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Friday, September 23, 2022

ग़ज़ल ............ हो नहीं सके ....... पूनम माटिया , Poonam Matia

ताज़ा ग़ज़ल पूरे के पूरे आपके हम हो नहीं सके बोझिल हुआ था रिश्ता कि हम ढो नहीं सके तारे सजा के आपने, आँखों में जो भरे रौशन किये थे ख़ाब वो सच हो नहीं सके काँटों-सा जो मिला है हमें क्या बताएँ अब बिस्तर मिले जो फूल के, तो सो नहीं सके ऐसे फँसे सराब में हम फँस के रह गये सच्चा मिला जो प्यार तो हम खो नहीं सके सराब-मृगतृष्णा, धोखेबाजी ऐसे उड़ी थी धूल कि क़िरदार अट गया शीशे को देखते रहे पर धो नहीं सके बरसात भी मिली कभी तो धूप भी हमें 'पूनम' कभी भी चाँदनी हम बो नहीं सके पूनम माटिया
पूनम माटिया

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