Tuesday, September 11, 2012

आज़माइश.........


pic courtsey.....Bharat Patel 




. 
हर पल आज़माइश के क़गार पर ही ख़ुद को खडा पाते हैं
एक इम्तिहान से उभर नहीं पाते हैं हम अभी
सामने एक नयी समस्या से फिर जूझते नज़र आते हैं

जीना पड़ता है ‘आज’ में हर किसी को
पर इस ‘आज ‘ को हरदम ‘कल’ की गिरफ़्त में ही पाते हैं

खुशियों का रेला लगा हो चारों ओर बेशक
दुखों का भँवर घेर लेगा कब
इसी पशो-पेश में ही ख़ुद फंसा पाते हैं

दिल शीशे का नहीं ,काफ़ी मज़बूत है जानते हैं हम
पर इसके टूटने का ही शोक मनाते नज़र आते हैं

अच्छा नहीं इतना उदासीन रवैया, जानते हैं सभी
फिर भी दुखों में डूब कर ही क्यों ग़ज़ल उभार पाते हैं
......poonam (AR)


naye roop mei 

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30 comments:

  1. ekdum sahi baat aur sahi sawaal uthaya hai ....Poonam ......
    दिल शीशे का नहीं ,काफ़ी मज़बूत है जानते हैं हम
    पर इसके टूटने का ही शोक मनाते नज़र आते हैं
    अच्छा नहीं इतना उदासीन रवैया, जानते हैं सभी
    फिर भी दुखों में डूब कर ही क्यों ग़ज़ल उभार पाते हैं......shayad ...khushi ko..log khud hi ke sath manaa lete hai ......par gum khud se bardasht hota nahi...isliye use dusro ke sath bantte hai.....aur sath hi...gum cheej aisi hain...jab dusra bhi sunta hain to us gum ko wo apne gum se relate karke dekhta hain.....isliye gum wali cheejoke liye ek achchi audience mil jati hain...aur popular hoti chali jati hain.....

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    1. swagat hai naresh .......:)sahi kaha ...shayad isliye hi ..tv serials mei bhi aksar bahuyein ashruon kii ganga bahate huye nazar aati hain ..........aur yahi baat serial ki TRP badhati hai ..

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  2. dear frnds .plz preview ur comments and then publish ......thnx a lot

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  3. हर खुशी है लोगों के दामन में,
    पर एक हँसी के लिए वक्त नहीं
    दिन-रात दौड़ती दुनिया में,
    ज़िंदगी के लिए ही वक्त नहीं

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    1. यशोदा जी सही कहा वक्त के हाथों कठपुतली बना है इंसान .....आभार आपका मेरे पढने के लिए आपने कुछ लिखा :)

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  4. keval do line kahna chahunga...............

    main koi patthar nahi insan hun, kaise kah dun gham se ghabrata nahi..............

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    1. अतुल जी ...........गम हो तो घबराना जायज़ है .........पर अनदेखे को सामने रख हर समय चिंता करना कहाँ तक वाजिब है :)))))))))))

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  5. जीना पड़ता है ‘आज’ में हर किसी को
    पर इस ‘आज ‘ को हरदम ‘कल’ की गिरफ़्त में ही पाते हैं

    बिलकुल सच्ची बात कही आपने।

    सादर

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    1. शुक्रिया यशवंत जी .....पसंदगी के लिए

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  6. http://nayi-purani-halchal.blogspot.in......में आप और यशोदा जी मेरी रचनाओं के लिंक देते हैं .....उसके लिए आभारी हूँ
    कृपा मुझे बताएं ......यह बात मै अपने फेसबुक पेज पर कैसे शेयर करूँ ....?

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  7. कबिता की एक एक पंक्ति लाजवाब है जो दिल को छु गई
    में डूब कर ही क्यों गजल उभर पाते है ..... लाजवाब कविता

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    1. शुक्रिया सुधांशु .......ब्लॉग में आके आपने पढ़ा ...और सराहा भी

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  8. बहुत सुन्दर दिल को छु लेनेवाली रचना..
    एक एक बात से सहमत हूँ..
    पर क्या करे दिल पर जोर नहीं चलता
    वो गम में डूबता ..उभरता रहता है..

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    1. रीना जी शुक्रिया .....सच कहा इंसान की फितरत ही दुखों में घिरे रहने कि है .चिंता करना उसका स्वभाव है .......जो मिला ठीक ...जो नही मिला उसकी चिंता में वो अक्सर घुला है :))))))))))))

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  9. मैम आप हमारी पोस्ट का लिंक अपने फेसबुक पेज पर शेयर कर सकती हैं। वैसे मैं आगे से आपकी वॉल पर लिंक देने का ध्यान रखूँगा।

    सादर

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  10. आभार यशवंत जी

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  11. Replies
    1. बात दर्द की नहीं मुकेश जी ............प्यास की है .....जब तक प्यास बाकी है .एक तलाश बाकि है .....तलाश में ही ग़ज़ल उभरती है .......और जहाँ प्यास बुझ गयी .वहीँ तलाश भी ख़त्म और ग़ज़ल का तो उद्गम ही नहीं हो पाता ....:)))))))

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  12. दिल मजबूत होता नहीं...
    बस दिखावा करता है मजबूती का....
    ये तो बड़ा नाज़ुक मिजाज़ होता है......
    ज़रा में टूटता है...ज़रा में गज़ल कह उठता है ...
    :-)

    अनु

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    1. वाह अनु .......यह भी सही .दिखावा ही सही ...बहुत अच्छा लिखा धन्यवाद

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  13. बहुत सुन्दर |पूनम जी आपका दिन शुभ हो |आभार

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    1. shukriya Jaikrishn ji
      ..........sneh banaye rakhein

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  14. पुनः आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 05/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद यशोदा ........कैसी हैं आप
      बहुत दिन से आपको देखा नहीं ?????

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  15. दिल को छू हर एक पंक्ति....

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    1. सुषमा जी धन्यवाद........आपने पढ़ा और सराहा

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  16. जीना पड़ता है ‘आज’ में हर किसी को
    पर इस ‘आज ‘ को हरदम ‘कल’ की गिरफ़्त में ही पाते हैं
    सुन्दर प्रस्तुति . बहुत ही अच्छा लिखा आपने

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    1. मदन जी ......यही सच्चाई देखने में आई है.....'कल' के चक्कर में हमने 'आज' की
      खुशियाँ भी गवाईं हैं
      धन्यवाद

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  17. bahut hi sach kaha aapne poonam ji.....

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    1. Rakesh ji thnx for acknowledging my wrds and view points

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