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Saturday, January 25, 2014

विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा पुरुस्कृत


अंतराष्ट्रीय हिंदी कविता प्रतियोगिता में अन्य ग्यारह के साथ प्रथम स्थान 
प्राप्त करने अत्यंत ख़ुशी है ........पूनम माटिया 'पूनम'

 मेरी रचना पर्यावरण और जीवन से सम्बंधित थी .....
शीर्षक: अनुभव के रंग .......

हमारे मन मस्तिष्क की गति 
अग्नि मिसाइल से कम नहीं 
अचानक ये आभास हुआ मुझको 
जब पाँव दौड रहे थे ट्रेड-मिल पर 
और सोच उड़ान पा पहुँच गयी 
शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पार 
खड़े वृक्षों के हरे पत्तों के झुरमुट में 

देखा करती थी हमेशा से ही 
पर जाने क्यूँ अलग-अलग रंग में 
बंटे नज़र आ रहे थे आज ये पत्ते मुझे 
कोई सुनहरा हरा रंग लिए हुए 
कोई चमकदार हरा ,कोई गहरा हरा 
और कुछ काला, ढलका हुआ सा हरा 
जीवन के विभिन्न रंग मानो इन 
पत्तों ने समेट लिए अपने में 

शैशव काल की कोमलता, कच्चापन, 
नाज़ुकपन लिए हलके सुनहरे हरे पत्ते 
मानो अभी इन्हें वर्षों निगरानी चाहिए 
बड़ों की, खुदमुख्तार होने तक 
तेज हवा, चमकती धुप, मूसलाधार बारिश 
कहीं कुम्लाह ना दे इनकी कोमल काया 

फिर चमकदार हरे पत्तों से जा टकरा 
लौट आयीं मस्तिष्क की तरंगे
अपना बचपन दौड गया आँखों के सामने से 
बेफ़िक्र, मनमौजी, 
ज़माने की ऊँच-नीच से अनजान 
अपनी ही धुन में सवार, हंसी-ठिठोली करता बचपन 

बचपन बीत गया पलभर में 
और सामने आ गया 
ज़िम्मेदारी से भरा व्यस्क-काल 
पढ़ाई ,लिखाई ,नौकरी , परिवार 
रोज की दौड-धुप , नये प्रयोग, नये आयाम 
बस कुछ कर दिखाने का ज़ुनून
ये गहरे हरे पत्ते यही तो दर्शाते हैं 
जीवन भर के अनुभव सामने ले आते हैं 

अचानक, ठहर गयी निगाह
उन बड़े से ,गहरे हरे पत्तों पर 
जिनका हरा रंग कुछ कल्साया था 
और शीघ्र ही अपने बुढापे की 
ओर अग्रसर होते हुए कदमो की 
भारी सी थाप सुनाई देने लगी 
अब इन पत्तों की शेष बची जिंदगी 
में केवल इन्तेज़ार ही तो है 
सूख कर झड़ जाने तक !

हाँ, छाया ज़रूर देते ये 
आने-जाने वाले पथिकों को 
देख इन्हें ही, ले लेता कुछ चैन की साँसे 
भागता –दौड़ता , जिंदगी से लड़ता इंसान
जब हुआ अहसास ये, तब !
अपने होने का गर्व, नकारा होते हुए वज़ूद 
के अहसास को कहीं गहरे दबा आया 
और अपने अनुभव से रंग देने का 
मन हुआ एक बार फिर 
इन नये, चमकते हुए कोमल, नादान 
हरे पत्तों की तरह उमड़ते बाल-पन को....... पूनम माटिया 'पूनम'

Saturday, January 18, 2014

मेरे सांवरे ......

कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
कभी छेड़े मोहे मोरे कानन के कुंडल बही बही जावे मोरे माथे की बिंदिया कभी मोहे मोहे तेरी बंसी की तान कान्हा जानै उड़ाई मोरे नैनन की निंदिया
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
कभी तो लुभाए तेरे होंठों की ये लाली कान्हा जियरा चुराए कभी माथे का ये चन्दन कभी तो सुहाएं मोहे बातें तोरी मतवारी और कभी मन भाए नैनों की ये चितवन
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
लाल पीली पगड़ी पे तोरी वारी वारी जाऊँ मन करे बन जाऊँ मोती की लड़ी मैं कौन सो जतन करूँ कौन सो रतन बनूँ जासै तोरी पगड़ी में जाऊँ यूं जड़ी मैं
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे...............पूनम माटिया 'पूनम'

Thursday, January 2, 2014

मेरी कामना है कि नित भोर नयी नव पल्लव हो चहु ओर तेरे मधु कलरव हो

hiiiiiiiiii kya kahenge aap .....chaand nikal raha hai ke doob raha hai????????.....khair jo bhi ho .....nazaraa bahut khoobsurat hai ........ bas Isi khwaaish ke saath .........ki aap ki jindgi khoobsurat ho .........khushiyon se sarabor ho ...... I wd like to wish u all a very happy ,eventful and prosperous new yr ........2014
चलो कुछ लम्हे बटोर लें अपने लिए
कहाँ, किस घडी जिन्दगी की शाम हो जाए
गुज़र गया जो उसको सीने से लगाके क्या रखना
नई सुबह का इंतेख़ाब करें तो जिन्दगी आसान हो जाए ....पूनम
chalo kuchh lamhe bator leN apne liye
kahaan, kis ghadi jindgi kii shaam ho jaaye
guzar gaya jo usko seene se laga ke kya hoga
nayi subah ka intekhaab kareN to jindgi aasaaN ho jaaye ......Poonam matia

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 shukriyaaaaaaaaaaaa doston aap sabki shubhkamnaayeN vividh Madhymon se (Fb ..(on various profiles)...wall ,Inbox ......sms ....wats app .....etc etc ) se mujh tak pahunch rahi hain ......... main khushnaseeb hoon .....jo itna pyaar mujh tak pahunch raha hai ......... shukriya ,karam ,meharbaani ......  
मेरी कामना है कि
नित भोर नयी नव पल्लव हो
चहु ओर तेरे मधु कलरव हो ...... Poonam matia