शहीदों के परिवारों के संग मिलकर दीपावली मनायें
, माटी के दीपक जलायें ...शुभकामनाएं .. डॉ. पूनम
माटिया(विद्यावाचस्पति)
चहु
दिशि ही यह नाद है, भारत देश महान।
उत्सव हैं हर रंग के, दिन-दिन बढ़ती शान।।
साफ़-सफाई में जुटें, हितकर इसको मान ।
कुछ दिन सीमित ना रहे, हो बस इसका ध्यान।।
घर-आँगन सब साफ़ हों, तन-मन हो सहमान।
जात-पात मज़हब तजें, तज दें हम अभिमान।।
माटी के दीपक जलें, संस्कृति का हो भान|
सबको ही रोटी मिले, सबके हों भगवान।|
सुंदर दीपक घी भरा, सब साजो-सामान।
राम-सिया की भेंट हो, पूजन अरु जलपान।।
‘पूनम’ इच्छा है यही, ख़ुद को लें पहचान|
घर-घर पूजें राम को, भीतर से अंजान।|
भारत माँ की आन को, तज देते जो प्रान|
उनके अपने क्यों रहें, ख़ुशियों से अन्जान||
मिलकर इस दीपावली, गायें सुख के गान|
दीपों की अवली सजे, हो उनका सम्मान||
नर-नारी बच्चों सहित, सबका है अरमान।
लक्ष्मी इस दीपावली, आयें बन महमान।।
उत्सव हैं हर रंग के, दिन-दिन बढ़ती शान।।
साफ़-सफाई में जुटें, हितकर इसको मान ।
कुछ दिन सीमित ना रहे, हो बस इसका ध्यान।।
घर-आँगन सब साफ़ हों, तन-मन हो सहमान।
जात-पात मज़हब तजें, तज दें हम अभिमान।।
माटी के दीपक जलें, संस्कृति का हो भान|
सबको ही रोटी मिले, सबके हों भगवान।|
सुंदर दीपक घी भरा, सब साजो-सामान।
राम-सिया की भेंट हो, पूजन अरु जलपान।।
‘पूनम’ इच्छा है यही, ख़ुद को लें पहचान|
घर-घर पूजें राम को, भीतर से अंजान।|
भारत माँ की आन को, तज देते जो प्रान|
उनके अपने क्यों रहें, ख़ुशियों से अन्जान||
मिलकर इस दीपावली, गायें सुख के गान|
दीपों की अवली सजे, हो उनका सम्मान||
नर-नारी बच्चों सहित, सबका है अरमान।
लक्ष्मी इस दीपावली, आयें बन महमान।।
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