मुहब्बत की ख़ुराक है
हिज्र-ओ-ग़म..
लक्ष्मण सिंह 'लखन'
रिटायर्ड दैनिक
अखबार 'राजस्थान पत्रिका'
आज मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि मैं ‘शजर पे चाँद उगाओ’ की समीक्षात्मक टिप्पणी करूँ। तो इसका आगाज़ मैं पेज 79, ग़ज़ल 16 के मतले से करना चाहूँगा
तंज़ हम पे कसने
वाली हर नज़र हैरान है
बेहुनर कहने पे
हमको ख़ुद हुनर हैरान है
यह सुख़नवर के विश्वास का परिचायक है।
इसी ग़ज़ल का
मक़्ता ही कह रहा है कि आप मेरी शायरी पढ़िए तो सही|
फुनगियों पर
झूलता है चाँद 'पूनम' का यहाँ
हर मुसव्विर, हर सुख़नवर की नजर हैरान है
पेज 51, ग़ज़ल 2
ज़िन्दगी को
आज़माना जानती हूँ
मैं ग़मों में
मुस्कुराना जानती हूँ
में शायरा पूनम जी ने इज़्ज़त-ए-नफ़्स(आत्मसम्मान)और जंग-जू(योद्धा) होने के ख़याल बख़ूबी कहे हैं|
पेज 53, ग़ज़ल 3
उल्फ़तों के खेत
में उसके ही ग़म बोते रहे
फ़स्ल की गठरी
उठाये उम्र भर ढोते रहे
मुहब्बत की ख़ुराक है हिज्र-ओ-ग़म जिसे इस ग़ज़ल में ख़ूब परोसा गया है।
इसमें मुझे एक बात अखरी कि उल्फ़तों के खेत में कहा है जिसमें उल्फ़त को बहुवचन बताया गया हैं जबकि व्यक्तिगत तौर पर मुहब्बत एक ही होती है। बाक़ी शायरा पूनम जी के ख़याल हैं
पेज 63, ग़ज़ल 8
कुछ तेरा दर्द भी
सताता है
कुछ जमाना भी
क़हर ढाता है
में इश्क़ को जताते हुए तीन शे’र कहें जो इश्क़ से हुई हलचल बयाँ बख़ूबी करते हैं, वहीँ चौथे शे’र से सवालात शुरू हो जाते हैं|
इस तरह इक ही ग़ज़ल में अच्छा मिश्रण किया है|
पेज 75, ग़ज़ल 14
जिसे तू आज़माना
चाहता है
उसे सारा ज़माना
चाहता है
ग़ज़ल के चौथे मिसरे
क़सम है सात
जन्मों की हमें भी
बता कितना निभाना
चाहता है
यहाँ से टूटे हुए दिल में फिर इश्क़ को परवाज़ दिए हैं शायरा ने|
पेज 87, ग़ज़ल 20
ये कहा किसने है
शराब ग़लत
इस ग़ज़ल के अशआर ज़िन्दगी
की हक़ीक़त बयाँ करते है।
पेज 124, ग़ज़ल 38
ज़रा सी पलकें
उठाओ, बड़ा अँधेरा है
नज़र की शम्अ
जलाओ बड़ा अँधेरा है
दिखा देते नहीं
हैं मुहब्बतों के समर
शजर पे चाँद उगाओ, बड़ा अँधेरा है
ग़ज़ल के चौथे मिसरे से किताब का शीर्षक निकाला है| हौसले, उम्मीद पर ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है|
45 गजलें इस किताब में हैं। भाषा सरल है और हिन्दी, उर्दू का अच्छा प्रयोग। कुछ ग़ज़ल में काव्यात्मक शैली नजर आती है। बेटी तरंग माटिया ने जो आवरण तैयार किया है वो आकर्षक है।
मैंने अपने हिसाब से व्याख्या की है। बाक़ी आप किताब पढ़कर ही बता पायेंगे कि मेरी व्याख्या ग़लत है या सही।
लक्ष्मण सिंह 'लखन'
17 रिद्धू नगर-ए, निवारू लिंक रोड़
कालवाड़ रोड, झोटवाड़ा, जयपुर।
singhlaxma@gmail.com
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