प्रिय मित्र व् पाठकगण
आप सभी की शुभकामनाओं स्वरूप यह सम्मान- महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान - विश्व हिंदी लेखिका मंच के सौजन्य से प्राप्त हुआ|
ज़िम्मेदारियाँ और बढ़ जाती हैं ऐसे में |
महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान प्राप्त करने की अपार प्रसन्नता है|
मैं आभारी हूँ सर्वप्रथम आदरणीय साहित्यकार सविता चड्ढा जी की जिनके माध्यम से सम्मान योजना की सुचना प्राप्त हुई|
विश्व हिंदी लेखिका मंच के अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र ठाकुर जी और उनके निर्णायक मंडल का भी हार्दिक धन्यवाद मेरे नाम का चयन करने के लिए|
विभिन्न विधाओं में सृजन हेतु प्राप्त इस सम्मान के शुभ समाचार को चिडावा, राजस्थान और नई दिल्ली में समान रूप से कार्यरत पत्रकार शम्भू पंवार जी के द्वारा कई प्रिंट एवं ऑनलाइन मीडिया में प्रमुखता से छापा गया |
सभी अख़बारों और ऑनलाइन पोर्टल के संपादकों और प्रकाशकों का भी धन्यवाद|
साथ ही उन सभी वरिष्ठ स्नेहीजन का भी आभार जिनकी त्वरित शुभकामनायें प्राप्त हुईं|
अकिंचन
पूनम माटिया
साहित्यकार डॉ.पूनम माटिया महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत
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नई दिल्ली 23 जून(डॉ.शंभू पवार ) विश्व हिंदी लेखिका मंच ने दिल्ली की राष्ट्रीय ख्यातिनाम कवयित्री, लेखक, शिक्षाविद डॉ. पूनम माटिया को महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत किया है।
विश्व हिंदी रचनाकार मंच के संस्थापक व संचालक राधवेंद्र ठाकुर ने बताया कि
महिला रचनाकारों की प्रेरणा स्रोत महादेवी वर्मा की स्मृति में संचालित सम्मान योजना 2020 के अंतर्गत राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार प्रसार उल्लेखनीय रचनात्मक योगदान के लिए डॉ. पूनम माटिया को महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान से अलंकृत किया है।
उल्लेखनीय है अन्तस् की संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार, डॉ. पूनम मटिया को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके उत्कृष्ट साहित्य सृजन एवं हिंदी साहित्य के संवर्धन में अनवरत संलग्नता के लिए सैकड़ो सम्मान एवं अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
कविता की बानगी इन पंक्तियों में देखिए:
सोच का दायरा
बड़ा भी लें
तो आखिर कितना
आवाज़ टकरा के
लौट आती है
दीवारों से तुरंत
सिर्फ़ मेरा ही नहीं
हाल है ये हर उस शख़्स का
जिसने देखी होगी कभी
तारों की अनंत दीपशिखा
अपनी ही मुठ्ठी में
क़ैद करने की संजोई होगी चाह
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और एक गीत से:
कंपित हो जब देह, नेह की आशा लेकर आना|
प्रेम-मेंह की एक नवल परिभाषा लेकर आना|
लहरों से अठखेली करता चाँद कभी देखा है?
या आतुर लहरों का उठता नाद कभी देखा है?
चंदा बन के आना साजन! चंदा बन के आना,
आकर तुम मत जाना साजन..........
पल-प्रतिपल आकुल-व्याकुल मन, राह निहारे हारा|
तुम आये, ना पत्र मिला, ना कोई पता तुम्हारा|
फागुन बीता, बीत गया आषाढ़ कि आया सावन|
कब आओगे, कब आओगे, कब आओगे साजन?
सावन बनके आना साजन, सावन बनके आना,
आकर तुम मत जाना साजन...........
डॉ. माटिया को इस उपलब्धि पर साहित्यकार डॉ. दिनेश कुमार शर्मा(अलीगढ़), प्रो नागेंद्र नारायण(जालंधर), डॉ. उषा श्रीवास्तव(बेंगलरु), सविता चढ़ा दिल्ली, डॉ जे बी पांडेय, राँची, वरिष्ठ कमांडर जितेंद्र कुमार गुप्ता, जम्मू ने खुशी जाहिर करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।
डॉ.शम्भू पंवार
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