*बेटों से हो रखवाली, होगी इक नई तारीख़*
*इनसे हो न शैतानी, होगी इक नई तारीख़*
*खेल ये सियासत का, आदमी जो समझेगा*
*ख़त्म होगी बदहाली, होगी इक नई तारीख़*
*मत उदास बैठो अब, कब तलक़ रहेंगे ग़म*
*रात तो ढलेगी ही, होगी इक नई तारीख़*
*मुन्हसिर है सब उस पर, वो ही है जहां का रब*
*गर रज़ा भी हो उसकी, होगी इक नई तारीख़*
मुन्हसिर- निर्भर
जहां-जगत
*अब हवा भी बदली है, बदली हैं फ़ज़ाएँ भी*
*अब लगे है हमको भी, होगी इक नई तारीख़*
पूनम माटिया
अब हवा भी बदली है,बदली है फजाएं भी
ReplyDeleteअब लगे है हमको भी,होगी इक नई तारीख"
शानदार
पुष्कर जी ... आभार .......इस बदलते राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को दर्शाने की कोशिश की।एक नए भारत की झलक|
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