हरिश्चंद्र राष्ट्रीय
प्रबुद्ध वर्ग समागम एवं हरिश्चंद्र जयंती का आयोजन-लखनऊ
हरिश्चंद्र वंशीय समाज लखनऊ के अंतर्गत संचालित स्किल डेवेलपमेंट एंड
स्टार्टअप के द्वारा हरिश्चंद्र प्रबुद्ध वर्ग समागम एवं हरिश्चंद्र जयंती का
आयोजन अटल कन्वेंशन सेंटर (केजीएमयू) लखनऊ में बहुत ही भव्यता से किया गया|
प्रथम सत्र में पद्मश्री प्रो. नवजीवन रस्तोगी की अध्यक्षता में युवा वर्ग की
उपलब्धियों को रेखांकित कर उनके अनुभवों को सुना गया|
द्वितीय सत्र में महाराजा हरिश्चन्द्र जी की जयंती तथा विवेकानंद जी को स्मरण करते
हुए लखनऊ से बाहर से आये हुए अतिथियों का सम्मान-सत्कार पटना से पधारे शशि शेखर
रस्तोगी की अध्यक्षता में हुआ|
प्रदीप रस्तोगी के सञ्चालन में दिल्ली से पधारी विशिष्ट अतिथि प्रसिद्द कवयित्री
डॉ पूनम माटिया(रुस्तगी) ने अपने काव्यात्मक उद्बोधन से सभी का मन मोह लिया| भारतीय समाज में महिला का
स्थान और वर्तमान समय की चुनौतियों की चर्चा करते हुए पूनम माटिया ने ‘गृहणी
गृहमुच्यते’ के सिद्धांत को स्पष्ट करते हुए कहा कि “गृहणी से घर होता है और पुरुष
गृहस्थ होता है तथा दोनों के परस्पर समन्वयकारी व्यवहार से घर-परिवार बनता है, एक दाल के दाने के दो दलों की तरह स्त्री-पुरुष समान रूप
से कर्तव्य एवं अधिकार रखते हैं| दोनों की शारीरिक संरचना तथा गुण एक दूसरे के
पूरक होते हैं तो आपस में स्पर्धा का कोई स्थान नहीं है अपितु स्वयं की बेहतरी में
प्रयासरत रहना चाहिए|
ख़ुद से ख़ुद की कीजिये, तुलना बारम्बार|
स्पर्धा उत्तम है अगर, विकसित करे विचार||”
कविता, दोहों और ग़ज़लों के शे’रों के माध्यम
से श्रोताओं की तालियाँ बटोरते हुए पूनम माटिया ने ज़िंदगी में परिवार, समाज और राष्ट्र के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण बिंदु उकेरे|
मंच पर माननीय अतिथि जुगल किशोर रुस्तगी(रेवाड़ी), राजीव रस्तोगी(खुरगुपुर)
तथा राजन रस्तोगी( जुगल किशोर ज्वेलर्स, लखनऊ) राकेश रस्तोगी(जयपुर)और काव्य सौरभ
रस्तोगी(मुरादाबाद) साथ रहे| हेली मंडी, हरियाणा से द्वारका रुस्तगी तथा नॉएडा से
राजेंद्र रुस्तगी, धनेश रुस्तगी
भी लखनऊ पधारे आयोजन में रुस्तगी समाज का प्रतिनिधित्व करने हेतु|
हरिश्चंद्र वंशीय समाज के तीन घटकों रुस्तगी, रस्तोगी तथा रोहतगी, तीनों वर्गों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की|