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Tuesday, February 19, 2019

कविता ....... नाम-लेवा बेटियाँ --- वह कविता जिसने काव्य सम्राट प्रतियोगिता में स्थान दिलाकर विजेता बनाया






शिक्षा करती है सुना, सामाजिक कल्याण|
बिटिया फिर भी मर रही, बचते नाही प्राण||

इक बेटे की आस ने, करवाए क्या काम|
मात-पिता क़ातिल बने , छीनी बुद्धि तमाम||

मोक्ष-स्वर्ग की चाह में, बेटा हुआ महान|
इक-इक करके मार दीं, देवी-सी संतान||

बूँद-बूँद से सींचती, हाड़-मांस में ढाल|
माँ ही भीतर पालती, बिटिया हो या लाल||

अंतर्मन की पीर है, अँखियन का है नीर |
बिटिया माँ की लाड़ली, किस विधि धारे धीर||

गर्भपात की बात से, जननी जाए टूट |
ममता का कर खून वो, पिये ख़ून का घूँट||

पूछे बिटिया बाप से-क्या है मेरा पाप |
जीने का अधिकार दो, हर लूँगी संताप||

बेटी गुण की पोटली, रत्नों का भंडार|
दो कुल की है शान ये, देवी का अवतार||

पत्नी, माँ सब औरतें, जीवन का आधार |
फिर बिटिया ही क्यूँ लगे, सर पर भारी भार||

क्यों बेटा प्यारा लगे, बिटिया क्यों अभिशाप|
दोनों ही संतान हैं , नहीं किसी का पाप ||

नहीं पराया धन कहो, मत मानो जंजाल|
बेटा दे दुत्कार जब, बिटिया ले संभाल||

बिटिया माँ की लाड़ली, पापा का अभिमान|
दूजे घर फिर क्यों सहे,केवल वह अपमान|| 

मारोगे यदि बेटियाँ, ख़त्म करोगे वंश|
फूटेगा घट पाप का, वंश सहेंगे दंश||

ख़ुशियाँ इक के जन्म पर, दूजे पर क्यों खेद|
बेटा-बेटी एक से, काहे कीजे भेद ||

देकर जन्म न भूलिए, देना इनको ज्ञान |
जन्म सफल होगा तभी, मिले मान-सम्मान||
मिले मान-सम्मान, लखेगी  दुनिया सारी,
मात-पिता का नाम करेगी, बिटिया प्यारी||

मात-पिता का नाम करेगी, बिटिया प्यारी ||

………….पूनम माटिया

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