil hai namumkin nahi .....shukriya

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  4. आपकी कलम ने सुन्दर रचना प्रसवित की है
    साधुवाद

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  5. मेरे बागीचे में भी
    कुछ पुष्प हैं
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    कृपया समय संयोजित करें
    सादर

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