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Sunday, June 4, 2023

प्रेम-सुवासित काव्य.. पूनम माटिया

कल की ही तो बात है वैसे,
कोयल कूक रही हो जैसे,
या कोई चिड़िया चहकी हो,
या फिर कोई कली महकी हो|
हँसी खनकती थी कंगन सी,
काया थी निर्मल कंचन सी|

आज हँसी वो नहीं खनकती,
आँखें अब क्यों नहीं चमकतीं,
अविरल सरिताएँ बहती हैं,
अश्रु धार ये क्या कहती हैं|

पल-पल साथ निभाया तेरा,
तू काया, मैं साया तेरा|
हर पल तेरी राह निहारी,
मैं तुझपर ही थी बलिहारि|

लेकिन अब ये क्यों लगता है?
तुझसे मुझको डर लगता है|
ज्वालामुखी कोई फूटेगा,
क़हर कोई मुझपर टूटेगा|

अब बहकर लावा आएगा,
रिश्ते को झुलसा जायेगा|
इस रिश्ते की नर्म ज़मीं पे,
सिर्फ़ फफोले रहेंगे रिसते|

और फफोलों की स्याही से,
एक क़लम कुछ सच्चाई से,
आग लिखेगी, आग लिखेगी,
इक जलता भूभाग लिखेगी|

क्या अब भी वो हवा चलेगी?
प्रेम-सुवासित काव्य लिखेगी?
क्या खुश्बू वापस आएगी?
नज़्मों को फिर महकाएगी?

काश! कि वो दिन वापस आयें,
मेरी कविता वापस लायें|
रिश्ते का गुणगान लिखूँ मैं
प्रेम को फिर उन्वान लिखूँ मैं|
प्रेम को फिर उन्वान लिखूँ मैं|

...................poonam matia

lolly-pop .......... poonam matia

During Elections .............. we mst be careful ....... whom to Vote ........whom Not to .....
Serving meals to win their hearts,
Its like temporary relief for the darts.

It's like keep pricking the wounds all the while,
and applying dressing once in a while.

Where the wounded would find relief,
Would always go to share the grief.

Thats the Mantra ''they' always chant and utilise,
Why waste efforts & resources when lolly-pop suffice.

Its None but us to open our EYES,
To seek a permanent Solution where it lies.

Be the Change rather then endless wait.
To recognize and avoid the temporary BAIT.

................... Poonam Matia