तन्हाई में अक्सर ये ख़याल मुझे आता है
इंसा सोचता कुछ है हो कुछ और जाता है
वक्त की करवटों ने बदल दिया इतना मुझे
आइना भी देखूं तो अजनबी नज़र आता है
माटी के बर्तन प्लास्टिक की गुडिया खेलते थे
सोचा किसने था ये वक्त लौट के कहाँ आता है
भीड़ ख्यालात की इतनी रहने लगी ज़हन में
खुद से मिलने का भी वक्त कहाँ मिल पाता है
खिलखिलाके यूँही हंस देते थे हर बात पे हरदम
अब तो हंसने की बात पे भी हंसा कहाँ जाता है
मिलने के बहाने खोजा करते थे जिससे पल-पल
अब उस शक्स का ख्याल भी पूनम कम आता है...............पूनम'पिंक'
Vah ki Hava men meri to yahi duva hai ki aapke kadam sada anoopam rahe poonam-ji
ReplyDeleteहरीश जी आप ने दुआओं में मुझे स्थान दिया ...हृदय से आभारी हूँ
Deleteबहुत खूब, क्या लिखा है, दिल के अरमानों को कलम के जरिए शीशे पर उतारकर रख दिया,,, सच में बेहद खूब। माशाअल्लाह....
ReplyDeleteखुला मंच .....स्वागत एवं आभार ...
DeleteYashodha जी नमस्कार एवं धन्यवाद मेरी रचनाओ को अपना स्नेह देने के लिए
ReplyDeleteलाजवाब रचना
ReplyDeleteसादर
यशवंत जी शुक्रिया
Deletepoonam ji swagat hai nai rachna ke sath likhte rahiye,God bless u
ReplyDeleteसरिता जी प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया
Deleteवक्त की करवटों ने बदल दिया इतना मुझे
ReplyDeleteआइना भी देखूं तो अजनबी नज़र आता है
bahut khoob ji
ओम पुरोहित जी .......आप का सदैव स्वागत है ......धन्यवाद
Deleteवक्त की करवटों ने बदल दिया इतना मुझे
Deleteआइना भी देखूं तो अजनबी नज़र आता है
बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
शुक्रिया मदन जी ....आपके प्रोत्साहन के लिए
Deleteवक्त की करवटों ने बदल दिया इतना मुझे
ReplyDeleteआइना भी देखूं तो अजनबी नज़र आता है
...बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...
धन्यवाद कैलाश जी
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .........
ReplyDeleteswagat evam dhanywaad alka ji
Deleteअपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
ReplyDeleteसंजय भास्कर जी हार्दिक धन्यवाद
Deleteहर शब्द की आपने अपनी 2 पहचान बना दी क्या खूब लिखा है "उम्दा "
ReplyDeleteवहा वहा क्या खूब लिखा है जी आपने सुबान अल्ला
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
दिनेश ........शुक्रिया ......यहाँ तक आने के लिए ...और निमंत्रण हेतु
Deletehttp://youtu.be/OHTDrF9Emwg .. APNE TO ITIHAS RACH DIYA AB HAMARI BARI HAI..
ReplyDeleteyasho .........Maine kahan kuchh kiya abhi ....:) aap to chha rahe hain
Deleteभीड़ ख्यालात की इतनी रहने लगी ज़हन में
ReplyDeleteखुद से मिलने का भी वक्त कहाँ मिल पाता है...........wah bahut sundar ..Poonam...
sach hi kaha hai na :))))))))) shukriya naresh
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