Wednesday, June 24, 2020

महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान - नाम ही बहुत है .......... पूनम माटिया /Poonam Matia





















प्रिय मित्र व् पाठकगण 

आप सभी की शुभकामनाओं स्वरूप यह सम्मान- महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान - विश्व हिंदी लेखिका मंच के सौजन्य से प्राप्त हुआ|
ज़िम्मेदारियाँ और बढ़ जाती हैं ऐसे में |

महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान प्राप्त करने की अपार प्रसन्नता है| 
मैं आभारी हूँ सर्वप्रथम आदरणीय साहित्यकार सविता चड्ढा जी की जिनके माध्यम से सम्मान योजना की सुचना प्राप्त हुई|
विश्व हिंदी लेखिका मंच के अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र ठाकुर जी और उनके निर्णायक मंडल का भी हार्दिक धन्यवाद मेरे नाम का चयन करने के लिए|



विभिन्न विधाओं में  सृजन हेतु प्राप्त इस सम्मान के  शुभ  समाचार को चिडावा, राजस्थान और नई दिल्ली में समान रूप से कार्यरत पत्रकार शम्भू पंवार जी  के द्वारा कई प्रिंट एवं ऑनलाइन मीडिया में प्रमुखता से छापा गया |
सभी अख़बारों और ऑनलाइन पोर्टल के संपादकों और प्रकाशकों का भी धन्यवाद|
साथ ही उन सभी वरिष्ठ स्नेहीजन का भी आभार जिनकी त्वरित शुभकामनायें प्राप्त हुईं|


अकिंचन
पूनम माटिया



साहित्यकार डॉ.पूनम माटिया महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत
*******
नई दिल्ली 23 जून(डॉ.शंभू पवार ) विश्व हिंदी लेखिका मंच ने दिल्ली की राष्ट्रीय ख्यातिनाम कवयित्री, लेखक, शिक्षाविद डॉ. पूनम माटिया को महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत किया है। 
      विश्व हिंदी रचनाकार मंच के संस्थापक व संचालक राधवेंद्र ठाकुर ने बताया कि   
महिला रचनाकारों की प्रेरणा स्रोत महादेवी वर्मा की स्मृति  में संचालित सम्मान योजना 2020 के अंतर्गत राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार प्रसार उल्लेखनीय रचनात्मक योगदान के लिए डॉ. पूनम माटिया को महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत किया है।
  उल्लेखनीय है अन्तस् की संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार,  डॉ. पूनम मटिया को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके उत्कृष्ट साहित्य सृजन एवं हिंदी साहित्य के संवर्धन में अनवरत संलग्नता के लिए सैकड़ो सम्मान एवं अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
कविता की बानगी इन पंक्तियों में देखिए:

सोच का दायरा
बड़ा भी लें
तो आखिर कितना
आवाज़ टकरा के
लौट आती है
दीवारों से तुरंत

सिर्फ़ मेरा ही नहीं
हाल है ये हर उस शख़्स का
जिसने देखी होगी कभी
तारों की अनंत दीपशिखा
अपनी ही मुठ्ठी में
क़ैद करने की संजोई होगी चाह
**
और एक गीत से:

कंपित हो जब देह, नेह की आशा लेकर आना|
प्रेम-मेंह की एक नवल परिभाषा लेकर आना|
लहरों से अठखेली करता चाँद कभी देखा है?
या आतुर लहरों का उठता नाद कभी देखा है?
चंदा बन के आना साजन! चंदा बन के आना,
आकर तुम मत जाना साजन..........
पल-प्रतिपल आकुल-व्याकुल मन, राह निहारे हारा|
तुम आये, ना पत्र मिला, ना कोई पता तुम्हारा|
फागुन बीता, बीत गया आषाढ़ कि आया सावन|
कब आओगे, कब आओगे, कब आओगे साजन?
सावन बनके आना साजन, सावन बनके आना, 
आकर तुम मत जाना साजन...........

डॉ. माटिया को इस उपलब्धि पर साहित्यकार  डॉ. दिनेश कुमार शर्मा(अलीगढ़), प्रो नागेंद्र नारायण(जालंधर), डॉ. उषा श्रीवास्तव(बेंगलरु), सविता चढ़ा दिल्ली, डॉ जे बी पांडेय, राँची, वरिष्ठ कमांडर जितेंद्र कुमार गुप्ता, जम्मू ने  खुशी जाहिर करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।


डॉ.शम्भू पंवार
https://www.facebook.com/poonam.matia/posts/4107069016002323

Saturday, June 13, 2020

यक़ीं का सफ़र....... पूनम माटिया Dr Poonam Matia



 काम इतना ज़िन्दगी में कारगर हमने किया,
दूर सारी ज़ुल्मतों को बेशतर हमने किया। 
जाँ ब जाँ चलता रहा ज़ुल्मों-सितम का क़ाफ़िला 
बदगुमानी थी, यक़ीं का पर सफ़र हमने किया। 



कारगर- fruitful 
ज़ुल्मतों को -अँधेरों को 
बेशतर-अधिकतर, mostly 
जाँ ब जाँ-साथ-साथ 
बदगुमानी- कुधारणा, शक

 पूनम माटिया

पद्मश्री आदरणीय आनन्द मोहन जुत्शी जी (गुलज़ार देहलवी जी)

पद्मश्री आदरणीय आनन्द मोहन जुत्शी जी (गुलज़ार देहलवी जी)
हमारे बीच नहीं रहे।




























 मुझे DrAshok Madhup जी की संस्था कायाकल्प-कला एवं साहित्य संस्थान द्वारा कायाकल्प साहित्य श्री सम्मान जनाब गुलज़ार देहलवी जी के हाथों से ही मिला था।

बाद में पता चला था कि ये अदबी नाम था असल में वे कश्मीरी पंडित जुत्शी थे। कई आयोजनों में उसके बाद मिलना हुआ परन्तु यह विशेष था| शायर Manu Bhardwaj जी भी इस लम्हे के साक्षी हैं |साथ में आदरणीय सरोजिनी कुलश्रेष्ठ हैं| मैं इस दिनको वैसे भी भूल नहीं सकते साहित्य श्री सम्मान के  साथ साथ पारिवारिक स्तर पर भी मेरा ओहदा बढ़ने कीतयारी हुई थी .बड़ी बेटी तान्या का रिश्ता तय हुआ था|

वे अपने कृतित्व के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे|
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|
श्रद्धा सुमन

मार्च 2020 से हीसिलसिला कुछ यूँ चल रहा है ......
पाँच मार्च को दिल्ली के पीतम पुरा में मेरे पिता  इस देह को छोड़ गये | माँ तो २०१५ में ही चली गयीं थीं |

3 अप्रेल को हमारे प्रिय संगीतज्ञ, शायर, भजन गायक मित्र जगदीश भारद्वाज जी का देहावसान हुआ\

25 मई को मशहूर ग़ज़लकार और हिंदी-उर्दू अदब की पायदार शख्सियत जनाब सर्वेश चन्दौसवी भी इस फ़ानी दुनिया से नाता तोड़ गये जिसके बारे में मैंने आपको अपने ब्लॉग में बताया भी था|

तो बस अपनी यही पंक्तियाँ मुझे मौज़ूअ लगती हैं ऐसे में ........

एक पल था लगा हासिले ज़िंदगी
एक पल सारी उम्मीद जाती रही 

जश्न चलते रहे ज़िन्दगी के मगर
मौत भी अपने जलवे दिखाती रही 



पूनम माटिया







Wednesday, June 10, 2020

दोहावली –तेरे मन की बात -पूनम माटिया


एक बार मेरी मित्र अंशु ने कहा कि कोई ऐसी छोटी-सी कविता दो जो नयी बहू के स्वागत में पढ़ी जा सके

बस तब ही इन दोहों की रचना हुई |
कहीं  पढ़ा ता मैंने कि औरत को सबसे अच्छा लगता है अपने मन का करना यानी स्वेच्छा से करना| स्वेच्छा से तो वह बड़े से बड़े समर्पण को भी तैयार हो जाती है| बस! इतना ही कि उसके मन की बात सुनी जाए और उसका मान हो |
सोचती हूँ, ए काश! नयी बहुओं के स्वागत में सभी इन भाव-प्रवण पंक्तियों को पढ़ कर सुनाएँ ताकि पहले ही दिन से किसी बहू  को अपना ससुराल पराया न लगे ...... :) 
आप क्या सोचते हैं


लाया बेटा ब्याहकर, दिया हमें उपहार|
घर #उत्सव की देहरी, उल्लासों का द्वार||

सजा देहरी पुष्प से
, भरे नयन में प्यार|
#नवल_वधू का कर रहे
, हम स्वागत-सत्कार||

सबको देना प्यार तू, सबसे पाना प्यार|
यह तेरा कर्त्तव्य है, यह तेरा अधिकार||

#बिटिया अपना घर समझ, अपना ही परिवार|
तेरे #मन_की_बात का, है पूरा सत्कार||







@Poonam Matia


Monday, June 8, 2020

लघु कथा-ससुराल की आवभगत....पूनम माटिया Poonam Matia





 छः महीने हुए थे बेटे का #रिश्ता तय हुए दूसरे शहर की एक सभ्य, स्मार्ट मध्यवर्गीय परिवार की इकलौती लड़की से। सब ख़ुश थे। कई बार बेटे के होने वाले ससुराल में नेकचंद जी का जाना भी हुआ। ख़ूब #आवभगत हुई किन्तु पिछले सप्ताह जब किसी काम से गये तो रिश्ता तोड़ आये। बीवी ने पूछा तो बोले #समधन के माथे पर पसीने की बूंदें और उनकी बिटिया का मेकअप से चमकता चेहरा  और #टिपटॉप स्टाइल को हर बार देख रहा था। जिस बेटी को अपनी #माँ_की_मदद का ख़याल नहीं आया वो अपनी #सास यानी तुम्हारे बारे में सोचेगी भी क्या!!!


पूनम माटिया
9312624097
Poonam.matia@gmail.com
दिल्ली

ख़ुश ख़बर -झंडेवालान मंदिर -पूनम माटिया



दर्शन देने आ गयीं, खोल दिए हैं द्वार  
मैया तेरे नाम की , महिमा अपरम्पार

#Delhi ka #Jhandewala_mandir 
खुल गया है

Sunday, June 7, 2020

विनम्र श्रद्धांजलि-उस्ताद शायर, आचार्य (स्व) श्री सर्वेश चंदौसवी जी

आज उस्ताद शायर, आचार्य (स्व) श्री सर्वेश चंदौसवी जी की अरिष्टि का दिन है। 

उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि,

भाव-सुमन

उन्हें सर्व श्री डॉ कुँवर बेचैन, मंगल नसीम, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, विनीत चौहान, डॉ कीर्ति काले, राजेश चेतन, नरेश शांडिल्य, अनिल अग्रवंशी, राज कौशिक, रसिक गुप्ता, सपन भट्टाचार्य, गुनवीर राणा, पी के आज़ाद, अनिल मीत, पूनम माटिया, बलजीत कौर तन्हा, प्रमोद शर्मा असर, राजेन्द्र कलकल, उर्वशी अग्रवाल, विजय स्वर्णकार, चरण जीत चरण, मंजू शाक्य, सुमित भार्गव और डॉ प्रवीण शुक्ल द्वारा अपने भाव-सुमन समर्पित किये गए हैं।
विनयावनत
णमोकार चैनल
पी एस स्टूडियो एवम
समस्त सर्वेश चंदौसवी परिवार


 
25 मई 2020 को मशहूर ओ मारूफ़ शायर जनाब सर्वेश चन्दौसवी इस फ़ानी दुनिया को छोड़ गये |
लगभग अपनी उम्र के चालीस बरस में जो भी उन्होंने हिन्दी-उर्दू की अस्नाफ़(विधाओं) में लिखा, उन्होंने उसे कहीं भी प्रकाशित न किया  लेकिन जब अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से कुछ फ़ारिग हुए तो एक ऐसा लक्ष्य saadh लिया जिसे सुनकर भी विश्वास नहीं होता था|
बदनसीबी कहें या ख़ुशनसीबी उनसे मेरी पहली मुलाक़ात भी उस दिन हुई जब वे अपने लक्ष्य के पहले पड़ाव पर थे ........ 2014 का विश्व पुस्तक मेला ...... और सर्वेश जी की पहली चौदह पुस्तकों का लोकार्पण .... अद्भुत, अविस्मर्णीय क्षण ....
मंजुलि प्रकाशन का मंच और एक विशाल जमघट अदबी हल्क़े के लोगों का! और क्यों न होता ......लोग एक पुस्तक लिख कर ही प्रसिद्द हो जाते हैं .ये तो एक साथ चौदह पुस्तकें साहित्य के ख़ज़ाने के साथ आ रही थीं|
मुलाक़ात करवाई ग़ज़लगोई में सिद्ध-प्रसिद्द आदेश त्यागी जी ने|
2019 तक अपने लक्ष्य को पूर्ण किया सर्वेश जी ने य’आनी हर वर्ष तय संख्या ..2015 में 15, 16 में 16, 17 में 17, 18और 19 में 18, 19 संग्रह कुल मिलाकर 99 पुस्तकें  उन्होंने दुनिया को दीं | 2020 में 20 दिसंबर को 20 संग्रह देने का उनका लक्ष्य भी पूर्णता के नज़दीक ही था किन्तु इस #लॉकडाउन के दौरान 25 मई को ईश्वर ने उन्हें अपने पास बुला लिया|
इसी दौरान उनसे उर्दू और ग़ज़ल के मुतालिक़ सीखने का अवसर भी मिला और उनके व्यक्तित्व को क़रीब से जानने के कुछ अवसर भी मिले|
उस्ताद शायर थे वो , उनके शागिर्द और शागिर्दों के भी शागिर्द भारत और भारत से बाहर भी थे ..... मुझ नाचीज़ को शागिर्द होने का मौक़ा नहीं मिला पर उन्होंने उससे कम भी कभी नहीं समझा मुझे| 2016 में 16 संग्रहों में से एक –लम्हा –दर-लम्हा के बेक फ्लैप को लिखने का अवसर देकर अपनी पुस्तकों में मुझे भी स्वर्णिम इतिहास का अभिन्न हिस्सा बना दिया|
पिछले वर्ष ही गठित और सक्रीय हुई मेरी संस्था , अंतस् को भी उनका स्नेहिल आशीर्वाद प्राप्त हुआ जब अंतस् की छटी काव्य-गोष्ठी की सर्वेश जी ने अध्यक्षता करने की सहज स्वीकृति दी|
यूँ तो कई बार मौत को बड़े क़रीब से शिकस्त देकर लौट आये थे पर इस बार ........... !

यही एहसास उनकी इस ग़ज़ल में सुनें ..जो विडियो उन्हें श्रद्धांजलि-स्वरूप आज उनकी अरिष्टि पर डॉ प्रवीण शुक्ल और णमोकार चैनल के माध्यम से रिलीज़ हुई है |
श्रद्धांजलि की एक सभा भी ज़ूम पर डॉ प्रवीण शुक्ल और श्री राजेश चेतन जी द्वारा आयोजित की गयी थी  जिसमे भी श्रद्धा-सुमन अर्पित करने वालों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त थी|
ईश्वर सर्वेश जी की आत्मा को शांति दे और शोक-संतप्त परिवार तथा उनके वृहद् अदबी परिवार को इस दुःख को वहन करने की क्षमता दे| ॐ शांति

पूनम माटिया
7 जून 2020






https://www.facebook.com/praveenshuklakavi/videos/605168653684416/?__xts__[0]=68.ARACRoy_HSXsBaIYWJbNGWFX_RQmYlRTIwEXwkZBsdhaLUhtXUw7CTlp6BO2rP_Zqm-185YlTKyiaUYYTKKxUn37hD-fUpTc60VdksoFdRaXG2ZYb6PD-NOiXvHbEjrIGRiG-LlpJfqqEaXpDluvmrN41tBaGQeFEUhkpEtg49jNpx1L-CPc77QWaAIZ7VDYSjBZoqlGPf2L_LuUeVY1FoaI7nBR-lcHSYZVlsmeVf2SQJORYURIv_cfCZI0QmK6tMUbBFl-D1wWLPZPFsui3dpZt8N7RYyouneZICHTZR6kEOTjw_wLnO30hJjxAPMcyMMUgyexhmfAXKUfQ7eceGkpqn35Kd3d8754&__tn__=H-R

तौबा .....ग़ज़ल - पूनम माटिया

ग़ज़ल के माध्यम से कई मुद्दों पर रौशनी डालने की एक काविश .....


नहीं किसी को क़रार मुमकिन, नहीं है कोई सवाब तौबा
अजब- ग़ज़ब है ये ज़िन्दगी है सभी का खाना ख़राब तौबा

निज़ाम उसका अलग-थलग है, हज़ार रोड़े लिए खड़ा है
कभी तो धरना, कभी है स्ट्राइक मिला है जब से ख़िताब तौबा

आवारगी है, उतावलापन, फ़ितूर तारी है नौजवां पर
लिबास तौबा, ख़ुमार तौबा, जुनून तौबा, सराब तौबा

उठाए बीवी के नाज़- नख़रे, संभाले कैसे हर एक शौहर
सुकूत तौबा, इताब तौबा,सवाल तौबा, जवाब तौबा

हसीन इतनी, जमाल ऐसा, सुरूर उसका कहा न जाए
गली में आशिक़ लिए फिरे हैं हज़ार-रंगी गुलाब तौबा


पूनम माटिया

रहनुमाई ......... पूनम माटिया







 जो करूँ वफ़ा तो वफ़ा मिले, न ही #बेवफ़ाई मिले मुझे
कभी ऐसा भी कोई वक़्त हो, तेरी #आशनाई मिले मुझे
कहाँ दिल को मेरे क़रार है, बस एक ही तो गुहार है
मेरी बेगुनाही क़ुबूल हो, तेरी रहनुमाई मिले मुझे




पूनम माटिया


#आशनाई दोस्ती
#रहनुमाई सरपरस्ती, पथ-प्रदर्शन




#Poonam
#pmatia
#poetry
#urdupoetry
#shayari
#mushayera
#muhabbatein_
#friendship

अंतस् की दसवी गोष्ठी में ...... पूनम माटिया का काव्य पाठ .

सञ्चालन  के साथ साथ ............. काव्य पाठ भी

एक शे'र

बदल कर नज़रिया ज़रा देखिए तो
नयी शक्ल नज़र आयेगी ज़िन्दगी की






 ग़ज़ल

नहीं ये बुलबुला पानी का, चढ़ता-गिरता पारा है
सुलगता रात-दिन दिल में, मुहब्बत वो शरारा है

जनाज़े में नहीं होगी अदावत और दूरी भी
मैं ज़िंदा हूँ तभी तक दुश्मनी का खेल सारा है

हक़ीक़त की कसौटी पर कसूँगी दिल के जब रिश्ते
मैं गौहर पा ही जाऊँगी, समुंदर गो कि खारा है

ज़माने भर के लोगों ने मुक़दमा कर दिया दायर
मेरे आँचल ने जब पाया किसी का भी सहारा है

अरे पूनम! ये क़िस्मत और ही कुछ गुल खिलाएगी
जो तुम समझे, जो हम समझे, नहीं ये वो इशारा है

#
#डायरेक्ट दिल❤️ से

https://www.youtube.com/watch?v=vsYMeuKplLU&t=14s&fbclid=IwAR2Ivs-vjfZhOxVGRJDAOfTBIcdWaBU-xWmp1cKohckWaevQ58PCJv6AYzg
इस यू ट्यूब लिंक पर सुन भी सकते हैं .........
पूनम माटिया