*संवेदना मनुष्य का ऐसा गुण है जो उसे रचनात्मक कार्य में प्रवृत्त करता है| जिन घटनाओं से एक कवयित्री अपने जीवन में दो-चार होती है वह उसकी रचनाओं में परिलिक्षित होता है| इन्हीं प्रतिध्वनियों का घनत्व काग़ज़ पर उतर कर कविता या गद्य के रूप में हमसे रू-ब-रू होता है|
*पूनम माटिया की संवेदना ने ही उनकी शायरी में शब्दों के कलेवर को धारण किया
है| एक संवेदनशील व्यक्ति यदि कवि या कवयित्री है तो उसका चुप रहना असंभव है!
“आप बैठे हैं ख़ामोश क्यों
सुन रहे हैं, कहो तो सही”
*कवयित्री एक सामाजिक प्राणी है तथा स्वभावत: संवेदनशील होने के कारण वह अपने
आस-पास घटित होने वाली घटनाओं से न केवल प्रभावित होता है अपितु उन्हें अपनी
रचनाओं में उकेरता भी है!
“अमा की रात है सुनसान हैं सभी राहें
कि जुगनुओं को बुलाओ, बड़ा अँधेरा
है”
*पूनम माटिया एक संवेदनशील कवयित्री हैं अत: प्रस्तुत संग्रह की ग़ज़लें उसकी
भाव-प्रवणता का ही प्रतिफल है| मुझे विश्वास है कि पाठक उनकी रचनाओं को हाथों-हाथ
लेंगे| मेरी शुभकामनाएं तो पूनम माटिया के साथ हैं ही!
‘शुभास्ते सन्तु पन्थान:’
विज्ञान व्रत
5 अप्रैल2025
एन-138, सैक्टर-25
नोएडा-201301
मोबाइल-9810224571
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