वरिष्ठ साहित्यकार डॉ
आदेश त्यागी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में निर्बाध गोष्ठियों और उत्कृष्ट काव्य-पाठ
को रेखांकित करते हुए ऑनलाइन गोष्ठियों के आयोजन के लिए तरंग माटिया, नरेश माटिया व् अंतस्
परिवार के कार्यशील सदस्यों के कठिन परिश्रम का उल्लेख किया| साथ ही भारत-युक्रेन
युद्ध में वर्तमान भारतीय सरकार की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय
तिरंगे का महत्त्व विश्व में बढ़ा है| राम कथा के विभिन्न मुक्तकों और ग़ज़ल पढ़ते हुए
सभी का मन-मोह लिया|
‘जो तिलक बन के मस्तक पे आगत हुआ /एक-इक रेत का कण
वो, अक्षत हुआ
राम ने उर लगाया विभीषण
को जब/वो
ही पल उस को
मङ्गल मुहूरत हुआ’
पूनम माटिया और कवि दुर्गेश अवस्थी ने समवेत रूप से गोष्ठी का रोचक सञ्चालन अनवरत तीन
घंटे तक किया|
विभिन्न विधाओं
और रसों में सभी रचनाकारों ने एक से बढ़कर
एक काव्य-प्रस्तुति दी|
पूनम माटिया ने
अपने काव्य पाठ में वर्तमान में होली की महत्ता बताते हुए मुक्तक पढ़े तो होली की
ख़ुमारी भी गीत में प्रस्तुत की|
‘ख़ुशियों के मेले
कहीं, कहीं दुखों की रेल/ आती-जाती सांसों का जीवन है इक खेल
मिलन-विरह के योग को लेते हैं सब झेल/ सबको ही रुचता बहुत होली का ये मेल’
मुख्य अतिथि, जेड्डाह(साउदी अरब) से अनीस
अहमद ‘अनीस’ ने अपनी ग़ज़ल से समां बाँध दिया|
मुहब्बत का झरना है हर सू बहेगा/ तिरंगा हमारा सलामत रहेगा
***
क़ाफ़िला तीरगी का रवाना हुआ / जब से महताब से दोस्ताना हुआ
क़ैस के मो'तक़िद और भी थे मगर/ शह्र
में मैं अकेला निशाना हुआ
सान्निध्य-श्री राम आसरे गोयल(सिंभावली)-वसंत-गीत
‘बन न जाएँ जलद ये नयन बहते–बहते’
विशिष्ट अतिथि, सरफ़रा़ज़ अहमद फ़राज़
दहलवी ने शायरी का रंग तरन्नुम में और गहरा कर दिया|
‘रौशनी से अगर
मिला कीजे/ अपने साए का मत गिला कीजे
पहले दिल अपना आएना कीजे/ फिर ज़मानें पे तबसरा कीजे’
डॉ नीलम वर्मा –‘आज
होली है रंग खेलेंगे/ दिल में भर के उमंग खेलेंगे’
तरुणा पुंडीर-‘आया मधुमास देखो/ सखियों का हास देखो’
सुशीला श्रीवास्तव- ‘अब रंग वसंती छाया है/मस्ताना मौसम आया है’
डॉ उषा अग्रवाल-
‘आज होली के रंग में सराबोर कर दो/ डालो गुलाल और प्रेम रंग भर दो’
रुचि जैन- ‘ढल
गयी शाम मुहब्बत का यही अरमान रहा/ भर लूँ आगोश में दिल सोच यही परेशान रहा’
सुनीता अग्रवाल-
‘काव्य
की पिचकारी रंग भर लाए, कहने लगी कि होली
आए
अपरिचित को भी
परिचित बना दे, ऐसी होली आए’
विशिष्ट अतिथि, श्रीमती मिथिलेश त्यागी
(मेरठ), गीतकार दुर्गेश अवस्थी, कृष्ण बिहारी शर्मा और वरिष्ठ कवयित्री तूलिका सेठ
ने भी अपने अनूठे अंदाज़ में रोचक प्रस्तुतियाँ दीं|
नरेश
माटिया-संरक्षक, अंतस्, डॉ दिनेश शर्मा, शायरा सोनम यादव, अंशु जैन-वरिष्ठ
उपाध्यक्ष, अंतस्, गौरव सिंघल की गरिमामयी
उत्साहवर्धक उपस्थिति रही|
सुधि श्रोताओं
तथा अन्य उपस्थित सभी कविवृन्द को धन्यवाद
ज्ञापित किया संस्था के महासचिव दुर्गेश अवस्थी ने|
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