जयकृष्ण जी ......आप का ब्लॉग में स्वागत है .......इस रचना को सराह कर आपने मुझे इस रीति में लिखने को प्रोत्साहित किया है ........अधिकतर मई हिंदी -उर्दू मिश्रण लिखती हूँ ......कभी कभी ही लोक भाषा में लिखती हूँ :)
lok bhasa me padhkar achha laga.... purani yaden taza hui jab hume classes me hindi ki kavitaye teacher ke dwara pdhai jati thi....... i m so thankfull to posted this types poem.
उडत फिरत हूँ...दरस को तिहारे,
ReplyDeleteपल भर को पलक झपकाओ ,
मोर मन धीर कहीं तो पाए प्रिय.
बहुत खूब शानदार रचना पूनम जी.
Vaibhav जी शुक्रिया आपने ब्लॉग में ये रचना पढ़ी और अपनी प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन भी किया
Deleteबहुत सुन्दर कविता |
ReplyDeleteजयकृष्ण जी ......आप का ब्लॉग में स्वागत है .......इस रचना को सराह कर आपने मुझे इस रीति में लिखने को प्रोत्साहित किया है ........अधिकतर मई हिंदी -उर्दू मिश्रण लिखती हूँ ......कभी कभी ही लोक भाषा में लिखती हूँ :)
Deletelok bhasa me padhkar achha laga.... purani yaden taza hui jab hume classes me hindi ki kavitaye teacher ke dwara pdhai jati thi....... i m so thankfull to posted this types poem.
ReplyDeleteअतुल ........:) आपका आभार के आपने इस तरह के प्रयोग को सराहा
Deleteसुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteशुभकामनायें ...
अनुपमा जी शुक्रिया
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसंगीता जी होसला अफजाई का शुक्रिया
Deleteप्रेम सिंचित भावनाएं. बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteshukriya Nihar ji
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