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Sunday, November 2, 2025

पूनम की ये ग़ज़लें..shajar pe chaand Ugaao.. #VigyanVrat..#Pooammatia

 

 


*संवेदना मनुष्य का ऐसा गुण है जो उसे रचनात्मक कार्य में प्रवृत्त करता है| जिन घटनाओं से एक कवयित्री अपने जीवन में दो-चार होती है वह उसकी रचनाओं में परिलिक्षित होता है| इन्हीं प्रतिध्वनियों का घनत्व काग़ज़ पर उतर कर कविता या गद्य के रूप में हमसे रू-ब-रू होता है|

*पूनम माटिया की संवेदना ने ही उनकी शायरी में शब्दों के कलेवर को धारण किया है| एक संवेदनशील व्यक्ति यदि कवि या कवयित्री है तो उसका चुप रहना असंभव है!
“आप बैठे हैं ख़ामोश क्यों
सुन रहे हैं, कहो तो सही”

*कवयित्री एक सामाजिक प्राणी है तथा स्वभावत: संवेदनशील होने के कारण वह अपने आस-पास घटित होने वाली घटनाओं से न केवल प्रभावित होता है अपितु उन्हें अपनी रचनाओं में उकेरता भी है!
“अमा की रात है सुनसान हैं सभी राहें
कि जुगनुओं को बुलाओ
, बड़ा अँधेरा है”

*पूनम माटिया एक संवेदनशील कवयित्री हैं अत: प्रस्तुत संग्रह की ग़ज़लें उसकी भाव-प्रवणता का ही प्रतिफल है| मुझे विश्वास है कि पाठक उनकी रचनाओं को हाथों-हाथ लेंगे| मेरी शुभकामनाएं तो पूनम माटिया के साथ हैं ही!
‘शुभास्ते सन्तु पन्थान:’


विज्ञान व्रत

5 अप्रैल2025
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मोबाइल-9810224571

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