पूछता है आइना
अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब ?
कैसे बताएं उसे कि
उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब ?
दरों-दीवार रहते थे मेरे,
जिनके प्यार से रोशन हरदम,
क्या कहें गहरा गयी
है, रात सी स्याही सरे शाम अब|
पहलु में मेरे खोये
हुए , गुज़रते थे रात –दिन जिनके,
रास्ते जुदा हुए उनसे,
हो गयी ये बात सरे–आम अब|
चटकती थी कलियाँ
मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
खिलते नहीं अब गुल वहाँ , मुरझा गयी है हर शाख अब|
बड़े अरमानो से बसाई
थी , साथ उनके दुनिया ख़्वाबों की,
बिखर के खत्म हो गयी , नगरी वो हंसी-महताब अब|
उनके साथ कट जाती थी, जो बातों, वादों, मनुहारों में,
क्यों कटती नहीं काटे , वो लंबी सुनसान रात अब |बड़े गुमान से कहते थे मुझे, अश्क बेशक़ीमती हैं ‘पूनम’,
कौन है जो सम्भालेगा
मुझे, समझेगा मेरे जज़्बात अब |
बहुत खूब पूनम जी, अति सुन्दर रचना है....बहुत बहुत शुक्रिया....
ReplyDeleteशुक्रिया कुमार ......मुझे पता है कि ब्लॉग में आकर पढ़ने और प्रतिक्रिया देने के लिए अतिरिक्त ज़हमत उठानी पड़ती है ........और मुझे खुशी है कि आप ये मेहनत करते हैं और मुझे प्रोत्साहित करते हैं :)
Deletebahut sunder Rachana
ReplyDeleteAtul bahut bahut shukriya
Deleteसुन्दर ब्लॉग में -सुन्दर रचना
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पूछता है आइना अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब |
कैसे बताएं उसे कि उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब |
उनके साथ कट जाती थी, जो बातों, वादों, मनुहारों में,
क्यों कटती नहीं काटे , वो मूई लंबी सुनसान रात अब |
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बहुत खूब पूनम जी !
बहुत-बहुत बधाई !
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ओम जी बहुत बहुत आभार ........आपके प्रोत्साहन से भरे शब्द मेरे खजाने में वृद्धि करते हैं
Deletebahut sundar aur aasan alfaaz men.dil ko cho leni wali nazam hai
Deleteshukriya Sayed ji ...mere alfaazon ko tavazzu dene aur pasand karne ke liye bahut shukriya
Deleteचटकती थी कलियाँ मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
ReplyDeleteखिलते नहीं वहाँ गुल , मुरझा गयी है हर शाख अब |
bahut hi sunder panktiyaan hai....dil ko choo lene wali rachna hai aap ki Di....birhan man ki dasha ko bakhubi byan kiya aap ne...
शुक्रिया गुरमीत .....सुना था गम के समंदर में डूब के लोग अपनी रचना में गहराई ला
Deleteपाते हैं .......विरह -विछोह बहुत वेदना देता है ......बस उसी को उकेरने की कोशिश की है .......धन्यवाद
बेहद सुंदर अभिव्यक्ति.. बहना
ReplyDeleteshukriya Ramesh bhaai sa ......
Deleteपूछता है आइना अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब |
ReplyDeleteकैसे बताएं उसे कि उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब |
दरों-दीवार रहते थे मेरे, जिनके प्यार से हरदम रोशन,
क्या कहें गहरा गयी है, रात सी स्याही सरे शाम अब|
bhaut hi pasndh aayi muje ye 4panktiya bahut bhaut sukriya apka p ji
Mohan chaliye 4 panktiyaan hi safal ho gayi is rachna kii :))))))))))
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteyashoda ji .....shukriya .....ek to meri rachna ko padhne ka .....dooje sarahne ka .........aur teeje.......uske prasaar ke liye :)))))))))))
ReplyDeleteपूनम बहन
ReplyDeleteआईये परसों हलचल में
आपका स्वागत है सातों दिन
आज सोमवार दीप्ति बहन का दिन है पर वे अस्वस्थ हैं इसीलिये
आज भाई यशवन्त जी ने अपनी पसंदीदा रचनाओं के लिंक्स रखे हैं
शानदार रचनाओं के लिंक्स हैं
स्वागत है आपका
सादर
और हाँ... वर्ड व्हेरिफिकेशन हटा देंगे
बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteसादर
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‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है
यशवंत जी ......आपके स्नेह हेतु आभार ......
Deleteआमंत्रण के लिए शुक्रिया
दिल से जो भी मांगोगे वह ही मिलेगा, ये गणेश जी का दरबार है,
ReplyDeleteदेवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को अपने हर भक्त से प्यार है..
बोलो गणेश भगवान की जय ..
मेरी ओर से आपको एवं आपके परिवार के सदस्यों को श्री गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सब को शुभ कामनाएं और प्रार्थना करता हूँ कि गणपति सब के मनोरथ सिद्ध करें एवं सबको बुद्धि, विद्या ओर बल प्रदान कर आप की चिंताएं दूर करें.....आप सबका सवाई सिंह आगरा
आप सभी को गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाएं..सुगना फाउण्डेशन मेघलासियां
शुक्रिया ....सवाई सिंह राजपुरोहित जी ....
Deletehttps://www.facebook.com/photo.php?fbid=449191011790160&set=a.294924080550188.69297.100000977958389&type=1..
बड़े गुमान से कहते थे मुझे, अश्क बेशकीमती हैं ‘पूनम’,
ReplyDeleteकौन है जो सम्भालेगा मुझे, समझेगा मेरे ज़ज्बात अब |
बहुत ही सुंदर रचना |
मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है |
मेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो
प्रदीप जी शुक्रिया ......
Deleteआमंत्रण के लिए आभार .......
यशोदा जी ....शुक्रिया आमंत्रण के लिए ........मैंने देखा वहाँ .....:)
ReplyDeleteचटकती थी कलियाँ मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
ReplyDeleteखिलते नहीं वहाँ गुल , मुरझा गयी है हर शाख अब |
feeling so good. padhkar achha laga.
shukriya Uma Nath jii
Deletebahut sunder
ReplyDeleteshukriya Ramaajay ......
Deletehello poonam ji bahut sundar mujhe bahut acha lga aap ka blog.... aage badhte raho... iswar ki dua se
ReplyDeleteBhagwan Akora ji .... blog kii tareef ke liye shukriya .......aate rahiyega :)
Deletepoonam di aapki kavita ki jitni tariff ki jaye kam hai bahut hi sundar rachna hai aapki is so very nice.....
ReplyDeletethnx a lot Rajeev ......
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