निशब्द ,निस्तेज ,निरीह सी
पाँव कुछ बंधे-बंधे से, पर
हस्त-उँगलियों में अजीब सी थिरकन
दिमाग कुछ अशांत और
दिल में कुछ उथल-पुथल
आँखें पथराई सी ,पर
निहारती ‘पथ’ किसी का
अजीब कश-म-कश,जैसे कोई भंवर
अजनबी ,अनजान सी तलाशती
‘मंजिल’ छुपी धुंधलके में किसी ...........पूनम (ss)
अति सुन्दर रचना पूनम जी, बहुत अच्छा लिखती हैं आप.....
ReplyDeleteकुमार टेक्निकल्स .....जी शुक्रिया
Deleteसिम्पल और बहुत सुन्दर ब्लोग !
ReplyDeleteबधाई !
ओम पुरोहित जी आपका स्वागत है .......और उत्साहवर्धन के लिए अति आभारी हूँ ....आपके मार्गदर्शन की आकांक्षा रखती हूँ .....:)
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