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Sunday, July 19, 2020

लोकतंत्र में स्वयं सेवी संस्थाओं की महत्ती भूमिका-राष्ट्रीय संगोष्ठी- Report By Dr Poonam Matia




 












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“लोकतंत्र में समाज सेवा में लगीं विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं का अत्यंत महत्त्व है| इसलिए भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय से उन्हें पांचवा स्तम्भ कहा गया|आवश्यकता इस बात की है कि वर्तमान संकट की घड़ी में जब कोरोना पूरे विश्व में फैल रहा है और भारत में भी अपने पाँव पसार महामारी का रूप दिखा रहा है, ऐसे में भारत की छोटी-बड़ी सभी संस्थाओं को एक जुट होकर इसकी रोकथाम का भरपूर प्रयास करना चाहिए|” ऐसा कहना था पूर्व राज्यपाल, गोवा, समाज सेवी, पत्रकार  एवं प्रख्यात साहित्यकार मृदुला सिन्हा का
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ज्ञात हो इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती एवं सूर्या संस्थान, नॉएडा, के संयुक्त तत्त्वावधान में 25 जून शाम चार बजे से  एक विशेष राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई जिसका विषय था कोरोना संकट काल में स्वयं सेवी संथाओं की भूमिका (पांचवा स्तम्भ)| 

डॉ मृदुला सिन्हा  अपने अध्यक्षीय भाषण में आगे कहा कि भारत में लाखों की संख्या में स्वयं सेवी संस्थाएं हैं परन्तु जो निष्ठा से भारत के लिए कार्य करने वाली हैं उनके कार्यकर्ताओं को आगे लाना होगा | अच्छी संस्थाओं की यहाँ कमी नहीं है पर या तो उन तक हमारी पहुँच नहीं है या वे आगे बढ़कर कार्य करने में रूचि नहीं लेतीं| आज के समय में यह आवश्यकता है कि वे आगे आयें| सम्माज सेवा वही कर सकता है जिसके मन में करुणा, परोपकार का नि:स्वार्थ भाव हो और निष्काम कार्य करने की प्रवृत्ति हो|साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान समयमें जो भी संगोष्ठियाँ-वेबिनार आदि हो रहे हैं उनमे हुई चर्चा फलित हो, आम जन तक उनका सकारात्मक प्रभाव पहुँचे, ऐसा प्रयास रहना चाहिए|
इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती के अध्यक्ष डॉ राम शरण गौड़ ने अपने वक्तव्य में इस समय देश के सामने कोरोना की वजह से सामने आयीं अनेक समस्याओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि बीमारी तो अपने आप में समस्या है ही, साथ ही देश में आर्थिक समस्या भी मुंह खोल के के खड़ी है| चीन और पाकिस्तान भी अपनी कुटिल हरकतों से बाज नहीं आ रहे और उनके प्रति हमारी कुछ देश-द्रोही शक्तियों की भी पूरी-पूरी सहानुभूति है अत: इस बात की आवश्यकता है कि अपने-अपने क्षेत्र में अपना कार्य करते हुए ये स्वयं सेवी संस्थाएं जन-जागरण का अभियान भी चलायें| इस प्रकार की शक्तियां जो हमारे देश की अखंडता और समरसता को खंडित करने में  लगी हैं उनके प्रति सामान्य जनता को प्रतिकार करने के लिए प्रेरित करें|
आयोजन  के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री सुशील चन्द्र त्रिवेदी ने अपने वक्तव्य में उनके द्वारा इटावा एवं आसपास के क्षेत्रों में कोरोना के वर्तमान संकट के समय किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया| उन्होंने बताया कि मज़दूरों, ज़रूरतमंदों के भोजन-पानी एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं संस्था की ओर से प्रदान कीं हैं तथा उन क्षेत्रों में कोरोना से बचाव के उपायों के बारे में भी घर-घर जाकर बताया है| उनके द्वारा परिचालित तीन वृद्धाश्रमों के सम्बन्ध में बताते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ का सञ्चालन पारिवारिक वातावरण में हो रहा है|
प्रो. नरेन्द्र मिश्र(प्रांत अध्यक्ष, जोधपुर इकाई) ने बताया कि उन्होंने साहित्य परिषद् के अनेक लेखकों, साहित्यकारों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोग से कोरोना के मरीज़ों को अस्पताल पहुँचाने, बेरोज़गार हुए मजदूरों को आवास, भोजन तथा वस्त्र आदि प्रदान करने का कार्य किया और गाड़ियों के माध्यम से उन्हें उनकी इच्छानुसार उनके गंतव्य स्थान तक पहुँचाया| जोधपूर इकाई की ओर से उन्होंने  आसपास के क्ष्रेत्रों के हज़ारों मज़दूरों की सहायता की| उन्होंने देश सेवा के इस कार्य में अधिक से अधिक  लोगों को हमारे साथ आने के लिए आह्वाहन किया|
‘पांचवा स्तम्भ’ पत्रिका की संपादक श्रीमती संगीता सिन्हा ने कहा कि वे पत्रिका के लेखों एवं अन्य सामग्री को संयोजित करते हुए स्वेच्छिक संस्थाओं के कार्य में अभिवृद्धि करने के लिए प्रयासरत हैं | जो संस्थाएं अच्छा कार्य कर रही हैं  उनके कार्यों को पांचवा स्तम्भ में प्रकाशित कर पाठकों के समक्ष लाने का महत्ती कार्य हो रहा है|
श्री मुन्ना लाल जैन, उपाध्यक्ष, इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कोरोनो के संकट को वैश्विक संकट बताते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संघठन ने इसे ‘पैनडेमिक’ कहा है ‘एपिडेमिक’ की बजाय| लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका  और मीडिया के बाद स्वेच्छिक, स्वयं सेवी संस्थाओं को पांचवा स्तम्भ कहा| इस तरह ‘पांचवा स्तम्भ’ पत्रिका के महत्त्व  को रेखांकित करते हुए उन्होंने स्वयं सेवी संस्थाओं  की महत्ती भूमिका को उदाहरण सहित उल्लेखित करते हुए कहा कि जहाँ सरकार, शासन , प्रशासन नहीं पहुँच पाते वहाँ ये संस्थाएं अपनी निस्वार्थ सेवा त्वरित उपलब्ध कराती हैं | साथ ही आज के समय में सम्पूर्णा नामक संस्था  के कार्य तथा अपने विद्यालय में शिक्षकों तथा प्रबंधकों की सहायता से विद्यार्थियों में जाग्रति लाने के सफल प्रयासों का उल्लेख भी बताया| उन्होंने कहा कि किसी भी देश के संकट को समाप्त करने के लिए स्वयं सेवी संस्थाएं प्रबल,प्रभावी व स्वयं में प्रकट होती हैं|

केंद्र-पदाधिकारी श्री प्रवीण आर्य ने अपने सञ्चालन के दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं और ग़ैर सरकारी संगठनों के मध्य के बड़े अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वयं सेवी संस्थाएं सरकारी प्रसाद पाने की नहीं अपितु सेवा की भावना से स्वचालित होती हैं|
प्रान्त मंत्री श्रीमती पूनम माटिया ने इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती, दिल्ली  द्वारा पिछले महीनों में किये गए सेवा कार्यों का तथा स्वयं सेवी संस्था ‘अंतस्’  द्वारा कोरोना के संकट में भी साहित्यिक जागरण का उल्लेख किया| साहित्य सृजन द्वारा जन जाग्रति के महत्त्व को अपनी पंक्तियों द्वारा उल्लेखित किया-
चलो छोड़ो  गले मिलना, नमस्ते ही को अपनाओ/ बढ़ाओ अपनी क्षमता  और  शाकाहार ही खाओ
कि चुन्नी और गमछा ही बहुत हैं मुँह को ढकने को/हमारी संस्कृति आला
, इसे उपयोग में लाओ

हराना है कॅरोना को
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तो ये भी ध्यान में रक्खें/ कि खाकर अब न थूकेंगे कहीं भी पान की पीकें
कॅरोना फैल सकता है कहीं पर छींकने से भी/हम अपनी बायीं बाजू को उठाकर उसपे ही छींकें

संस्था की सक्रिय सदस्य श्रीमती सुनीता बुग्गा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ-साथ अपने क्षेत्र किये गए जन–जाग्रति तथा भोजन की व्यवस्था आदि सामाजिक कार्यों के बारे में बताया|
पूर्व महापौर श्री महेशचंद शर्मा, डॉ विनोद बब्बर, इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती की संयुक्त महामंत्री डॉ नीलम राठी, मंत्री श्री ब्रजेश गर्ग, संयोजक सूर्या संस्थान
, नॉएडा श्री देवेन्द्र मित्तल, श्री शांति सयाल, श्री अशोक नौरियाल श्री अशोक कुमार ज्योति तथा अन्य गणमान्य सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही|
अंत में संस्था के महामंत्री श्री मनोज शर्मा ने सभी वक्ताओं, कार्यकर्ताओं और उपस्थित श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया|



पूनम माटिया

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