Thursday, September 6, 2012

ओ! मेरे चंचल शोख मितवा


मधुर ताल, मधुर गान 
मधुर ही हैं ये अधर तोरे 
नयन तोरे धीर, गंभीर 
पर चलाये घनेरे तीर 
हृदय तरंगित हो उठता 
जब पग में बाजे पायल तोरे 
सुन मोरे चंचल, शोख मितवा 
तोरे से जगमग दिन-रैन मोरे 

17 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया



    सादर

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    1. शुक्रिया यशवंत जी ........:)

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  2. गंभीर
    पर चलाये घनेरे तीर
    हृदय तरंगित हो उठता
    जब पग में बाजे पायल तोरे
    सुन मोरे चंचल,,,,,बहुत बहुत बहुत बहुत ही खू ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब

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  3. सुन्दर पंक्तियाँ

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  4. आज 07/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in लिंक की गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. यशवंत जी ये आपका स्नेह है जो आप स्वत: ही मेरी रचनाओं को अपने ब्लॉग द्वारा विस्तृत पहुँच दे रहे हैं .....
      एक सुझाव दें कि मै कैसे अपने ब्लॉग और फेसबुक प्रोफाइल में यह जानकारी शेयर करूँ ?

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  5. महोदया मैंने आपके ब्लॉग देखे किस पोस्ट की तारीफ़ करूँ और किसे छोड़ दूँ ...कभी हमारे घर भी पधारिए आपका स्वागत है पता है ..http://pankajkrsah.blospot.com

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    1. घुमावदार शब्दों में तारीफ़ करने के लिए और निमंत्रण के लिए आभार
      पंकज जी जरूर अवलोकन हेतु आपके ब्लॉग में आना चाहूंगी :)

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  6. शुक्रिया पूनम बहन
    आपसे मुलाकात न होती
    गर ये रचना नई-पुरानी हलचल मे न जाती
    मीठी रचना

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    1. बिलकुल सही कहा आपने यशोदा जी
      यशवंत जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने 'नई-पुरानी हलचल' में मेरी रचनाओं के लिंक शेयर किये ......फेसबुक पर भी मै इसी नाम से हूँ

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  7. आपके मितवा ने मन मोह लिया....
    सुन्दर...

    अनु

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    1. शुक्रिया अनु .......फेसबुक पर कैसे पहचाने आपको :)))))))

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    2. ब्लॉग पर तो पधारें :-)

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  8. shringarrash ki ye kavita wahhhhh bolne ko majboor karti.....

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    1. अतुल ,इतना कटु सत्य /व्यंग्य लिखने वाले आप जैसे लेखक को शृंगार रस पसंद आया .......:) आभार

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