मीलों हैं फैली तन्हाई ................
ऊपर रंगी आसमा
है आया चिढाने
नीचे बरपी तन्हाई
है सीना ताने
हैं शूल ही शूल
जहां तक निगाह जाए
है रेत ही रेत
कहाँ से गुल कोई आये
दूर तक न नामो निशां है
इंसानी ज़ात का
कोई तो आके ले जायज़ा
मेरे हालात का ...................पूनम
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