मैंने पी संग खेली होली
भीगी अंगिया भीगी चोली
मैंने पी संग खेली होली
कंगन, झुमका, पायल, हार
नहीं मोहे कोई दरकार
मैं पी की बाँहों में झूली
मैंने पी संग खेली होली
रंग डारे मोरे गाल गुलाल
सर्र-२ चले पानी की धार
मैं झूम झूम बांवरी हो ली
मैंने पी संग खेली होली
कजरा, गजरा, बिंदी, लाली
शर्म-ओ-हया सारी धो डाली
देवर-नंदोई संग करूँ ठिठोली
मैंने पी संग खेली होली
मोरे पिया गए अब बोराए
सब जन आगे अंग लगाये
खाई कैसी नशे की गोली
मैंने पी संग खेली होली...............पूनम
होली की महिमा न्यारी
ReplyDeleteसब पर की है रंगदारी
खट्टे मीठे रिश्तों में
मारी रंग भरी पिचकारी
ब्लोगरों की महिमा न्यारी …………होली की शुभकामनायें
धन्यवाद वंदना .......वाकई ब्लोगरों की महिमा का कोई पारावार नहीं लगता :)
Deletekhoobsurat rango se sarobaar rachna.........& thanks
ReplyDeletedhanywad Bhai sa
DeleteVety nice !!!
ReplyDeleteशुक्रिया डी के जी
Deleteजिन चूल्हों में नहीं है लकड़ी, और किरोसिन गैस,
ReplyDeleteउनका भी रखें खयाल हम करते रंग संग ऐश-----
जिन बच्चों की आँख ना देखी, गुझिया और ना रोली
उनको क्या (?) 26जनवरी, 15अगस्त ईद या होली!!
चिंता जताती पंक्तियाँ ..... वाजिब है चिंता करना
Deleteधन्यवाद यशवंत जी
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