दिल रोता है
पर लब
मुस्कुराते हैं
ये
आंसू भी अजीब शय हैं
जब
रोकना चाहो
न
जाने क्यों बेतरतीब बह जाते हैं .......पूनम (स्वप्न शृंगार )
साँसे बची थी ‘जिसके’ इन्तेज़ार
में
उससे नज़रें मिला लूँ तो चलूँ
नींद ने अपने आगोश में घेरा है
पर अपने आगोश में ‘उसको’ समालूँ
तो चलूँ .......पूनम (स्वप्न शृंगार )
sundar sapno ka sansar.behatareen"kabhi shola kabhi khoon ka dariya hai,ye aankh bhi mat pooch,nagmye mohabbt ka jariya hai"
ReplyDeleteAziz saheb .shukriya
Deletesunder...
ReplyDeletedhanywad suman ji
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