Monday, January 28, 2013
Saturday, January 26, 2013
गणतंत्र दिवस की सभी को बधाई .............
लिखित-अलिखित परम्पराएं
सभ्यता-संस्कृति,रीति-रिवाज़
पूजा, अर्चना, अनुष्ठान, मंत्र
चले इनसे हर घर का तंत्र
गर्वान्वित हमसब भारतवासी
देश हमारा बना गणतंत्र
सौगंध उठाई थी कर्णधारों ने
संविधान-अनुरूप चलेगा तंत्र
आज सोच में डूबी जनता
बीते वर्ष, बढ़ी जनसँख्या
बदला माहोल देश विदेश
बदला न यह हमारा तंत्र
बदले समय की है मांग
बदले हमारे सोच व्यवहार
संविधान में हो संशोधन
सुव्यवस्थित हो चले तंत्र
नारी महसूस करे सुरक्षित
खाने को हो भर-पेट अन्न
देश भक्ति हो कण-कण में
चाक-चौबस हो सुरक्षा तंत्र............... Poonam matia
..................
...............गणतंत्र दिवस की सभी को बधाई .
Sunday, January 20, 2013
वक्त की करवटें .........
तन्हाई में अक्सर ये ख़याल मुझे आता है
इंसा सोचता कुछ है हो कुछ और जाता है
वक्त की करवटों ने बदल दिया इतना मुझे
आइना भी देखूं तो अजनबी नज़र आता है
माटी के बर्तन प्लास्टिक की गुडिया खेलते थे
सोचा किसने था ये वक्त लौट के कहाँ आता है
भीड़ ख्यालात की इतनी रहने लगी ज़हन में
खुद से मिलने का भी वक्त कहाँ मिल पाता है
खिलखिलाके यूँही हंस देते थे हर बात पे हरदम
अब तो हंसने की बात पे भी हंसा कहाँ जाता है
मिलने के बहाने खोजा करते थे जिससे पल-पल
अब उस शक्स का ख्याल भी पूनम कम आता है...............पूनम'पिंक'
Tuesday, January 15, 2013
Sunday, January 6, 2013
dear frnds /प्रिय मित्रों
tomorrow night 12.30 ( 7th jan beginning ) on Sadhna channel ......the prog is coming in which aapki frnd (Poonam Matia) ne bhi kavita paath kiya
रविवार देर रात्रि १२.३० बजे अर्थात (६ जनवरी बीतने के बाद ) आपका लोकप्रिय कार्यक्रम "सतमोला कवियों की चौपाल प्रसारित होगा | इसमें देश की ज्वलंत विषयों पर बहुत ही तीखी कवितायेँ कवियों के व्यंगों के द्वारा सुनने को मिलेंगी | प्रस्तुत एपिसोड में सर्व सुश्री पूनम माटिया , मोहन दिवेदी ,सरबजीत 'गरचा' एवं डॉ रश्मि का काव्यपाठ होगा
Saturday, January 5, 2013
मेरे पहले काव्य -संग्रह
स्वप्न श्रृंगार(शृंगार) से .........और मेरे दिल के बहुत नज़दीक .......
शायद सच .........
बेचैन मैं सुकूं तलाशती रही गली कूंचे में
ए खुदा तूने भी क्या कायनात बनाई है
मुझसे मेरी ही 'शक्सियत' मिल न पायी है
इंतज़ार में जिसके मैं बैठी रही सजदे में
वो कमज़र्फ न जाने छुपी है कितने पर्दों में................पूनम
स्वप्न श्रृंगार(शृंगार) से .........और मेरे दिल के बहुत नज़दीक .......
शायद सच .........
बेचैन मैं सुकूं तलाशती रही गली कूंचे में
ए खुदा तूने भी क्या कायनात बनाई है
मुझसे मेरी ही 'शक्सियत' मिल न पायी है
इंतज़ार में जिसके मैं बैठी रही सजदे में
वो कमज़र्फ न जाने छुपी है कितने पर्दों में................पूनम
Tuesday, January 1, 2013
नववर्ष .... नवजीवन
वजूद इंसानियत का रहे कायम
वक्त का दरिया ले जाये कहीं भी .......पूनम
मिथ्या है या सच
पर सुना है मैंने यही कथन
चली जाती है आत्मा
कुछ पल करने को विचरण
रात्रि के किसी पहर में
जब गहरी निंद्रा में होता तन
जब आत्मा करती
शरीर का फिर से वरण
जागते है हम तभी और
तब होता है नवजीवन
शुष्क, सख्त बीज को मिलता
जब अनुकूल वातावरण
होता है वो तब अंकुरित
तब होता है नवजीवन
फूल खिल के मुरझा जाता
और दे जाता एक दुस्वपन
पर जैसे दिखे नयी कली
तब होता है नवजीवन
अथाह पीड़ा सहती नारी
आँखों में है सुन्दर स्वप्न
जब जनती माँ शिशु को
तब होता है नवजीवन
माँ बाप के आँचल से निकल
बेटी रखती बाहर कदम
पर जब वापिस आये सुरक्षित
तब होता है नवजीवन
मात-पिता की बिटिया प्यारी
सजाती उनका घर आँगन
पर जब बेटी जाती दूजे घर
तब होता है नवजीवन
वृद्धावस्था है एक चुनौती
जानता है यह हर जन
पर बच्चे जब बनते लाठी
तब होता है नवजीवन
पल-पल बदलती इस दुनिया में
भावनाएं बदलती हैं हर क्षण
जन्म लेती है नयी संभावनाएं
तब होता है नवजीवन
पुलकित मन और ऊर्जित तन से
नव वर्ष का हो आगमन
प्रतिपल होते नवजीवन को
आओ करे हम सब नमन.......................................पूनम
दिल में दुःख सभी के है ....परन्तु आशा और विश्वास का दामन नहीं छोड़ना चाहिए ......पटाखे ,पार्टियां नहीं पर नया करने का जज्बा नहीं त्यागना चाहिए ....................इंसानियत रहे जिन्दा सबमे .......इसी आशा के साथ नव वर्ष का स्वागत हमें करना चाहिए .....नकारात्मकता किसी समस्या का हल नहीं होता कभी भी ............'दामिनी' और उस जैसी पीड़ित ,आहत किन्तु ज्वाला से भरपूर सभी लड़कियों को हम नहीं भूलेंगे ......एक ज्वाला .एक लौ जैसे जलते रहना है ताकि बदलाव आये ..........