ॐ
बीकानेर!!!! खम्माघनी!
*मैं कविता हूँ , समय
के साथ चलना चाहती हूँ
सरोकारों के ही शब्दों में ढलना चाहती हूँ
नहीं यह चाहती- ‘मैं प्रेम ही केवल उकेरूं’
भुला कर ख़ुद को मैं सूरज-सा जलना चाहती हूँ
नमस्कार, मैं दिल्ली से पूनम माटिया लाई बहुत सारा प्यार|
सरोकारों के ही शब्दों में ढलना चाहती हूँ
नहीं यह चाहती- ‘मैं प्रेम ही केवल उकेरूं’
भुला कर ख़ुद को मैं सूरज-सा जलना चाहती हूँ
नमस्कार, मैं दिल्ली से पूनम माटिया लाई बहुत सारा प्यार|
मरू
प्रदेश की पावन धरा को मेरा शत-शत नमन| माँ वागीश्वरी को नमन|
आज के मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन केन्द्रीय बालश्रम बोर्ड ,श्री शिशुपाल सिंह जी निम्बाड़ा और मंच पर उपस्थित सभी विभूतियों को सादर प्रणाम|
जैसा कि मुझे ज्ञात है 530 वर्ष पहले बसा बीकानेर शहर प्राकृतिक रूप से बेशक शुष्क रहा है किन्तु कलात्मक रूप से सरस रहा है| यह सारस्वत नगरी साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में अपनी विशिष्ठ पहचान रखती है| मुग़ल दरबार के नवरत्नों में से एक महाकवि पृथ्वीराज राठोर से लेकर इतालवी विद्वान एल पी तेस्सीतोरी तक और वर्तमान में अनेकानेक साहित्यकार विद्वान बीकानेर की पहचान और शान हैं |
सत्रह-अठारह वर्ष पहले जब अपनी नंद के यहाँ मैं आयी थी तब स्वप्न में भी सोचा नहीं था कि कवि-रूप में भी कभी बीकानेर आना होगा| दिल्ली वालों के लिए, और शायद पूरे देश तथा विदेश में तो बीकानेर भुजिया, पापड़, रसगुल्ले, ऊंट फेस्टिवल और सुंदर हवेलियों के लिए मशहूर है| देशनोक में करणी-माता का मंदिर आराधना एवं आकर्षण का केंद्र है, ख़ासकर वह सफ़ेद चूहा जिसकी सबको प्रतीक्षा रहती है|
अरसे बाद बीकानेर ने एक अलग स्थान बनाया मेरे जीवन में ......... 2010 में नदीम अहमद नदीम जी से फ़ेसबुक के माध्यम से संपर्क स्थापित हुआ और उसका सुखद परिणाम रहा मेरा द्वितीय काव्य संग्रह अरमान जो यहाँ उन्हीं की प्रोग्रेसिव सोसाइटी से प्रकाशित हुआ और जिसने बहुत ख्याति भी पाई| आप सभी जानकर हैरान होंगे कि आज से पहले नदीम जी से मेरा रू ब रू मिलना भी नहीं हुआ है| फ़ोन वाट्सअप और फेसबुक ही माध्यम रहे संपर्क के| इससे पता चलता है कि यहाँ के लोग कितने मिलनसार हैं और दूसरों पर विश्वास भी करते हैं| राजपूती स्वभाव यहाँ देखने को मिला है- ‘जो काम जिम्मे ले लिया वो करना ही है चाहे कुछ हो जाए|’
आज के मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन केन्द्रीय बालश्रम बोर्ड ,श्री शिशुपाल सिंह जी निम्बाड़ा और मंच पर उपस्थित सभी विभूतियों को सादर प्रणाम|
जैसा कि मुझे ज्ञात है 530 वर्ष पहले बसा बीकानेर शहर प्राकृतिक रूप से बेशक शुष्क रहा है किन्तु कलात्मक रूप से सरस रहा है| यह सारस्वत नगरी साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में अपनी विशिष्ठ पहचान रखती है| मुग़ल दरबार के नवरत्नों में से एक महाकवि पृथ्वीराज राठोर से लेकर इतालवी विद्वान एल पी तेस्सीतोरी तक और वर्तमान में अनेकानेक साहित्यकार विद्वान बीकानेर की पहचान और शान हैं |
सत्रह-अठारह वर्ष पहले जब अपनी नंद के यहाँ मैं आयी थी तब स्वप्न में भी सोचा नहीं था कि कवि-रूप में भी कभी बीकानेर आना होगा| दिल्ली वालों के लिए, और शायद पूरे देश तथा विदेश में तो बीकानेर भुजिया, पापड़, रसगुल्ले, ऊंट फेस्टिवल और सुंदर हवेलियों के लिए मशहूर है| देशनोक में करणी-माता का मंदिर आराधना एवं आकर्षण का केंद्र है, ख़ासकर वह सफ़ेद चूहा जिसकी सबको प्रतीक्षा रहती है|
अरसे बाद बीकानेर ने एक अलग स्थान बनाया मेरे जीवन में ......... 2010 में नदीम अहमद नदीम जी से फ़ेसबुक के माध्यम से संपर्क स्थापित हुआ और उसका सुखद परिणाम रहा मेरा द्वितीय काव्य संग्रह अरमान जो यहाँ उन्हीं की प्रोग्रेसिव सोसाइटी से प्रकाशित हुआ और जिसने बहुत ख्याति भी पाई| आप सभी जानकर हैरान होंगे कि आज से पहले नदीम जी से मेरा रू ब रू मिलना भी नहीं हुआ है| फ़ोन वाट्सअप और फेसबुक ही माध्यम रहे संपर्क के| इससे पता चलता है कि यहाँ के लोग कितने मिलनसार हैं और दूसरों पर विश्वास भी करते हैं| राजपूती स्वभाव यहाँ देखने को मिला है- ‘जो काम जिम्मे ले लिया वो करना ही है चाहे कुछ हो जाए|’
पत्रकार
तोमर जी, मधु आचार्य जी , नासिर
ज़ैदी जी, राजेंद्र स्वर्णकार जी, योगेन्द्र
जांगिड़ जी जैसे कई वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार गायक,
कवियों से संपर्क हुआ और संपर्क के दायरे में रहे
हमारे, आपके , सबके प्रिय भेरू सिंह
राजपुरोहित जी किन्तु कुछ वर्ष पहले हमारा राखी का सम्बन्ध जुड़ा और प्रगाड़ होता
गया|
मैं ख़ुशनसीब हूँ कि राजस्थान ने मुझे दो भाई दिए हैं- एक भेरू सिंह भाई जी और राजस्थान से मुंबई में जा कर रहने वाले कुम्पसिंह सोलंकी भाई जी| साथ ही गोपाल जोशी भी भाई से कम नहीं|
कविता के माध्यम से मैंने समाज-सेवा की| ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘स्वच्छता अभियान’ तथा ‘गौ रक्षा’ के क्षेत्र में किये गये कार्य ने पंखों को परवाज़ दी और आज इस महत्वपूर्ण आयोजन में आप सभी के साथ हूँ|
मैं ख़ुशनसीब हूँ कि राजस्थान ने मुझे दो भाई दिए हैं- एक भेरू सिंह भाई जी और राजस्थान से मुंबई में जा कर रहने वाले कुम्पसिंह सोलंकी भाई जी| साथ ही गोपाल जोशी भी भाई से कम नहीं|
कविता के माध्यम से मैंने समाज-सेवा की| ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘स्वच्छता अभियान’ तथा ‘गौ रक्षा’ के क्षेत्र में किये गये कार्य ने पंखों को परवाज़ दी और आज इस महत्वपूर्ण आयोजन में आप सभी के साथ हूँ|
होनी
है, हो जायगी, ये वैतरणी पार
नाम यहाँ होगा तभी, हटकर हो आधार
अर्थात ज़िन्दगी तो सबकी गुज़रती ही है किन्तु इस संसार में यदि कोई इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराना चाहता है तो असाधारण कार्य करना होगा|
नाम यहाँ होगा तभी, हटकर हो आधार
अर्थात ज़िन्दगी तो सबकी गुज़रती ही है किन्तु इस संसार में यदि कोई इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराना चाहता है तो असाधारण कार्य करना होगा|
‘ग़लत
काम के लिए सज़ा और उत्तम कार्य हेतु पुरस्कार’
आदि काल से चली आ रही प्रथा है| मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड ने इसे ‘कैरट
एंड स्टिक’ का नाम दिया| सज़ा
अपनी जगह ठीक है किन्तु सकारात्मकता यही कहती है कि अच्छे गुणों, दुर्लभ
व्यक्तित्व, जनोपयोगी कौशल, अतुलनीय
सामाजिक योगदान और किसी भी क्षेत्र(कला,
संस्कृति, समाज या खेल) की
विशिष्ट प्रतिभाओं को पहचान, सराहना, प्रोत्साहन
और सम्मान आदि मिलते रहना चाहिए जिससे वे स्वयं तो गर्वान्वित हों अन्य लोगों को
भी प्रेरित करें| साथ ही अपने खोल से निकल कर कुछ नवीन, सार्थक
कार्य भी करें जिससे राष्ट्र का, समाज का और स्वयं का उत्कर्ष हो|
किसी का शेर है-
किसी का शेर है-
अंजाम
उसके हाथ है , आग़ाज़ करके देख
भीगे हुए परों से तू, परवाज़ करके देख
केवल एक ढर्रे पर चलती ज़िन्दगी, ‘दस से पांच की’ मशीनी सरकारी या प्राइवेट जॉब के अतिरिक्त समाजोत्थान को समर्पित कार्य, शोध प्रवृत्ति की भारत में आज आवश्यकता है| अंग्रेज़ तो केवल ‘सर्विंग, डम्ब प्रजातीय चलन’(केवल जी हुज़ूरी करने वाले) देकर चले गये थे ...ज़रूरत है ‘लाइव थिंकिंग माइंडस’ की जिनकी अपनी सोच, खोजी प्रवृत्ति और कार्यप्रणाली हो, जो भारत के आम जन की समस्याएं समझें, उनके मूल कारण खोजें और समस्याओं के निराकरण हेतु यहीं के वातावरण एवं परिस्थितियों के अनुरूप हल सुझाएँ जिससे भारत एक बार फिर सोने की चिड़िया और विश्व-गुरु बन सके|
भीगे हुए परों से तू, परवाज़ करके देख
केवल एक ढर्रे पर चलती ज़िन्दगी, ‘दस से पांच की’ मशीनी सरकारी या प्राइवेट जॉब के अतिरिक्त समाजोत्थान को समर्पित कार्य, शोध प्रवृत्ति की भारत में आज आवश्यकता है| अंग्रेज़ तो केवल ‘सर्विंग, डम्ब प्रजातीय चलन’(केवल जी हुज़ूरी करने वाले) देकर चले गये थे ...ज़रूरत है ‘लाइव थिंकिंग माइंडस’ की जिनकी अपनी सोच, खोजी प्रवृत्ति और कार्यप्रणाली हो, जो भारत के आम जन की समस्याएं समझें, उनके मूल कारण खोजें और समस्याओं के निराकरण हेतु यहीं के वातावरण एवं परिस्थितियों के अनुरूप हल सुझाएँ जिससे भारत एक बार फिर सोने की चिड़िया और विश्व-गुरु बन सके|
इसी
क्रम में प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें आगे लाना और प्रतिभायें भी ऐसी खोजना जो
स्वच्छ भारत के अग्रदूत तो हैं ही, साथ ही स्वच्छता को अपनी सोच और व्यव्हार में
शामिल कर एक स्वच्छ और सुरक्षित भारत की रचना करने में भी शामिल हो अर्थात्
स्वच्छ सोच, स्वच्छ व्यवहार
सुरक्षित जीवन का आधार
फिर ऐसी प्रतिभाओं को सम्मानित करना तथा गंभीर कार्य की दिशा में प्रवृत्त करना भी सराहनीय कार्य है जो मरू-प्रदेश के श्री भैरों सिंह राजपुरोहित ‘यूथ वर्ल्ड संस्था’ के तत्त्वावधान में कर रहे हैं|
इस जज़्बे को समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ -
हस्ती नहीं मिटती किसके मिटाने से
आती नहीं नींद सिर्फ़ सो जाने से
इक आग–सी जलती है सीने में जिनके
बुझती नहीं वो आग किसी के बुझाने से
स्वच्छ सोच, स्वच्छ व्यवहार
सुरक्षित जीवन का आधार
फिर ऐसी प्रतिभाओं को सम्मानित करना तथा गंभीर कार्य की दिशा में प्रवृत्त करना भी सराहनीय कार्य है जो मरू-प्रदेश के श्री भैरों सिंह राजपुरोहित ‘यूथ वर्ल्ड संस्था’ के तत्त्वावधान में कर रहे हैं|
इस जज़्बे को समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ -
हस्ती नहीं मिटती किसके मिटाने से
आती नहीं नींद सिर्फ़ सो जाने से
इक आग–सी जलती है सीने में जिनके
बुझती नहीं वो आग किसी के बुझाने से
देश
के विभिन्न राज्यों से विभिन्न क्षेत्रों से लगभग एक सौ एक विशिष्ट लोगों/संस्थाओं को आज ‘राष्ट्रीय
डायमंड अचिवर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया जा रहा है तथा ‘यूथ वर्ल्ड पत्रिका’ इस माह का अंक भी
अवार्ड-विजेताओं को समर्पित है| प्रतिभागियों के व्यक्तित्व-कृतित्व
तथा भेरू सिंह राजपुरोहित सा का मेरे द्वारा लिया गया साक्षात्कार उनके जीवन के
विभिन्न पहलुओं से अवगत कराता यह अंक पठनीय व सहेजनीय रहेगा, ऐसी
आशा करती हूँ मैं|
मैं हृदय की असीम गहराइयों से, यूथ वर्ल्ड संस्था और सम्मानित व्यक्तित्वों को उनके सराहनीय कार्य और उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें प्रेक्षित करती हूँ|
और कामना करती हूँ की भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहें जो मरुभूमि को विश्व के मानचित्र पर पहचान दिला सकें|
अंत में, यहाँ उपस्थित नारी-शक्ति के सम्मान में मेरे दो शेर ...
ज़िंदगी को आज़माना जानती हूँ
मैं ग़मों में मुस्कुराना जानती हूँ
ये मेरा सजदा नहीं, अखलाक़ ही है
यूँ तो मैं भी सर उठाना जानती हूँ
मैं हृदय की असीम गहराइयों से, यूथ वर्ल्ड संस्था और सम्मानित व्यक्तित्वों को उनके सराहनीय कार्य और उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें प्रेक्षित करती हूँ|
और कामना करती हूँ की भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहें जो मरुभूमि को विश्व के मानचित्र पर पहचान दिला सकें|
अंत में, यहाँ उपस्थित नारी-शक्ति के सम्मान में मेरे दो शेर ...
ज़िंदगी को आज़माना जानती हूँ
मैं ग़मों में मुस्कुराना जानती हूँ
ये मेरा सजदा नहीं, अखलाक़ ही है
यूँ तो मैं भी सर उठाना जानती हूँ
डॉ.पूनम
माटिया
कवि, शायरा, मंच संचालक, समाजसेवी
मुख्य वक्ता- राष्ट्रीय डायमंड अचिवर्स अवार्ड, बीकानेर
अतिथि संपादक- यूथ वर्ल्ड पत्रिका-अवार्ड स्मारिका
पॉकेट ए , 90 बी
दिलशाद गार्डन , दिल्ली 110095
poonam.matia@gmail.com
9312624097
कवि, शायरा, मंच संचालक, समाजसेवी
मुख्य वक्ता- राष्ट्रीय डायमंड अचिवर्स अवार्ड, बीकानेर
अतिथि संपादक- यूथ वर्ल्ड पत्रिका-अवार्ड स्मारिका
पॉकेट ए , 90 बी
दिलशाद गार्डन , दिल्ली 110095
poonam.matia@gmail.com
9312624097