पद्मश्री आदरणीय आनन्द मोहन जुत्शी जी (गुलज़ार देहलवी जी)
हमारे बीच नहीं रहे।
मुझे DrAshok Madhup जी की संस्था कायाकल्प-कला एवं साहित्य संस्थान द्वारा कायाकल्प साहित्य श्री सम्मान जनाब गुलज़ार देहलवी जी के हाथों से ही मिला था।
बाद में पता चला था कि ये अदबी नाम था असल में वे कश्मीरी पंडित जुत्शी थे। कई आयोजनों में उसके बाद मिलना हुआ परन्तु यह विशेष था| शायर Manu Bhardwaj जी भी इस लम्हे के साक्षी हैं |साथ में आदरणीय सरोजिनी कुलश्रेष्ठ हैं| मैं इस दिनको वैसे भी भूल नहीं सकते साहित्य श्री सम्मान के साथ साथ पारिवारिक स्तर पर भी मेरा ओहदा बढ़ने कीतयारी हुई थी .बड़ी बेटी तान्या का रिश्ता तय हुआ था|
वे अपने कृतित्व के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे|
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|
श्रद्धा सुमन
मार्च 2020 से हीसिलसिला कुछ यूँ चल रहा है ......
पाँच मार्च को दिल्ली के पीतम पुरा में मेरे पिता इस देह को छोड़ गये | माँ तो २०१५ में ही चली गयीं थीं |
3 अप्रेल को हमारे प्रिय संगीतज्ञ, शायर, भजन गायक मित्र जगदीश भारद्वाज जी का देहावसान हुआ\
25 मई को मशहूर ग़ज़लकार और हिंदी-उर्दू अदब की पायदार शख्सियत जनाब सर्वेश चन्दौसवी भी इस फ़ानी दुनिया से नाता तोड़ गये जिसके बारे में मैंने आपको अपने ब्लॉग में बताया भी था|
तो बस अपनी यही पंक्तियाँ मुझे मौज़ूअ लगती हैं ऐसे में ........
एक पल था लगा हासिले ज़िंदगी
एक पल सारी उम्मीद जाती रही
जश्न चलते रहे ज़िन्दगी के मगर
मौत भी अपने जलवे दिखाती रही
पूनम माटिया
हमारे बीच नहीं रहे।
मुझे DrAshok Madhup जी की संस्था कायाकल्प-कला एवं साहित्य संस्थान द्वारा कायाकल्प साहित्य श्री सम्मान जनाब गुलज़ार देहलवी जी के हाथों से ही मिला था।
बाद में पता चला था कि ये अदबी नाम था असल में वे कश्मीरी पंडित जुत्शी थे। कई आयोजनों में उसके बाद मिलना हुआ परन्तु यह विशेष था| शायर Manu Bhardwaj जी भी इस लम्हे के साक्षी हैं |साथ में आदरणीय सरोजिनी कुलश्रेष्ठ हैं| मैं इस दिनको वैसे भी भूल नहीं सकते साहित्य श्री सम्मान के साथ साथ पारिवारिक स्तर पर भी मेरा ओहदा बढ़ने कीतयारी हुई थी .बड़ी बेटी तान्या का रिश्ता तय हुआ था|
वे अपने कृतित्व के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे|
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|
श्रद्धा सुमन
मार्च 2020 से हीसिलसिला कुछ यूँ चल रहा है ......
पाँच मार्च को दिल्ली के पीतम पुरा में मेरे पिता इस देह को छोड़ गये | माँ तो २०१५ में ही चली गयीं थीं |
3 अप्रेल को हमारे प्रिय संगीतज्ञ, शायर, भजन गायक मित्र जगदीश भारद्वाज जी का देहावसान हुआ\
25 मई को मशहूर ग़ज़लकार और हिंदी-उर्दू अदब की पायदार शख्सियत जनाब सर्वेश चन्दौसवी भी इस फ़ानी दुनिया से नाता तोड़ गये जिसके बारे में मैंने आपको अपने ब्लॉग में बताया भी था|
तो बस अपनी यही पंक्तियाँ मुझे मौज़ूअ लगती हैं ऐसे में ........
एक पल था लगा हासिले ज़िंदगी
एक पल सारी उम्मीद जाती रही
जश्न चलते रहे ज़िन्दगी के मगर
मौत भी अपने जलवे दिखाती रही
पूनम माटिया
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