मधुर ताल, मधुर गान मधुर ही हैं ये अधर तोरे नयन तोरे धीर, गंभीर पर चलाये घनेरे तीर हृदय तरंगित हो उठता जब पग में बाजे पायल तोरे सुन मोरे चंचल, शोख मितवा तोरे से जगमग दिन-रैन मोरे
यशवंत जी ये आपका स्नेह है जो आप स्वत: ही मेरी रचनाओं को अपने ब्लॉग द्वारा विस्तृत पहुँच दे रहे हैं ..... एक सुझाव दें कि मै कैसे अपने ब्लॉग और फेसबुक प्रोफाइल में यह जानकारी शेयर करूँ ?
बिलकुल सही कहा आपने यशोदा जी यशवंत जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने 'नई-पुरानी हलचल' में मेरी रचनाओं के लिंक शेयर किये ......फेसबुक पर भी मै इसी नाम से हूँ
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया यशवंत जी ........:)
Deleteगंभीर
ReplyDeleteपर चलाये घनेरे तीर
हृदय तरंगित हो उठता
जब पग में बाजे पायल तोरे
सुन मोरे चंचल,,,,,बहुत बहुत बहुत बहुत ही खू ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब
:) शुक्रिया मोहन जी
Deleteसुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteशुक्रिया ओंकार जी
Deleteआज 07/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in लिंक की गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
यशवंत जी ये आपका स्नेह है जो आप स्वत: ही मेरी रचनाओं को अपने ब्लॉग द्वारा विस्तृत पहुँच दे रहे हैं .....
Deleteएक सुझाव दें कि मै कैसे अपने ब्लॉग और फेसबुक प्रोफाइल में यह जानकारी शेयर करूँ ?
महोदया मैंने आपके ब्लॉग देखे किस पोस्ट की तारीफ़ करूँ और किसे छोड़ दूँ ...कभी हमारे घर भी पधारिए आपका स्वागत है पता है ..http://pankajkrsah.blospot.com
ReplyDeleteघुमावदार शब्दों में तारीफ़ करने के लिए और निमंत्रण के लिए आभार
Deleteपंकज जी जरूर अवलोकन हेतु आपके ब्लॉग में आना चाहूंगी :)
शुक्रिया पूनम बहन
ReplyDeleteआपसे मुलाकात न होती
गर ये रचना नई-पुरानी हलचल मे न जाती
मीठी रचना
बिलकुल सही कहा आपने यशोदा जी
Deleteयशवंत जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने 'नई-पुरानी हलचल' में मेरी रचनाओं के लिंक शेयर किये ......फेसबुक पर भी मै इसी नाम से हूँ
आपके मितवा ने मन मोह लिया....
ReplyDeleteसुन्दर...
अनु
शुक्रिया अनु .......फेसबुक पर कैसे पहचाने आपको :)))))))
Deleteब्लॉग पर तो पधारें :-)
Deleteshringarrash ki ye kavita wahhhhh bolne ko majboor karti.....
ReplyDeleteअतुल ,इतना कटु सत्य /व्यंग्य लिखने वाले आप जैसे लेखक को शृंगार रस पसंद आया .......:) आभार
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