बूँद बूँद सागर भरे
तिनका तिनका नीड़
पाथर में पाथर जुड़े
ताकतवर हो नींव
कलिकाल विकराल हो
उसका रूप अधीर
बढ़ते जाएँ दुष्कर्म जो
सुरसरी कैसे थामे नीर
उसकी शक्ति अपार है
जाने हर कोई जीव
रक्षा करे हर काल में
गर पुण्य जायें जीत
जड़ चेतन सब में बसे
है अंश उसी का जीव
फ़तेह करने निकल पड़ा
फिर भी उठा शमशीर
बढ़ते बढ़ते बढ़ गयी
हुआ प्यास से अधीर
भरे पेट भी आसानी से
दूजे की रोटी लेता छीन
बस इतना ही चाहिए
चलता चले रणवीर
किन्तु संरक्षण प्रकृति का
रखता चले उर बीच
जितनी भी रचना करे
नभ धरती समंदर बीच
शोभित करे वक्ष स्थल
न घाव करे गंभीर.................... पूनम माटिया
तिनका तिनका नीड़
पाथर में पाथर जुड़े
ताकतवर हो नींव
कलिकाल विकराल हो
उसका रूप अधीर
बढ़ते जाएँ दुष्कर्म जो
सुरसरी कैसे थामे नीर
उसकी शक्ति अपार है
जाने हर कोई जीव
रक्षा करे हर काल में
गर पुण्य जायें जीत
जड़ चेतन सब में बसे
है अंश उसी का जीव
फ़तेह करने निकल पड़ा
फिर भी उठा शमशीर
बढ़ते बढ़ते बढ़ गयी
हुआ प्यास से अधीर
भरे पेट भी आसानी से
दूजे की रोटी लेता छीन
बस इतना ही चाहिए
चलता चले रणवीर
किन्तु संरक्षण प्रकृति का
रखता चले उर बीच
जितनी भी रचना करे
नभ धरती समंदर बीच
शोभित करे वक्ष स्थल
न घाव करे गंभीर.................... पूनम माटिया
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