Sunday, August 19, 2012

स्वतंत्रता के मायने .......


कल मैंने भी स्वतंत्रता दिवस मनाया 
सुबह देर तक सोई
छुट्टी का इस्तेमाल किया

बेटी को था पुरूस्कार मिलना
तो जाके उसकी जगह उसे भी मैंने
ही स्वीकार किया,

क्यूँ ? पूछोगे नहीं ?
हाहाहा ! अरे भई
उसने भी तो कल ही
जी भर के नींद का आनंद  लिया

पकवान बनाए
खाए और खिलाए
बाद उसके छत पर
पतंगबाजी का रसपान किया

दूर गगन में पंछी की भांति
मन-पतंग को फुर्र से उड़ा
हर किसी ने खुद को आज़ाद किया

कितना संतोष पाता है मानव
काट पतंग दूजे की
बो-काटे !चिल्ला कर खुद
को ही हर किसी ने राजा मान लिया


समाज ,राज्य ,देश
नहीं रखते हैं मायने
काट पतंग , दूजे को हरा
अपने स्वाभिमान की भूख को थोडा शांत किया

कितना अजीब है हर खेल यहाँ
पतंग की डोर से
पंख शायद कट जाते होंगे किसी पंछी के
इस बात पर किसी ने न तनिक ध्यान दिया

स्वतंत्र देश में स्वतंत्र विचार
स्वतंत्र आचार-व्यवहार
मित्रों !तभी तक अच्छे
जब हमने दूजे की स्वतंत्रता का भी मान किया.......पूनम (N).








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