शोचनीय .........
किसी भी बर्तन की तरह ख़ुद को भीतर से मांजना अधिक पड़ता है ........... क्योंकि पात्र में वस्तु अन्दर ही परोसी जाती है .......पुन: -पुन: उपयोग करने के लिए उसकी सफाई भीतर ही अधिक आवश्यक है .......... थोड़े कहे को बहुत समझिये .........ऐसा मेरे बाबा /दादा कहते थे .......... पूनम माटिया
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