प्रेम भक्त है
प्रेम में जीवन
प्रेम बिन तन निष्प्राण
प्रेम ही संगीत
प्रेम ही मधुर गान
सुमधुर झंकार से झंकृत
कर्ण-प्रिय और
नैनों की ज्योति है प्रेम
अधरों पर मुस्कान
सुगन्धित पवन है प्रेम
ये धरती प्रेम-मय
व्योम में भी व्याप्त है प्रेम
धुरी पर ज्यूँ घूमे धरा
त्यों ही झूमे दिल प्रेम -भरा
मीरा है प्रेम
राधा है प्रेम
कबीर के दोहे
कालिदास का काव्य है प्रेम
निश्छल चन्द्र किरणों सा
तेजोमय दिनकर सा
हर प्राणी का
तात और मात है प्रेम ............पूनम .......
सुगन्धित पवन है प्रेम
ReplyDeleteये धरती प्रेम-मय
व्योम में भी व्याप्त है प्रेम
धुरी पर ज्यूँ घूमे धरा
त्यों ही झूमे दिल प्रेम -भरा
मीरा है प्रेम
राधा है प्रेम
bahut acha hai poonam ji
मोहन जी शुक्रिया ..........:)
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