एक बार मेरी मित्र अंशु ने कहा कि कोई ऐसी छोटी-सी कविता दो जो नयी बहू के स्वागत में पढ़ी जा सके
बस तब ही इन दोहों की रचना हुई |
कहीं पढ़ा ता मैंने कि औरत को सबसे अच्छा लगता है अपने मन का करना यानी स्वेच्छा से करना| स्वेच्छा से तो वह बड़े से बड़े समर्पण को भी तैयार हो जाती है| बस! इतना ही कि उसके मन की बात सुनी जाए और उसका मान हो |
बस तब ही इन दोहों की रचना हुई |
कहीं पढ़ा ता मैंने कि औरत को सबसे अच्छा लगता है अपने मन का करना यानी स्वेच्छा से करना| स्वेच्छा से तो वह बड़े से बड़े समर्पण को भी तैयार हो जाती है| बस! इतना ही कि उसके मन की बात सुनी जाए और उसका मान हो |
सोचती हूँ, ए काश! नयी बहुओं के स्वागत में सभी इन भाव-प्रवण पंक्तियों को पढ़ कर सुनाएँ ताकि पहले ही दिन से किसी बहू को अपना ससुराल पराया न लगे ...... :)
आप क्या सोचते हैं
आप क्या सोचते हैं
लाया बेटा ब्याहकर, दिया हमें उपहार|
घर #उत्सव की देहरी, उल्लासों का द्वार||
सजा देहरी पुष्प से, भरे नयन में प्यार|
#नवल_वधू का कर रहे, हम स्वागत-सत्कार||
घर #उत्सव की देहरी, उल्लासों का द्वार||
सजा देहरी पुष्प से, भरे नयन में प्यार|
#नवल_वधू का कर रहे, हम स्वागत-सत्कार||
सबको देना प्यार तू, सबसे पाना प्यार|
यह तेरा कर्त्तव्य है, यह तेरा अधिकार||
यह तेरा कर्त्तव्य है, यह तेरा अधिकार||
तेरे #मन_की_बात का, है पूरा सत्कार||
@Poonam Matia
https://www.blogger.com/blog/post/edit/4103944579585830183/2847268646945821913
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और भावपूर्ण दोहावली...
ReplyDeleteधन्यवाद नरेश
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