बह्र ए कामिल
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मेरी तिश्नगी , मेरी बंदगी, जो हयात में तू नसीब है
हबीब -मित्र, तिश्नगी -प्यास
बंदगी - पूजा-अर्चना
तेरी जुस्तजू, तेरी आरज़ू, मुझे हर क़दम तेरी चाहतें
तू ही दर्द है, तू दवा मेरी, तू इलाज है , तू तबीब है
तबीब: दवा करने वाला, चिकित्सक
तू ही दर्द है, तू दवा मेरी, तू इलाज है , तू तबीब है
तबीब: दवा करने वाला, चिकित्सक
मेरी सोच में, मेरे ख़्वाब में, मेरी साँस में वो बसा है जो
न रफ़ीक़ है, न रक़ीब है, न वो दूर है, न क़रीब है
रफ़ीक़: मित्र , दोस्त
दिली ख़्वाहिशें मिटें दूरियाँ, हो सियासतों का अमल यही
जो कसीह है, जो क़सीफ़ है मिले सब उसे जो ग़रीब है
कसीह: विवश, लाचार
क़सीफ़: मैला, अपवित्र
ये शरीर बस जो मिला मुझे , मेरी रूह का ही लिबास है
ये जो आज है कभी हो न हो ये तो हर जनम में क़शीब है
क़शीब-पहनने का नया वस्त्र
पूनम माटिया
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