लिखित-अलिखित परम्पराएं
सभ्यता-संस्कृति,रीति-रिवाज़
पूजा, अर्चना, अनुष्ठान, मंत्र
चले इनसे हर घर का तंत्र
गर्वान्वित हमसब भारतवासी
देश हमारा बना गणतंत्र
सौगंध उठाई थी कर्णधारों ने
संविधान-अनुरूप चलेगा तंत्र
आज सोच में डूबी जनता
बीते वर्ष, बढ़ी जनसँख्या
बदला माहोल देश विदेश
बदला न यह हमारा तंत्र
बदले समय की है मांग
बदले हमारे सोच व्यवहार
संविधान में हो संशोधन
सुव्यवस्थित हो चले तंत्र
नारी महसूस करे सुरक्षित
खाने को हो भर-पेट अन्न
देश भक्ति हो कण-कण में
चाक-चौबस हो सुरक्षा तंत्र............... Poonam matia
..................
...............गणतंत्र दिवस की सभी को बधाई .
काश ऐसा हो तो सच्चा गणतंत्र मिल पाए. आपको भी इस राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसुमित सच है ......ये मात्र कल्पना नहीं .....क्योंकि यह असंभव नहीं अगर इच्छा शक्ति हो तो
Deleteकाश हो पाए...गणतंत्र दिवस की बधाई!
ReplyDeleteकैलाश जी ........ये काश ही तो नहीं होना चाहिए ....:) धन्यवाद
Deleteनारी महसूस करे सुरक्षित
ReplyDeleteखाने को हो भर-पेट अन्न
देश भक्ति हो कण-कण में
चाक-चौबस हो सुरक्षा तंत्र.
आमीन.....
आपको भी गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें.
धन्यवाद रचना जी ......आप को भी बधाई
Deleteबहुत ही प्रेरक- सन्देश परक- अनुकर्णीय रचना.बधाई.
ReplyDeleteडा. रघुनाथ मिश्र्
रघुनाथ जी सु स्वागतम ............आपके द्वारा कहे गए शब्द महत्वपूर्ण हैं मेरे लिए
Delete