Saturday, October 29, 2016

आकर तुम मत जाना.

.



जब आँगन में मेघ निरंतर झर-झर बरस रहे हों
ऐसे में दो विकल हृदय मिलने को तरस रहे हों
जब जल-थल सब एक हुए हों, धरती-अम्बर एकम
शोर मचाता पवन चले जब छेड़-छेड़ कर हर दम
ऐसे में तुम आना प्रियतम! ऐसे में  तुम आना


कंपित हो जब देहनेह की आशा लेकर आना
प्रेम-मेंह की एक नवल परिभाषा लेकर आना
लहरों से अठखेली करता चाँद कभी देखा है?
या आतुर लहरों का उठता नाद कभी देखा है?

चंदा बन के आना प्रियतम! चंदा बन के आना

पल-प्रतिपल आकुल-व्याकुल मन, राह निहारे हारा

तुम आयेना पत्र मिलाना कोई पता तुम्हारा
फागुन बीताबीत गया आषाढ़ कि आया सावन
कब आओगेकब आओगेकब आओगे साजन?

आकर तुम मत जाना प्रियतम! आकर तुम मत जाना
…………
पूनम माटिया

मिलकर इस दीपावली, गायें सुख के गान

शहीदों के परिवारों के संग मिलकर दीपावली मनायें , माटी के दीपक जलायें ...शुभकामनाएं .. डॉ. पूनम माटिया(विद्यावाचस्पति)



चहु दिशि ही यह नाद है, भारत देश महान।
उत्सव हैं हर रंग केदिन-दिन बढ़ती शान।।

साफ़-सफाई में जुटें
, हितकर इसको मान ।
कुछ दिन सीमित ना रहे, हो बस इसका ध्यान।।

घर-आँगन सब साफ़ हों
, तन-मन हो सहमान।
जात-पात मज़हब तजें, तज दें हम अभिमान।।

माटी के दीपक जलें
, संस्कृति का हो भान|
सबको ही
रोटी मिले, सबके हों भगवान।|

सुंदर दीपक घी भरा
, सब साजो-सामान।
राम-सिया की भेंट हो, पूजन अरु जलपान।।

‘पूनम’ इच्छा है यही
, ख़ुद को लें पहचान|
घर-घर पूजें राम को
, भीतर से अंजान।|

भारत माँ की आन को, तज दे
ते जो प्रान|
उनके अपने क्यों रहें, ख़ुशियों से अन्जान||

मिलकर इस दीपावली, गायें सुख के गान| 
दीपों की अवली सजे, हो उनका सम्मान||

नर-नारी बच्चों सहित
, सबका है अरमान।
लक्ष्मी इस दीपावली, आयें बन महमान।।

Friday, October 7, 2016

.सादर आमंत्रण......



प्रिय मित्रों !!!!!! आपकी दुआओं के फलस्वरूप....

.सादर आमंत्रण......

बालाजी रामलीला कमेटी, सी बी डी ग्राउंड, करकरडूमा, शाहदरा में जमेगी
सतमोला कवियों की चौपाल
11 अक्टूबर, 2016, सायं 8 बजे,

रामलीला कमेटी और सतमोला ग्रुप के चैयरमेन भाई अनिल मित्तल जी की ओर से आप सादर आमंत्रित हैं।

Praveen Shukla जी आपके, परम आदरणीय Surender Sharma जी तथा अन्य वरिष्ठ कविजन के सानिध्य में पढ़ने का अवसर मिलेगा ........यह गर्व का विषय है मेरे लिए ...
और ख़ास बात कि जो नहीं आ पाते वे अपनेमोबाइल पर लाइव देख़ सकते हैं...... गूगल प्ले स्टोर पर ' श्री बालाजी रामलीला'' app डाउनलोड करें...... ये समाचार रामलीला प्रधान आदरणीय Bhagwat Parshad Rustagi जी ने दिया........
आप सभी की शुभकामनायें चाहियें

.सादर आमंत्रण......



प्रिय मित्रों !!!!!! आपकी दुआओं के फलस्वरूप....

.सादर आमंत्रण......

बालाजी रामलीला कमेटी, सी बी डी ग्राउंड, करकरडूमा, शाहदरा में जमेगी
सतमोला कवियों की चौपाल
11 अक्टूबर, 2016, सायं 8 बजे,

रामलीला कमेटी और सतमोला ग्रुप के चैयरमेन भाई अनिल मित्तल जी की ओर से आप सादर आमंत्रित हैं।

Praveen Shukla जी आपके, परम आदरणीय Surender Sharma जी तथा अन्य वरिष्ठ कविजन के सानिध्य में पढ़ने का अवसर मिलेगा ........यह गर्व का विषय है मेरे लिए ...
और ख़ास बात कि जो नहीं आ पाते वे अपनेमोबाइल पर लाइव देख़ सकते हैं...... गूगल प्ले स्टोर पर ' श्री बालाजी रामलीला'' app डाउनलोड करें...... ये समाचार रामलीला प्रधान आदरणीय Bhagwat Parshad Rustagi जी ने दिया........
आप सभी की शुभकामनायें चाहियें

Saturday, September 24, 2016

मंगल-उत्सव--२० सितम्बर २०१६




फूलों से महक ले लो , तितली से रंग ले लो
उत्सव है आज हर क्षण, आओ कि रंग खेलो
जी हाँ, आज अदबी फ़लक के चमकते सितारे, हिंदी-उर्दू काव्य-मंचों के प्रतिष्ठित शायर जनाब #मंगल नसीम जी के जन्मोत्सव पर मैं हम सब की ओर से उन्हें लम्बे, स्वस्थ एवं व्यस्त जीवन की शुभकामनायें प्रेक्षित करती हूँ|
जिसने कलाम पढ़ लिया मंगल नसीम का
वो बन गया ग़ुलाम-सा मंगल नसीम का
एहसास जो अलफ़ाज़ के घर ढूंढ रहे थे
पाया उन्होंने आसरा मंगल नसीम का 

आदरणीय बालस्वरूप राही जी की ये पंक्तियाँ उस्ताद शायर मंगल नसीम जी पर सटीक बैठती हैं और वहीँ साहित्य में अपने अद्वितीय योगदान से सबको चमत्कृत कर देने वाले शायर जनाब #सर्वेश चंदौस्वीं जी का कहना है कि ‘जब तक मंगल नसीम जैसे ग़ज़ल के परस्तार ग़ज़ल को नसीब होते रहेंगे तब तक ग़ज़ल की मक़बूलियत में इज़ाफ़ा होता रहेगा|’ यहाँ उपस्थित सभी ही मंगल नसीम जी और उनकी शायरी के चाहने वाले हैं और शायद ही कोई हो जो उनके व्यक्तित्व–कृतित्व से अनभिज्ञ हो किन्तु फिर भी मैं आपके सामने उनके जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों को रखना चाहती हूँ |
२०१५ में मंगल नसीम जी से साक्षात्कार के दौरान बहुत सी जानकारी हासिल हुई| आपका जन्म पुरानी दिल्ली के कटरा ईश्वर भवन, खारी बावली में २० सितम्बर १९५५ को हुआ|आपके पिता श्री रामेश्वर दास जी का कत्थे का कारोबार था सो घर में सिर्फ़ कारोबारी माहौल था|शायरी के बादल घर के क़रीब से भी गुज़रने से परहेज़ करते थे|चार भाई–बहिनों में दूसरे नंबर पर दुनिया में आये आपका नाम मंगल सेन शर्मा था| कटरा बढ़िआन, नया बांस पहला मदरसा था| सन् १९६६ में रोहताश नगर, शाहदरा में आ गए| एक दिन काम पर जाते हुए आपके पिता जी बेहोश हो गए| समय पर मदद मिलने के कारण स्वस्थ तो वे हो गए किन्तु बच्चों के सर पर छत बनाने की चिंता प्रगाढ़ हो गयी| इसी के फलस्वरूप १९६७ में यह बलबीर नगर स्थित मकान खरीदा और घर में तब्दील किया| तो मित्रों ये १९६६ में ही तय हो गया था कि #पूनम माटिया भी दुनिया में आने के बाद कभी दिलशाद गार्डन निवासी बनेगीं और ‘मंगल नसीम’ का साक्षात्कार लेंगी तो उन्हें क़रीब ही बलबीर नगर में होना चाहिए| 
ख़ैर आगे बढ़ते हैं – मंगल नसीम जी ने दिल्ली के ही रामलाल आनंद कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और पढ़ाई में ज़हीन होने के कारण कॉलेज के पहले साल तक टॉप किया|
क्या सीरत क्या सूरत थी/माँ ममता की मूरत थी/पाँव छुए और काम हुए/अम्मा एक महुरत थी .... इन कालजेयी पंक्तियों को कहने वाले मंगल नसीम कब और कैसे वाणिज्य से ग़ज़ल की ओर आकृष्ट हुए इसका भी बड़ा रोचक किस्सा है| 



अब आया ध्यान-ए-आरामे-जां इस नामुरादी में /कफ़न देना तुझे भूला था मैं असबाबे शादी में’ .. हक़ीम मोमिन खां मोमिन के इस शेर ने कारोबार से त’अल्लुक रखने वाले ख़ानदान के चिराग़ को ऐसे अपनी ओर आकर्षित किया कि आज तक आप गेसू-ए-ग़ज़ल की गिरफ़्त से आज़ाद नहीं हो पाए, न होना ही चाहते हैं बल्कि अब तो देश-विदेश में आप शिष्यों की श्रंखला दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है|
सीने के ज़ख्म दर्द उभारे चले गये/जैसी भी हमपे गुज़री गुज़ारे चले गये/कश्ती मेरे वजूद की जब डूबने लगी/दो हाथ और दूर किनारे चले गये- इस ग़ज़ल से शायरी की दुनिया में आपने दस्तक दी|कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में प्राणी विज्ञान के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट जनाब #सत्य प्रकाश शर्मा ‘तफ़्ता’  ने आपको अपना शिष्य स्वीकार किया| इस तरह आपका त’अल्लुक ‘दाग़’ स्कूल से हो गया| अक्सर आपके उस्ताद ऐसा कहा करते थे - ‘“मंगल जब शेर पढ़ता है तो ऐसा लगता है जैसे हौले-हौले बादे नसीम चलती है’ और यूँ आप ‘मंगल नसीम’ हो गए|
विशुद्ध ब्राह्मण परिवार का होने के कारण उर्दू सीखने के लिए बहुत पापड़ बेले- जामा मस्जिद से दो कायदे खरीदे और फिर शब्दों की शिनाख्त़ आई| ख़ुद को टेस्ट करने के लिए दवाइयों की शीशीओ पर लगे लेबल, मुस्लिम बस्तियों में दुकानों के साईन-बोर्ड पढ़-पढ़ कर आपने रियाज़ किया और इस दौरान काफ़ी चोटें और लोगों की मार भी खाई क्योंकि अपनी धुन में दुकानों के बोर्ड देखते हुए अक्सर औरों से आपकी टक्कर हो जाया करती थी| फिर ५-६ लाइब्रेरियों की ग़ज़लों की सभी किताबें भी आपने पढ़ डालीं| 
आपने ग़ज़ल को अपना शौक़ नहीं बनाया बल्कि इबादत का दर्जा दिया| आप एक मिसाल हैं जिन्होंने न तो एक दिन में ग़ज़ल सीखी, न एक दिन में कही यहाँ तक कि अपने कहे मिसरों को शेर भी नहीं माना जब तक उस्ताद की मुहर नहीं लगी| औसतन एक साल में में दो ग़ज़ल कहने वाले आप के दो शेरी मज्मुए-१९९२ में ‘पर नहीं अपने’ जिसमें ४० ग़ज़लें हैं और ठीक अठारह वर्ष बाद २०१० में ‘तीतर पंखी’जिसमें ३९ ग़ज़लें हैं मंज़रे –आम पर आये हैं| १९ (उन्नीस) नौकरियाँ करने और उन्नीस ही इस्तीफ़े देने के बाद आप प्रकाशन के क्षेत्र में आये और आज ‘अमृत प्रकाशन’, ‘पलाश प्रकाशन’ दोनों ही देश की चर्चित प्रकाशन संस्थाओं में गिने जाते हैं|
मैं ख़ुशकिस्मत हूँ कि मेरा तीसरा काव्य संकलन –‘#अभी तो सागर शेष है ....’ भी अमृत प्रकाशन से आया है और प्रकाशन के दौरान आपसे मैंने बहुत कुछ सीखा| सबसे बड़ी बात कि छोटी-बड़ी कोई बात हो आप उस पर चर्चा करते हैं ये आपके व्यक्तित्व की सहजता एवं विशालता दोनों को दर्शाता है| इसलिए ही अपने-पन का एहसास आपके दायरे में आने वाले हर शख्स़ को होता है| पिछले तीन वर्ष से आपके जन्मदिवस के उत्सव का हिस्सा बन रही हूँ और देख रही हूँ कि आप के सभी शागिर्द आप के आत्मीय हैं चाहे हास्य व्यंग्य के चर्चित हस्ताक्षर डॉ. प्रवीण शुक्ल हों या चंद्रमणि चन्दन जी, पदम् प्रतीक जी, पवन दीक्षित जी, दीप्ति मिश्र ,गुनवीर राणा, दिनेश रघुवंशी, दीपक गुप्ता, जगदीश भारद्वाज जी ..सभी ही गर्वान्वित होते हैं आप से जुड़कर|
इंग्लैंड के चौदह शहरों में और अमरीका के नौ शहरों में आप काव्य पाठ कर चुके हैं| लाल किले के प्रतिष्ठित मंच को भी आप सु-शोभित कर चुके हैं कई बार| आपके अनुभव से यहाँ उपस्थित सभी लाभान्वित हो इसलिए आपकी सोच, आपके विचार सबके समक्ष रखना चाहती हूँ|आपको अक्सर कहते सुना है –‘नस्ले-नौ को चाहिए कि बस बड़ों का आशीर्वाद कमाए क्योंकि उनके आशीष में ही ईश्वर का वास है’ और यह भी कि जीवन जीयें मरने के बाद के लिए- जितनी उम्र है उतना तो सभी जीयेंगे ही परन्तु मरने के बाद भी लोग आपको याद रखें, तो ऐसा जीवन जिओ और यह तब ही हो सकता है जब हम ‘लेने’ की नहीं बल्कि ‘देने’ की मानसिकता रखें|’
एक बार पुन: जन्मदिन की बधाई |
......... पूनम माटिया 
Poonam.matia@gmail.com

मंगल-उत्सव--२० सितम्बर २०१६








फूलों से महक ले लो , तितली से रंग ले लो
उत्सव है आज हर क्षण, आओ कि रंग खेलो
जी हाँ, आज अदबी फ़लक के चमकते सितारे, हिंदी-उर्दू काव्य-मंचों के प्रतिष्ठित शायर जनाब #मंगल नसीम जी के जन्मोत्सव पर मैं हम सब की ओर से उन्हें लम्बे, स्वस्थ एवं व्यस्त जीवन की शुभकामनायें प्रेक्षित करती हूँ|
जिसने कलाम पढ़ लिया मंगल नसीम का
वो बन गया ग़ुलाम-सा मंगल नसीम का
एहसास जो अलफ़ाज़ के घर ढूंढ रहे थे
पाया उन्होंने आसरा मंगल नसीम का 

आदरणीय बालस्वरूप राही जी की ये पंक्तियाँ उस्ताद शायर मंगल नसीम जी पर सटीक बैठती हैं और वहीँ साहित्य में अपने अद्वितीय योगदान से सबको चमत्कृत कर देने वाले शायर जनाब #सर्वेश चंदौस्वीं जी का कहना है कि ‘जब तक मंगल नसीम जैसे ग़ज़ल के परस्तार ग़ज़ल को नसीब होते रहेंगे तब तक ग़ज़ल की मक़बूलियत में इज़ाफ़ा होता रहेगा|’ यहाँ उपस्थित सभी ही मंगल नसीम जी और उनकी शायरी के चाहने वाले हैं और शायद ही कोई हो जो उनके व्यक्तित्व–कृतित्व से अनभिज्ञ हो किन्तु फिर भी मैं आपके सामने उनके जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों को रखना चाहती हूँ |
२०१५ में मंगल नसीम जी से साक्षात्कार के दौरान बहुत सी जानकारी हासिल हुई| आपका जन्म पुरानी दिल्ली के कटरा ईश्वर भवन, खारी बावली में २० सितम्बर १९५५ को हुआ|आपके पिता श्री रामेश्वर दास जी का कत्थे का कारोबार था सो घर में सिर्फ़ कारोबारी माहौल था|शायरी के बादल घर के क़रीब से भी गुज़रने से परहेज़ करते थे|चार भाई–बहिनों में दूसरे नंबर पर दुनिया में आये आपका नाम मंगल सेन शर्मा था| कटरा बढ़िआन, नया बांस पहला मदरसा था| सन् १९६६ में रोहताश नगर, शाहदरा में आ गए| एक दिन काम पर जाते हुए आपके पिता जी बेहोश हो गए| समय पर मदद मिलने के कारण स्वस्थ तो वे हो गए किन्तु बच्चों के सर पर छत बनाने की चिंता प्रगाढ़ हो गयी| इसी के फलस्वरूप १९६७ में यह बलबीर नगर स्थित मकान खरीदा और घर में तब्दील किया| तो मित्रों ये १९६६ में ही तय हो गया था कि #पूनम माटिया भी दुनिया में आने के बाद कभी दिलशाद गार्डन निवासी बनेगीं और ‘मंगल नसीम’ का साक्षात्कार लेंगी तो उन्हें क़रीब ही बलबीर नगर में होना चाहिए| 
ख़ैर आगे बढ़ते हैं – मंगल नसीम जी ने दिल्ली के ही रामलाल आनंद कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और पढ़ाई में ज़हीन होने के कारण कॉलेज के पहले साल तक टॉप किया|
क्या सीरत क्या सूरत थी/माँ ममता की मूरत थी/पाँव छुए और काम हुए/अम्मा एक महुरत थी .... इन कालजेयी पंक्तियों को कहने वाले मंगल नसीम कब और कैसे वाणिज्य से ग़ज़ल की ओर आकृष्ट हुए इसका भी बड़ा रोचक किस्सा है| 



अब आया ध्यान-ए-आरामे-जां इस नामुरादी में /कफ़न देना तुझे भूला था मैं असबाबे शादी में’ .. हक़ीम मोमिन खां मोमिन के इस शेर ने कारोबार से त’अल्लुक रखने वाले ख़ानदान के चिराग़ को ऐसे अपनी ओर आकर्षित किया कि आज तक आप गेसू-ए-ग़ज़ल की गिरफ़्त से आज़ाद नहीं हो पाए, न होना ही चाहते हैं बल्कि अब तो देश-विदेश में आप शिष्यों की श्रंखला दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है|
सीने के ज़ख्म दर्द उभारे चले गये/जैसी भी हमपे गुज़री गुज़ारे चले गये/कश्ती मेरे वजूद की जब डूबने लगी/दो हाथ और दूर किनारे चले गये- इस ग़ज़ल से शायरी की दुनिया में आपने दस्तक दी|कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में प्राणी विज्ञान के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट जनाब #सत्य प्रकाश शर्मा ‘तफ़्ता’  ने आपको अपना शिष्य स्वीकार किया| इस तरह आपका त’अल्लुक ‘दाग़’ स्कूल से हो गया| अक्सर आपके उस्ताद ऐसा कहा करते थे - ‘“मंगल जब शेर पढ़ता है तो ऐसा लगता है जैसे हौले-हौले बादे नसीम चलती है’ और यूँ आप ‘मंगल नसीम’ हो गए|
विशुद्ध ब्राह्मण परिवार का होने के कारण उर्दू सीखने के लिए बहुत पापड़ बेले- जामा मस्जिद से दो कायदे खरीदे और फिर शब्दों की शिनाख्त़ आई| ख़ुद को टेस्ट करने के लिए दवाइयों की शीशीओ पर लगे लेबल, मुस्लिम बस्तियों में दुकानों के साईन-बोर्ड पढ़-पढ़ कर आपने रियाज़ किया और इस दौरान काफ़ी चोटें और लोगों की मार भी खाई क्योंकि अपनी धुन में दुकानों के बोर्ड देखते हुए अक्सर औरों से आपकी टक्कर हो जाया करती थी| फिर ५-६ लाइब्रेरियों की ग़ज़लों की सभी किताबें भी आपने पढ़ डालीं| 
आपने ग़ज़ल को अपना शौक़ नहीं बनाया बल्कि इबादत का दर्जा दिया| आप एक मिसाल हैं जिन्होंने न तो एक दिन में ग़ज़ल सीखी, न एक दिन में कही यहाँ तक कि अपने कहे मिसरों को शेर भी नहीं माना जब तक उस्ताद की मुहर नहीं लगी| औसतन एक साल में में दो ग़ज़ल कहने वाले आप के दो शेरी मज्मुए-१९९२ में ‘पर नहीं अपने’ जिसमें ४० ग़ज़लें हैं और ठीक अठारह वर्ष बाद २०१० में ‘तीतर पंखी’जिसमें ३९ ग़ज़लें हैं मंज़रे –आम पर आये हैं| १९ (उन्नीस) नौकरियाँ करने और उन्नीस ही इस्तीफ़े देने के बाद आप प्रकाशन के क्षेत्र में आये और आज ‘अमृत प्रकाशन’, ‘पलाश प्रकाशन’ दोनों ही देश की चर्चित प्रकाशन संस्थाओं में गिने जाते हैं|
मैं ख़ुशकिस्मत हूँ कि मेरा तीसरा काव्य संकलन –‘#अभी तो सागर शेष है ....’ भी अमृत प्रकाशन से आया है और प्रकाशन के दौरान आपसे मैंने बहुत कुछ सीखा| सबसे बड़ी बात कि छोटी-बड़ी कोई बात हो आप उस पर चर्चा करते हैं ये आपके व्यक्तित्व की सहजता एवं विशालता दोनों को दर्शाता है| इसलिए ही अपने-पन का एहसास आपके दायरे में आने वाले हर शख्स़ को होता है| पिछले तीन वर्ष से आपके जन्मदिवस के उत्सव का हिस्सा बन रही हूँ और देख रही हूँ कि आप के सभी शागिर्द आप के आत्मीय हैं चाहे हास्य व्यंग्य के चर्चित हस्ताक्षर डॉ. प्रवीण शुक्ल हों या चंद्रमणि चन्दन जी, पदम् प्रतीक जी, पवन दीक्षित जी, दीप्ति मिश्र ,गुनवीर राणा, दिनेश रघुवंशी, दीपक गुप्ता, जगदीश भारद्वाज जी ..सभी ही गर्वान्वित होते हैं आप से जुड़कर|
इंग्लैंड के चौदह शहरों में और अमरीका के नौ शहरों में आप काव्य पाठ कर चुके हैं| लाल किले के प्रतिष्ठित मंच को भी आप सु-शोभित कर चुके हैं कई बार| आपके अनुभव से यहाँ उपस्थित सभी लाभान्वित हो इसलिए आपकी सोच, आपके विचार सबके समक्ष रखना चाहती हूँ|आपको अक्सर कहते सुना है –‘नस्ले-नौ को चाहिए कि बस बड़ों का आशीर्वाद कमाए क्योंकि उनके आशीष में ही ईश्वर का वास है’ और यह भी कि जीवन जीयें मरने के बाद के लिए- जितनी उम्र है उतना तो सभी जीयेंगे ही परन्तु मरने के बाद भी लोग आपको याद रखें, तो ऐसा जीवन जिओ और यह तब ही हो सकता है जब हम ‘लेने’ की नहीं बल्कि ‘देने’ की मानसिकता रखें|’
एक बार पुन: जन्मदिन की बधाई |
......... पूनम माटिया 
Poonam.matia@gmail.com

मंगल-उत्सव--२० सितम्बर २०१६




फूलों से महक ले लो , तितली से रंग ले लो
उत्सव है आज हर क्षण, आओ कि रंग खेलो
जी हाँ, आज अदबी फ़लक के चमकते सितारे, हिंदी-उर्दू काव्य-मंचों के प्रतिष्ठित शायर जनाब #मंगल नसीम जी के जन्मोत्सव पर मैं हम सब की ओर से उन्हें लम्बे, स्वस्थ एवं व्यस्त जीवन की शुभकामनायें प्रेक्षित करती हूँ|
जिसने कलाम पढ़ लिया मंगल नसीम का
वो बन गया ग़ुलाम-सा मंगल नसीम का
एहसास जो अलफ़ाज़ के घर ढूंढ रहे थे
पाया उन्होंने आसरा मंगल नसीम का 

आदरणीय बालस्वरूप राही जी की ये पंक्तियाँ उस्ताद शायर मंगल नसीम जी पर सटीक बैठती हैं और वहीँ साहित्य में अपने अद्वितीय योगदान से सबको चमत्कृत कर देने वाले शायर जनाब #सर्वेश चंदौस्वीं जी का कहना है कि ‘जब तक मंगल नसीम जैसे ग़ज़ल के परस्तार ग़ज़ल को नसीब होते रहेंगे तब तक ग़ज़ल की मक़बूलियत में इज़ाफ़ा होता रहेगा|’ यहाँ उपस्थित सभी ही मंगल नसीम जी और उनकी शायरी के चाहने वाले हैं और शायद ही कोई हो जो उनके व्यक्तित्व–कृतित्व से अनभिज्ञ हो किन्तु फिर भी मैं आपके सामने उनके जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों को रखना चाहती हूँ |
२०१५ में मंगल नसीम जी से साक्षात्कार के दौरान बहुत सी जानकारी हासिल हुई| आपका जन्म पुरानी दिल्ली के कटरा ईश्वर भवन, खारी बावली में २० सितम्बर १९५५ को हुआ|आपके पिता श्री रामेश्वर दास जी का कत्थे का कारोबार था सो घर में सिर्फ़ कारोबारी माहौल था|शायरी के बादल घर के क़रीब से भी गुज़रने से परहेज़ करते थे|चार भाई–बहिनों में दूसरे नंबर पर दुनिया में आये आपका नाम मंगल सेन शर्मा था| कटरा बढ़िआन, नया बांस पहला मदरसा था| सन् १९६६ में रोहताश नगर, शाहदरा में आ गए| एक दिन काम पर जाते हुए आपके पिता जी बेहोश हो गए| समय पर मदद मिलने के कारण स्वस्थ तो वे हो गए किन्तु बच्चों के सर पर छत बनाने की चिंता प्रगाढ़ हो गयी| इसी के फलस्वरूप १९६७ में यह बलबीर नगर स्थित मकान खरीदा और घर में तब्दील किया| तो मित्रों ये १९६६ में ही तय हो गया था कि #पूनम माटिया भी दुनिया में आने के बाद कभी दिलशाद गार्डन निवासी बनेगीं और ‘मंगल नसीम’ का साक्षात्कार लेंगी तो उन्हें क़रीब ही बलबीर नगर में होना चाहिए| 
ख़ैर आगे बढ़ते हैं – मंगल नसीम जी ने दिल्ली के ही रामलाल आनंद कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और पढ़ाई में ज़हीन होने के कारण कॉलेज के पहले साल तक टॉप किया|
क्या सीरत क्या सूरत थी/माँ ममता की मूरत थी/पाँव छुए और काम हुए/अम्मा एक महुरत थी .... इन कालजेयी पंक्तियों को कहने वाले मंगल नसीम कब और कैसे वाणिज्य से ग़ज़ल की ओर आकृष्ट हुए इसका भी बड़ा रोचक किस्सा है| 



अब आया ध्यान-ए-आरामे-जां इस नामुरादी में /कफ़न देना तुझे भूला था मैं असबाबे शादी में’ .. हक़ीम मोमिन खां मोमिन के इस शेर ने कारोबार से त’अल्लुक रखने वाले ख़ानदान के चिराग़ को ऐसे अपनी ओर आकर्षित किया कि आज तक आप गेसू-ए-ग़ज़ल की गिरफ़्त से आज़ाद नहीं हो पाए, न होना ही चाहते हैं बल्कि अब तो देश-विदेश में आप शिष्यों की श्रंखला दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है|
सीने के ज़ख्म दर्द उभारे चले गये/जैसी भी हमपे गुज़री गुज़ारे चले गये/कश्ती मेरे वजूद की जब डूबने लगी/दो हाथ और दूर किनारे चले गये- इस ग़ज़ल से शायरी की दुनिया में आपने दस्तक दी|कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में प्राणी विज्ञान के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट जनाब #सत्य प्रकाश शर्मा ‘तफ़्ता’  ने आपको अपना शिष्य स्वीकार किया| इस तरह आपका त’अल्लुक ‘दाग़’ स्कूल से हो गया| अक्सर आपके उस्ताद ऐसा कहा करते थे - ‘“मंगल जब शेर पढ़ता है तो ऐसा लगता है जैसे हौले-हौले बादे नसीम चलती है’ और यूँ आप ‘मंगल नसीम’ हो गए|
विशुद्ध ब्राह्मण परिवार का होने के कारण उर्दू सीखने के लिए बहुत पापड़ बेले- जामा मस्जिद से दो कायदे खरीदे और फिर शब्दों की शिनाख्त़ आई| ख़ुद को टेस्ट करने के लिए दवाइयों की शीशीओ पर लगे लेबल, मुस्लिम बस्तियों में दुकानों के साईन-बोर्ड पढ़-पढ़ कर आपने रियाज़ किया और इस दौरान काफ़ी चोटें और लोगों की मार भी खाई क्योंकि अपनी धुन में दुकानों के बोर्ड देखते हुए अक्सर औरों से आपकी टक्कर हो जाया करती थी| फिर ५-६ लाइब्रेरियों की ग़ज़लों की सभी किताबें भी आपने पढ़ डालीं| 
आपने ग़ज़ल को अपना शौक़ नहीं बनाया बल्कि इबादत का दर्जा दिया| आप एक मिसाल हैं जिन्होंने न तो एक दिन में ग़ज़ल सीखी, न एक दिन में कही यहाँ तक कि अपने कहे मिसरों को शेर भी नहीं माना जब तक उस्ताद की मुहर नहीं लगी| औसतन एक साल में में दो ग़ज़ल कहने वाले आप के दो शेरी मज्मुए-१९९२ में ‘पर नहीं अपने’ जिसमें ४० ग़ज़लें हैं और ठीक अठारह वर्ष बाद २०१० में ‘तीतर पंखी’जिसमें ३९ ग़ज़लें हैं मंज़रे –आम पर आये हैं| १९ (उन्नीस) नौकरियाँ करने और उन्नीस ही इस्तीफ़े देने के बाद आप प्रकाशन के क्षेत्र में आये और आज ‘अमृत प्रकाशन’, ‘पलाश प्रकाशन’ दोनों ही देश की चर्चित प्रकाशन संस्थाओं में गिने जाते हैं|
मैं ख़ुशकिस्मत हूँ कि मेरा तीसरा काव्य संकलन –‘#अभी तो सागर शेष है ....’ भी अमृत प्रकाशन से आया है और प्रकाशन के दौरान आपसे मैंने बहुत कुछ सीखा| सबसे बड़ी बात कि छोटी-बड़ी कोई बात हो आप उस पर चर्चा करते हैं ये आपके व्यक्तित्व की सहजता एवं विशालता दोनों को दर्शाता है| इसलिए ही अपने-पन का एहसास आपके दायरे में आने वाले हर शख्स़ को होता है| पिछले तीन वर्ष से आपके जन्मदिवस के उत्सव का हिस्सा बन रही हूँ और देख रही हूँ कि आप के सभी शागिर्द आप के आत्मीय हैं चाहे हास्य व्यंग्य के चर्चित हस्ताक्षर डॉ. प्रवीण शुक्ल हों या चंद्रमणि चन्दन जी, पदम् प्रतीक जी, पवन दीक्षित जी, दीप्ति मिश्र ,गुनवीर राणा, दिनेश रघुवंशी, दीपक गुप्ता, जगदीश भारद्वाज जी ..सभी ही गर्वान्वित होते हैं आप से जुड़कर|
इंग्लैंड के चौदह शहरों में और अमरीका के नौ शहरों में आप काव्य पाठ कर चुके हैं| लाल किले के प्रतिष्ठित मंच को भी आप सु-शोभित कर चुके हैं कई बार| आपके अनुभव से यहाँ उपस्थित सभी लाभान्वित हो इसलिए आपकी सोच, आपके विचार सबके समक्ष रखना चाहती हूँ|आपको अक्सर कहते सुना है –‘नस्ले-नौ को चाहिए कि बस बड़ों का आशीर्वाद कमाए क्योंकि उनके आशीष में ही ईश्वर का वास है’ और यह भी कि जीवन जीयें मरने के बाद के लिए- जितनी उम्र है उतना तो सभी जीयेंगे ही परन्तु मरने के बाद भी लोग आपको याद रखें, तो ऐसा जीवन जिओ और यह तब ही हो सकता है जब हम ‘लेने’ की नहीं बल्कि ‘देने’ की मानसिकता रखें|’
एक बार पुन: जन्मदिन की बधाई |
......... पूनम माटिया 
Poonam.matia@gmail.com

Friday, July 22, 2016

नयी चेतना लायें-शिक्षक दिवस मनाये



आओ इस शिक्षक दिवस कुछ नया कर जायें
कुछ नया सोचे कुछ नयी नीति अपनाये |
डा राधा कृष्णन के जन्म दिवस को यूँही 
हल्के में सिर्फ नाच-गाकर ही न बिताएं |
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||

अफसर-शाही, सरकारी बाबू सब इसने दिए 
पर क्या सही दिशा निर्माण हम कर पाए ?
अंग्रेजो ने तो स्वार्थ सार्थक किये थे अपने 
पर क्या अपनों ने अपने सही कर्म निभाए ?
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||

पाणिनि ने कभी दिया था व्याकरण 
चरक की विधा चरक-संहिता कहलाये|
चाणक्य बने थे कूटनीति के ज्ञाता 
शिक्षा आज क्यों विद्यार्थी कोजी-हजूरबनाए?
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||

कभी सशक्त रही थी अपनी शिक्षा प्रणाली 
पर फिर भी आज क्यों शिक्षा पिछड़ी जाए?
शिक्षक दिवस पर क्यों न फिर से सोचे 
गुरु-शिष्य परम्परा अपना, फिर क्रांति लाये |
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||

आओ शपथ ले आज हम सब मिल कर 
बस पाठ्यक्रम की पूर्ति न एक ध्येय बनाए |
तर्क-वितर्क जो कभी आधार था शिक्षा तंत्र का 
उसे फिर से अपना कर, आत्मविश्वास जगाए |
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||

एक ही ढर्रे पर चला-चला के दिमाग को 
क्यों हम अपनी सृजन क्षमता घटाए |
उन्मुक्त सोच और बढ़ा निर्णय क्षमता को 
आओ फिर से एक समृद्ध भारत बनाए |
आओ इस शिक्षक दिवस ……………||........पूनम माटिया 


Tuesday, June 7, 2016

Social umrella has showcased My Profile on their site

http://socialumbrella.in/2016/06/05/poonam-matia/

happy to know  that Social umrella has showcased My Profile on their site ..

Born in 1966 on 29th July, Poonam Matia is the third child of Lt. Mrs Maina Gupta and Mr S.L. Gupta. Schooling and upbriging was done in Karol Bagh, New Delhi. Since childhood she has been a bright student, always in good books of the teachers. Among two daughters and three sons, Poonam nee Pinki is the only child who has taken generic urdu and shayri likings of grand parents(who hailed from Rawalpindi and Lahore, pre independent)and her father. Graduation and further studies were done from Lady Irwin College, Delhi university. She was among the 16 chosen ones who won Junior Research Fellowship from ICAR.

Studies kept her occupied till marriage. Marriage to a civil engineer Naresh Matia in 1988 was a turning point in her life. Poetry took its growth from there onwards.
Dr Poonam Matia is a proud mother of two beautiful, intelligent daughters and a grandmother of one year old angelic granddaughter.
Poonam Matia, who has been a PGT Home Science and a tutor of Science, English and Mathematics since long, MSc, BEd, and MBA by academic qualification, had keen interest in reading, be a text book or fiction. Gradually, this light interest shifted to writing short verses, skits and articles.
It’s quite astonishing to see the improvement rather magical unfolding in her writing which very clearly showcases the aroma of Ganga-Jamuni cult. She hasn’t been a student of Urdu in any part of her life and Hindi as academics was also limited to middle school levels only. But her interest in Urdu made her learn basics after the marriage of her daughter i.e. just two years back.
Her three, poetry collections viz. ‘Swapn Shringaar’  ‘Armaan’ and ‘Abhi to Sagar Shesh Hai….’ have been welcomed with open arms by the readers, which comprised of beautiful, emotional, life exemplifying compositions with more of romantic flavour. Using simple language, her writings reaches depths and heights of human relations with which the readers of all ages, both sexes are able to identify with. Her poetry has a music, a sing-song emotive connotation that can be experienced only when we go deeper and sway with her words picturised in different short and long compositions. The third collection includes a few qata’t (4 liners) and ghazals, too. Besides these three solo collections, her work has also been included in five joint poetic collections namely -‘Stri hokar swaal karti hai …’.and ‘Apne Apne Sapne’, ‘Tuhin’, Jahane-ghazal’ and ‘Kavita Anavarat’ . All being in Hindi except Jahaan-e-ghazal which has come up in Urdu.
Her books have come from pan India viz Abohar (Punjab), Bikaner(Rajasthan),  Jaipur(Rajasthan) , Ghaziabad and Amroha(UP),and three from New Delhi.
Writing has been a passion which has taken a color of profession, too with passing years. Not only in Hindi but in English, too Poonam Matia writes equally well though her work in English has still not taken the shape of a book.
She has been participating in various poetic meets in Delhi and around with her entirely a different style of reading and delivering the content poems. Over Past three years she has been on various reputed stages for poems and ghazals. Slowly but steadily she has gained name in Mushayeras and kavi sammelans.

Earlier writers, poets used to struggle a lot to get their work published. But with the advent of social sites like facebook, Twitter, Google plus etc  a lot of  hidden talent has been coming to fore front and Dr Poonam Matia has been one such name to reckon with. She has a remarkable facebook presence with her two profiles, namely Poonam Matia and Matia Poonam with a reach of about 60-70 thousand friends and followers. She, maintains a few pages on facebook and a blog-‘Khyaal hain panne zehan eik kitaab..’ too.

She has recently been awarded with ‘Vidya Vachaspati’ which entitles her to be addressed as Dr Poonam Matia. Besides this, many a known awards and recognitions she has earned like …..Rajiv Gandhi excellence award ,2012 given by Shri Parkash Jaiswal (then coal minister), Bharat gaurav award-2012, given by Smti Anu Tandon (then MP), ‘hum sath sath group’ sponsered Saraswati award,2012 Bharatpur , Rajasthan , Shobhna kavya Ratn samman ,Delhi ,2012 ,Kayakalp Sahitya Shri samman, Noida,Narayani Sahitya samman, Delhi, 2013, Sarbhasha Sanskriti Samman, 2013, India Achievement award .Meher Times journlist association ,2014, Bharteey Mahila Gaurav award , 2015, Samta Award 2015 by the hands of Smt. Sheila Dixit(earlier CM of Delhi)2015, Award by the CM of Assam Mr Tarun Gogoi, 2015, Pride of the country Award , 2016, Karnal  to name a few. Her poem ‘anubhav ke rang’ won first prize in Vishva Hindi Kavita Pratiyogita organised In Mauritius by Joint Indian and Mauritian Govt agency.

After being  published in various print and online magzines and newspapers and being recognised across India , Poonam was awarded by ‘Akhil Bharteey Rustagi sabha’ with ‘Vyakti Vishesh Lekhak samman’ and after that Rustagi Sabha, Dilshad Garden, too applauded her success with great enthusiasm.
As a Literary editor of monthly magazine ‘True media’, this is consecutively third year Poonam Matia has been creatively contributing to raise the level of magazine such that with collective effort of the team, the magazine has engraved its name in India Book of records. In depth  personal interviews have been a constant feature of this magazine where Poonam has taken interviews of Internationally acclaimed Poet Dr Kunwar Bechain; Mr BL Gaur , a name equally well known in construction Industry(Gaur sons) and Literature (poetry and journalism); Pt  Suresh Neerav , a  well known  poet , thinker and Ex copy editor of popular Hindi magazine Kadambni; Mrs Urmil Satyabhushan , a dynamic writer and theater person; Sant Shree Suman Bhai Manas Bhushan , Ujjain…………and many others. She has also been constantly engaged in taking radio interviews ( Senior poetry stalwart Mr Balswaroop Rahi) and Video interviews(famous Poet Mr Praveen Shukla).
Along with writing, speaking on various issues and anchoring she writes small plays and act in them also.
She has been reading poetry on various TV channels like Doordarshan , Janta TV, SaharaTV, India News, Channelone News  and such,
Another dimension of her personality has also come to forefront in recent times when she participated and won many titles too… and that’s the Caused based Fashion shows.
She participated with her daughter in ‘Tu Hi re’ ….. a show for Beti Bachao, beti padhao and won second position and then she went on to participate In All India Homemakers India 2016 and won Titles like Mrs Most Inspirational and Mrs most Intellactual ( By Social umbrella Group)
Poonam Matia give credits to family and various learned friends who she considers as God sent to guide her path in the field of literature.

Tuesday, March 8, 2016

Participating in Mrs. India home makers edition 2016

There are total seventeen contestants in this show
MEENA ARORA, MUKTA VERMA, REEMA BANSAL, KOUSER MALIK, RIEA MEHRA, SUNAYNA, NIDHI GOEL, POONAM MATIA, SHARD SINGH  from New Delhi, SAZIA KHAN from Aligarh, EVA SANGMA, MARY from Meghalaya, BANTI NATH, CHANDAMITA SAIKIA fromGuwahati, SHIVI JAISWAL from Allahabad, and SANGHAMITRA DEKA, AHEMDABADhe first round:- 17 finalists shall walk the stage in beautiful creations from the designer YURA MARY and give a brief description of themselves to the audience and judges.
In the first round 17 finalists shall walk the stage in beautiful creations from the designer YURA MARY and give a brief description of themselves to the audience and judges.

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1052956081436255&set=a.1041958615869335.1073741895.100001656183795&type=3&theater

plz open and like the pic....to support my cause 

Sunday, March 6, 2016

Thursday, March 3, 2016

संक्षिप्त परिचय ...... पूनम माटिया




नाम -पूनम माटिया 
जन्मतिथि -29 जुलाई 1966
जन्मस्थान- करोल बाग , नई दिल्ली-
110005
संपर्क:-
निवास स्थान- पॉकेट–
A , 90 B , दिलशाद गार्डन , दिल्ली- 110095
फोन-
22598764, 9312624097
ई मेल
poonam.matia@gmail.com

शिक्षा: एम. एस सी. (न्यूट्रीशन), बी. एड. , एम. बी. ए. (मानव संसाधन प्रबंधन)
अखिल भारतीय जूनियर रिसर्च फेलोशिप होल्डर (आई सी ए आर , दिल्ली)


शिक्षण अनुभव –पी. जी टी होम साइंस, माउंट कार्मल , आनंद निकेतन , नई दिल्ली


पाठ्येतर गतिविधियाँ-हॉबी आर्ट ट्रेंड टीचर- पिडिलाईट इंडस्ट्रीज़  


साहित्यिक सन्दर्भ:
लेखिका , कवयित्री , मंच संचालिका, समीक्षिका , शिक्षिका, व्यक्तिगत साक्षात्कार कर्ता (आकाशवाणी एवं विडियो), 

साहित्यिक संपादिका- ट्रू मीडिया मासिक हिंदी पत्रिका 

शिक्षिका होने के साथ-साथ पिछले आठ-नौ वर्षों से लेखन में सक्रिय , स्वतंत्र लेखन –गद्य एवं पद्य (कविता, कहानी छंदबद्ध, छन्दमुक्त(नयी कविता),नाटिकाएं(लेखन , मंचन व् अभिनय), मुक्तक, ग़ज़ल, लेख एवं अंग्रेजी कविता लेखन 


प्रकाशित कृतियाँ


काव्य संग्रह- स्वप्न श्रृंगार, अरमान. अभी तो सागर शेष है-अमृत प्रकाशन ,दिल्ली 

संयुक्त काव्य संग्रह –‘स्त्री होकर सवाल करती है’बोधि प्रकाशन , ‘अपने अपने सपने’-मांडवी प्रकाशन  , ‘तुहिन’-हिंदी युग्म , ‘जहाने-ग़ज़ल’-एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस , कविता अनवरत-
1 -अयन प्रकाशन

स्त्री विमर्श के बुनियादी सवाल’   में स्त्री विमर्श के सन्दर्भ में पूनम माटिया का विस्तृत साक्षात्कार
प्रज्ञान पुरुष’ में  पंडित सुरेश नीरव के व्यक्तित्व, कृतित्व पर आलेख एवं साक्षात्कार
"परों में आसमान" डॉ प्रवीण शुक्ल जी पर आधारित संदर्भ ग्रन्थ में प्रवीण शुक्ल का साक्षात्कार


देश-विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं एवं लेख प्रकाशित (कादम्बनी पत्रिका में कविता प्रकाशित)
इंडिया न्यूज़ , सहारा , जनता टीवी  , साधना , चैनेल वन न्यूज़ ,रफ़्तार टीवी इत्यादि तथा विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों(कवि-सम्मलेन तथा मुशायरों) और गोष्ठियों  से काव्य पाठ,


विद्यावाचस्पति सम्मान (मानद डॉक्टोरेट), राजीव गाँधी एक्सेलेंस अवार्ड , भारत गौरव अवार्ड , भारतीय महिला गौरव अवार्ड , समता अवार्ड, सर्वभाषा संस्कृति सम्मान, शान-ए-हिन्दुस्तान, हिंदुस्तान गौरव अवार्ड, असम के मुख्य मंत्री एवं स्पीकर ,विधान सभा द्वारा सम्मानित, प्राइड ऑफ़ द कंट्री अवार्ड इत्यादि अनेक सम्मान एवं अवार्ड|मॉरिशस एवं भारत की द्विपक्षीय संस्था द्वारा आयोजित विश्व हिंदी प्रतियोगिता में भारतीय भूखंड में प्रथम स्थान|