छः महीने हुए थे बेटे का #रिश्ता तय हुए दूसरे शहर की एक सभ्य, स्मार्ट मध्यवर्गीय परिवार की इकलौती लड़की से। सब ख़ुश थे। कई बार बेटे के होने वाले ससुराल में नेकचंद जी का जाना भी हुआ। ख़ूब #आवभगत हुई किन्तु पिछले सप्ताह जब किसी काम से गये तो रिश्ता तोड़ आये। बीवी ने पूछा तो बोले #समधन के माथे पर पसीने की बूंदें और उनकी बिटिया का मेकअप से चमकता चेहरा और #टिपटॉप स्टाइल को हर बार देख रहा था। जिस बेटी को अपनी #माँ_की_मदद का ख़याल नहीं आया वो अपनी #सास यानी तुम्हारे बारे में सोचेगी भी क्या!!!
पूनम माटिया
9312624097
Poonam.matia@gmail.com
दिल्ली
बहुत सुंदर संदेश ,जो आज बहुत से परिवार की असलियत है।।
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteजी रमा नीलदीप्ति जी
Deleteसच कहा इसलिए ही ये लघु कथा का विषय बनाया ताकि हम सब इस तथ्य को संजीदगी से लें
आधुनिकता के नाम पर हम लोग आज आत्म-केन्द्रित होते जा रहे है...दुसरो के लिए सेवा , त्याग , समर्पण बस अब किताबी बाते रह गयी है ...क्योकि 'मेरा क्या फायदा '...हमेशा दिमाग पर छाया रहता है....कुछ ही शब्दों में इस बात को बता दिया गया है ...इस कहानी में.....बढ़िया शिक्षाप्रद कहानी .......
ReplyDeleteलघु कथा की सार्थकता इसी में है कि उसका संदेश ग्रहण हो जाये।
Deleteआधुनिकता यदि संवेदना विहीन होगी तो रिश्ते नहीं निभ पाएंगे।
धन्यवाद
Good reading this post
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